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नयी दिल्ली, छह जनवरी (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर कर रियल एस्टेट कंपनी डीएलएफ के साथ डीडीए के एक समझौते को रद्द करने की मांग की गयी है। उक्त समझौता पश्चिमी दिल्ली में लगभग 129 एकड़ जमीन डीएलएफ को स्थानांतरित करने को लेकर है। ये जमीन हरित गलियारा बनाने के लिये विभिन्न उद्योगों से ली गयी थीं।
इस याचिका को बुधवार को मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की पीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया गया। हालांकि, याचिकाकर्ताओं के वकीलों का इंटरनेट कनेक्शन ठीक नहीं होने के चलते वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये सुनवाई नहीं हो सकी।
इसके बाद, अदालत ने मामले को 27 जनवरी को सुनवाई के लिये सूचीबद्ध किया।
डीडीए ने संक्षिप्त सुनवाई के दौरान कहा कि तीसरा पक्ष डीएलएफ के साथ उसके समझौते में हस्तक्षेप नहीं कर सकता है। डीएलएफ के वकीलों ने भी याचिका का विरोध किया।
एनजीओ अखिल भारतीय भ्रष्टाचार विरोधी मोर्चा और सोसायटी राष्ट्रवादी जनहित सभा ने दावा किया है कि पश्चिमी दिल्ली के शिवाजी मार्ग में विचाराधीन पूरी जमीन को दिल्ली प्राधिकरण (डीडीए) ने 2015 में एक समझौता ज्ञापन के तहत डीएलएफ को सौंप दिया था, जबकि 2013 में उक्त स्थल के 24 एकड़ में एक पार्क का उद्घाटन किया गया था।
भाषा
सुमन महाबीर
महाबीर
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