Parvo Virus: इन दिनों कुत्तों में पारवो वायरस का असर नजर आ रहा है। वायरस से प्रभावित कुत्तों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। पशु चिकित्सालय में बड़ी संख्या में मालिक पालतू जानवर लेकर पहुंच रहे है।
आवारा कुत्तों की संख्या काफी ज्यादा
वायरस के प्रभाव से कुत्तों को भूख नहीं लगता, उल्टी होना और खून आने जैसी समस्याएँ हो रही है। वायरस के प्रभाव कुत्तों की जान को भी खतरा है। जिले में आवारा कुत्तों की संख्या काफी ज्यादा है। ऐसे में वायरस फैलता है, तो इससे आम लोगों के स्वास्थ्य पर भी असर होगा। शहरी क्षेत्र में तो कुत्तों का आतंक ज्यादा है। इसलिए वायरस के प्रभाव को रोकने के लिए उपाय करना जरूरी है।
क्या है पारवो वायरस?
यह एक संक्रामक रोग है। अगर किसी पारवो इन्फेक्टेड कुत्ते के संपर्क में कोई कुत्ता आता है तो उसे भी यह बीमारी तुरंत हो जाती है। घास, बर्तन, पानी के कटोरे के संपर्क में आने पर भी कुत्तों को यह वायरस हो जाता है। अगर इसका समय पर इलाज न कराया जाए तो यह कुत्तों की जान भी ले सकता है।
इसके लक्षण?
इससे संक्रमित होने पर कुत्ते को भूख ना लगना, दस्त में खून, उल्टी, कमजोरी और बुखार जैसे लक्षण होते हैं। एडल्ट कुत्ते के बचने की संभावना अधिक होती है। अगर पिल्ले इससे संक्रमित हैं तो उसके बचने की संभावना कम हो जाती है।
इलाज
डॉक्टरों का कहना है कि कुत्ता अगर पारवो से संक्रमित हो जाए तो इसका कोई इलाज नहीं है। बीमारी गंभीर न हो, इसलिए लक्षणों को देखकर उसका इलाज किया जाता है। पारवो से बचने के लिए हर साल इसकी वैक्सीन जरूर लगवानी चाहिए।
पिल्लों को 6-8 सप्ताह की उम्र से वैक्सीन लगनी शुरू हो जाती है। 16 सप्ताह तक 3-4 सप्ताह में बूस्टर लगते हैं। इसके बाद एडल्ट होने पर हर साल बूस्टर डोज लगवानी चाहिए।
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