Bhopal में रेड बसों के पहिए थमने से बढ़ी यात्रियों की मुश्किलें, जनता भेड़-बकरियों की तरह कर रही सफर
करीब 25 लाख की आबादी वाले भोपाल शहर में आवागमन के लिए आम लोग ऑटो और बैटरी रिक्शॉ में भेड़-बकरियों की तरह सफर करने को मजबूर हैं। कारण यह है कि भोपाल में बीसीएलएल की ज्यादातर रेड बसें शहर की सड़कों पर चलने के बजाय डिपो में खड़े-खड़े सड़ रही हैं। बस ऑपरेटर और नगर निगम प्रशासन के विवाद में इन बसों के पहिए थमने का खामियाजा आम यात्रियों को भुगतना पड़ रहा है, लेकिन प्रशासन से लेकर शहर के जिम्मेदार जनप्रतिनिधि जनता की मुसीबत को लेकर बेफिक्र नजर आ रहे हैं। दो साल पहले 368 बसों से शुरू हुई ये सेवा आज सीमित हो गई है…149 बसें डिपो में सड़ रही हैं, जबकि ऑपरेटर मां एसोसिएट्स बीते 10 महीने का 5 करोड़ रुपए मेंटनेंस का खर्च मांग रहा है..जिसको लेकर कोर्ट में केस पैंडिंग चल रहा है..बता दें कि शहर में 24 रूट्स हैं, जिनमें से सिर्फ 12 रूट पर बसें चल रही हैं…