Patalkot Nishant Bhuria Deputy Collector: छिंदवाड़ा के पातालकोट में रहने वाले निशांत भूरिया ने MPPSC 2022 में कमाल कर दिखाया है। आदिवासी समुदाय में पहली रैंक हासिल कर, निशांत का चयन डिप्टी कलेक्टर के पद पर हुआ है। यह उपलब्धि पूरे भारिया समाज के लिए प्रेरणास्रोत बन गई है। निशांत भूरिया ने अपनी मेहनत और लगन से पातालकोट जैसे पिछड़े इलाके से निकलकर डिप्टी कलेक्टर का पद हासिल किया। उनके पिता मुकेश भूरिया, जो खुद पातालकोट के रहने वाले हैं, निशांत के जन्म से पहले मजदूरी के लिए जबलपुर आए थे।
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चार दशक का सफर: कंदमूल से डिप्टी कलेक्टर तक
पातालकोट की गहराईयों में रहने वाली भारिया जनजाति के लोग चार दशक पहले तक कंदमूल खाकर जीवनयापन करते थे। निशांत भूरिया की यह सफलता समाज के लिए नई दिशा और उम्मीद लेकर आई है। पातालकोट में आज भी कई जगह ऐसी हैं जहां सूरज नजर नहीं आता। उन जगहों से निशांत ने उम्मीदों की नई किरण जगाई है।
आदिवासी समुदाय की पहली रैंक
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MPPSC 2022 के रिजल्ट में निशांत ने आदिवासी समुदाय में टॉप रैंक हासिल की है। निशांत को डिप्टी कलेक्टर के पद पर चयन हुआ है। उनके चयन के बाद पूरे समुदाय के लोग खुश हैं और वे निशांत पर गर्व महसूस कर रहे हैं। निशांत भारिया जनजाति के पहले व्यक्ति बनेंगे, जिन्होंने डिप्टी कलेक्टर का पद प्राप्त किया है। उनकी यह सफलता आदिवासी युवाओं को शिक्षा और मेहनत की ओर प्रेरित करेगी।
माता-पिता ने बेटे के लिए किया संघर्ष
निशांत के पिता मुकेश भूरिया साक्षर हैं, जबकि उनकी मां बिल्कुल भी पढ़ी-लिखी नहीं हैं। माता-पिता ने सीमित साधनों के बावजूद अपने बेटे को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया। इसके नतीजा यह हुआ कि निशांत ने 12वीं में गणित विषय से 93% अंक हासिल किए। इसके बाद निशांत ने इंजीनियरिंग एंट्रेंस परीक्षा पास की और जबलपुर इंजीनियरिंग कॉलेज में दाखिला लिया।
पटवारी रहते हुए दिया MPPSC का एग्जाम
सिविल इंजीनियरिंग पूरी करने के बाद निशांत को पोस्ट ऑफिस में पहली नौकरी मिली। इसके बाद में उन्होंने जबलपुर के पाटन क्षेत्र में पटवारी के रूप में काम किया। पटवारी की नौकरी के दौरान ही निशांत ने मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग (MPPSC) की परीक्षा दी और जनजातीय समुदाय में पूरे प्रदेश में पहला स्थान हासिल किया। महज 25 साल की उम्र में डिप्टी कलेक्टर बनने वाले निशांत भूरिया ने अपने समाज और पातालकोट का नाम रोशन किया है।
भारिया जनजाति की स्थिति
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भारिया जनजाति मध्य प्रदेश की सबसे पिछड़ी जनजातियों में से एक है। यह जनजाति भील समुदाय का हिस्सा है, लेकिन अन्य आदिवासी समूहों की तुलना में अधिक पिछड़ी हुई है। निशांत भूरिया अपने समाज में इस तरह की बड़ी उपलब्धि हासिल करने वाले पहले व्यक्ति बने हैं। निशांत भूरिया की यह सफलता यह दिखाती है कि मेहनत और दृढ़ निश्चय से हर चुनौती को पार किया जा सकता है।
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