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Karamdev Puja 2023: उरांव आदिवासी समाज के लोगों ने की करमदेव की पूजा, पूर्व महापौर रेणु अग्रवाल हुईं शामिल

इस दौरान चली आ रही परंपरा के अनुसार ही आदिवासी समुदाय के लोगों ने शाम को करम वृक्ष की डाली को झगराहा के अखाड़ा भवन में स्थापित किया गया

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Agnesh Parashar
Karamdev Puja 2023: उरांव आदिवासी समाज के लोगों ने की करमदेव की पूजा, पूर्व महापौर रेणु अग्रवाल हुईं शामिल

कोरबा। जिले में उरांव आदिवासी समाज के लोगों ने उत्साह के साथ परंपरागत करम पूजा की। इस दौरान चली आ रही परंपरा के अनुसार ही आदिवासी समुदाय के लोगों ने शाम को करम वृक्ष की डाली को झगराहा के अखाड़ा भवन में स्थापित किया गया।

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इसके पहले बाकायदा पूजा अर्चना की गई। समुदाय के ही बैगा बनवारी ने करम देव की विधि-विधान से पूजा से की।

कुंवारी कन्याओं ने रखा व्रत

इस पर्व पर उरांव समाज की कुंवारी कन्याओं ने दिनभर व्रत धारण किया। साथ ही इन कन्याओं ने करमदेव महादेव की विधिवत पूजा भी की। इस आजोयन में बड़ी संख्या में आदिवासी समाज के लोग उपस्थित रहे।

कई लोगों ने इस दौरान करमदेव को मनाने के लिए गीत गाए तो वहीं आयोजन में शामिल होने आए कुछ लोग जमकर नाचे भी। यहां पर आए लोगों ने क्षेत्र में शांति और खुशहाली की कामना की।

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पूर्व महापौर रेणु अग्रवाल हुईं शामिल

इसके बाद जैसे ही सुबह सूर्यादय हुआ तो परंपरा के अनुसार ही करमदेव की पूजा करके विधि-विधान से विसर्जन किया गया। इस आयोजम में शामिल होने के लिए पूर्व महापौर रेणु अग्रवाल पहुंची।

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साथ ही विशिष्ट अतिथि के रूप में गोंड समाज के निर्मल सिंह राज इस कार्यक्रम में शामिल हुए। इसके अलावा उरावं समाज से रमेश सिरका, कंवर समाज से शिव नारायण सिंह कंवर, मांझी समाज से प्रवीण पालिया, धनवार समाज से कीर्तन सिंह धनवार, तंवर समाज से एमपी सिंह तंवर उपस्थित रहे

समाज के इन लोगों की रही मौजूदगी

उरांव आदिवासी समाज के अध्यक्ष राम रतन निकुंज, सचिव नंदकुमार भगत एवं महिला प्रभाग से सुषमा भगत ने बताया कि प्रतिवर्ष क्वांर पूर्णिमा की तिथि में पुरानी प्रथा के अनुसार आदिदेव महादेव के रूप मे करम देव की पूजा अर्चना उरांव आदिवासी समाज द्वारा किया जाता है, यह समाज की खुशहाली एवं उन्नति के लिए प्रकृति पूजा के रूप में होता है।

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क्षेंत्र की उन्नति की करी कामना

कार्यक्रम शामिल हुए उरांव समाज के अध्यक्ष राम रतन निकुंज ने कहा कि हर साल ही इसी तरह हम ये पर्व मनाते हैं। उन्होंने कहा कि पूर्णिमा की तिथि में परंपरा के अनुसार ही आदिवदे महादेव के रुप माने जाने वाले करमदेव की पूजा की जाती है।

आदिवासी समाज के लोग इस पर्व को प्रकृति पर्व मानकर भी मनाते हैं। ये लोग क्षेंत्र की उन्नति एवं लोगों पर करमदेव का आशीर्वाद बना रहे इसके लिए पूजा का आयोजन भी कराते हैं।

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