Petrol Diesel Price Hike : सावधान! 10 मार्च के बाद महंगा होने वाला है पेट्रोल-डीजल

Petrol Diesel Price Hike : भारत में पेट्रोल और डीजल के बढ़ते दामों के चलते लोगों को महंगाई की मार झेलनी पड़ रही है। केन्द्र सरकार ने पिछले साल पेट्रोल में 10 रूपये प्रति लीटर और डीजल में 5 रूपये की कटौती की थी। इसके बाद पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कोई बढोतरी नहीं की गई और न ही कटौती की गई। लेकिन खबरों के अनुसार बीते दिनों से देश के पांच राज्यों में जारी विधानसभा की चलते पेट्रोल और डीजल के दामों में बढ़ोतरी नही की गई है। लेकिन 10 मार्च को चुनाव के नतीजे आने वाले है। नतीजों को लेकर लोगों को डर सताने लगा है कि पेट्रोल और डीजल की कीमतों में भारी उछाल आने की संभावना है।
पेट्रोल-डीजल के बढ़ सकते है दाम।
पेट्रोल और डीजल के बढ़ते दामों में अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की किमत की अहम भूमिका होती है। कच्चे तेल के की कीमतें ही अंतरराष्ट्रीय कीमतों से सीधे तौर पर प्रभावित होती हैं। भारत करीब 85 प्रतिशत तेल आयात करता है। इसके अलावा अमेरिकी डॉलर की कीमत भी देश में तेल की किमतों में अपनी भूमिका निभाता है। मोदी सरकार ने अपने पूरे कार्यकाल में पेट्रोल और डीजल पर 13 बार एक्साइज ड्यूटी बढ़ाई और 4 बार घटाई है मोदी सरकार अबतक पेट्रोल पर 18.42 रुपये और डीजल पर 18.24 रुपये प्रति लीटर की एक्साइज ड्यूटी बढ़ा चुकी है।
ईंधन पर बढ़ सकते है 12 रूपये?
आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज ने अपनी एक रिपोर्ट में खुलासा किया है कि बीते दो महीनों में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तेल के दाम बढ़ने से सरकारी स्वामित्व वाले खुदरा तेल विक्रेताओं को लागत वसूली के लिए 16 मार्च 2022 या उससे पहले ईंधन के दामों में कम से कम 12.10 रुपये प्रति लीटर की वृद्धि करनी ही होगी। अगर इसमें तेल कंपनियों के मार्जिन को भी जोड़ लें तो यह वृद्धि 15.10 रुपये प्रति लीटर को छू जाएगा। मतलब साफ है, केंद्र और राज्य सरकारों ने लगातार टैक्स बढ़ाया जिसकी वजह से सस्ते कच्चे तेल का फायदा उपभोक्ताओं को नहीं मिला। वही पेट्रोल और डीजल की एक्साइज ड्यूटी में हर एक रुपये की बढ़ोतरी से केंद्र सरकार के खजाने में 13,000-14,000 करोड़ रुपये सालाना की बढ़ोतरी होती है। तो आप सोच सकते हैं कि मोदी सरकार ने अपने कार्यकाल में अब तक सिर्फ पेट्रोल-पेट्रोल पर 18.42 रुपये का एक्साइज टैक्स बढ़ा चुकी है। इतना ही नहीं अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें घटने से सरकार को व्यापार घाटा भी कम करने में मदद मिलती है। बावजूद इसके सरकार ने जनता को इसका कोई लाभ नहीं दिया।
रूस-यूक्रेन की जंग ने बढ़ाए कच्चे तेल के भाव
रूस-यूक्रेन युद्ध का असर बाजार और दुनिया के देशों पर पड़ना शुरू हो गया है। इसी का नतीजा है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल का दाम 10 साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया। 24 फरवरी 2022 को यूक्रेन पर रूसी हमले के तुरंत बाद दुनियाभर के शेयर बाजार गिर गए थे। सोने की कीमतें बढ़ गईं और कच्चा तेल रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया।बीपी स्टैटिकल रिव्यू के अनुसार 2020 में रूस कच्चा तेल और नेचुरल गैस कंडेनसेट के उत्पादन के मामले में दूसरे नंबर पर था। यूक्रेन पर हमले की वजह से चूंकि रूस पर कई तरह की पाबंदियां लगाई गई हैं। इससे कच्चे तेल की आपूर्ति प्रभावित हो रही हैं। इन्हीं वजहों से अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चा तेल हर दिन नया रिकॉर्ड बना रहा है।
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