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फिरोज गांधी के धर्म का सच: पारसी या मुसलमान, जानें क्या है सच्चाई, मुस्लिमों की तरह क्यों होते हैं पारसी नाम

Parsi New Year 2024: फिरोज गांधी के धर्म के बारे में लोगों के बीच तरह तरह के मिथक मुसलमान नहीं इस धर्म से उनका ताल्लुक. मुस्लिम धर्म की तरह नाम होने कि वजह से लोगों में कनफ्यूजन

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Rohit Sahu
फिरोज गांधी के धर्म का सच: पारसी या मुसलमान, जानें क्या है सच्चाई, मुस्लिमों की तरह क्यों होते हैं पारसी नाम

Parsi New Year 2024: पारसी समुदाय (Parsi Community) के लोग हर साल अगस्त महीने में अपना नया साल मनाते हैं, जिसे पतेती (Pateti) और नवरोज (Navroz) के तौर पर जाना जाता है। दुनिया भर में कई जगहों पर नवरोज का पर्व साल में 2 बार बहुत ही जोश और उत्साह के साथ मनाया जाता है। दरअसल, दुनिया भर में पारसी पंचांग के अनुसार, 21 मार्च को पारसी नववर्ष (Parsi New Year) मनाया जाता है। जबकि भारत के पारसी, नवरोज यानी पतेती को शहंशाही पंचांग के मुताबिक 16 अगस्त को मनाते हैं। पारसी धर्म मुस्लिम धर्म की कोई शाखा नहीं है बल्कि ये बिल्कुल अलग धर्म है। देश की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के पति फिरोज गांधी भी इसी धर्म से ताल्लुक रखते थे। 

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फिरोज गांधी के धर्म को लेकर मिथक

Who was feroze gandhi

फिरोज गांधी के धर्म को लेकर अक्सर भ्रम की स्थिति रहती है, लेकिन सच्चाई यह है कि वे पारसी धर्म के अनुयायी थे, न कि मुसलमान। उनके सरनेम "गांधी" को लेकर भी कई सवाल उठते हैं, लेकिन यह उनके पारसी धर्म के कारण था. जिसके नाम मुस्लिम नामों की तरह होते हैं. बता दें फिरोज के पिता का नाम जहांगीर घांडी था वे एक पारसी परिवार से ताल्लुक रखते थे. मुंबई में 12 सिंतबर 1912 में पारसी परिवार में पैदा हुए. उनके पिता का नाम जहांगीर फरदून घांडी था. मां का नाम रतिमाई कमिसारियत था. ये लोग मुंबई के खेतवाड़ी में नौरोजी नाटकवाला भवन में रहते थे. पिता मैरीन इंजीनियर थे. उनके 05 बच्चे थे. फिरोज सबसे छोटे थे. फिरोज के दो भाई और दो बहन थे.

घांडी से गांधी बनने की कहानी

Feroze  gandhi exposed

घांडी फिरोज का कुलनाम या पारसी धर्म में जाति का नाम था. जिसे उन्होंने आजादी की के दौरान गांधीजी से प्रभावित होने के कारण बदलकर गांधी कर लिया था. लेकिन इंदिरा गांधी की बुआ कृष्णा हठीसिंग ने अपनी किताब इंदू से प्रधानमंत्री में इसे बहुत हद तक साफ किया है. उन्होंने अपनी किताब के 09वें अध्याय में लिखा कि फिरोज का कुलनाम गांधी ही था, इसे अपभ्रंश के तौर पर घांडी भी कहा जाता था. वह लिखती हैं, गांधी कुलनाम या उपनाम है. इसका संबंध भी अन्य भारतीय उपनामों की तरह परिवार के पेशे या व्यवसाय से है. जो लोग मोदी, पंसारी या गंधी का काम करते थे, वो गांधी कहलाते थे.

क्या है पारसी धर्म

 पारसी नववर्ष नवरोज़ पर शुभकामनाएं

पारसी लोग जोरोस्टरीय या जरथ्रुस्त्री धर्म को मानने वाले होते हैं. इस धर्म के प्रवर्तक पैगंबर जरथ्रुस्ट के अनुयायी होते हैं. इनकी मान्यता है कि पैगंबर जरथ्रुस्त्र ही स्वर्ग से पवित्र अग्नि को पृथ्वी पर लाए थे. इसलिए पारसी लोग अग्नि की पूजा करते हैं. उनके मंदिर अग्नि मंदिर कहलाते हैं. पारसी 1200 साल पहले फारस से भारत आए थे ये लोग मुस्लिम नहीं होते हैं. पारसी खुद एक अलग धर्म है. करीब 1200 साल पहले ये फारस (ईरान) में रहते थे. मुस्लिम विजेताओं के धार्मिक अत्याचारों से त्रस्त होकर शरण की खोज में भारत आए. ईरान में रहने के कारण इनके नाम मुस्लिम नाम की तरह होते हैं.

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पारसी धर्म के मुख्य सिद्धांत हैं

- एकेश्वरवाद: पारसी धर्म में एक ही भगवान की पूजा की जाती है, जिसे "अहुरा माजदा" कहा जाता है।
- सत्य और असत्य: पारसी धर्म में सत्य और असत्य के बीच के संघर्ष को बहुत महत्व दिया जाता है।
- कर्म: पारसी धर्म में माना जाता है कि हर व्यक्ति के कर्मों का फल उसे मिलता है।
- पुनर्जन्म: पारसी धर्म में पुनर्जन्म की भी मान्यता है।
- अग्नि पूजा: पारसी धर्म में अग्नि को पवित्र माना जाता है और इसकी पूजा की जाती है।

फिरोज गांधी का अंतिम संस्कार हिंदू रिवाज से हुआ

किन रीति रिवाजों से हुआ था फ़िरोज़ गाँधी का अंतिम संस्कार - BBC News हिंदी

फिरोज गांधी ने 8 सितंबर 1960 का निधन दिल्ली के धन वेलिंगटन अस्पताल में सुबह के वक्त अंतिम सांस ली थी. उनका निधन हार्ट अटैक से हुआ था. फिरोज गांधी नहीं चाहते थे कि उनका अंतिम संस्कार पारसी रिवाज से हो क्योंकि पारसी लोगों में देह को न तो जलाया जाता है न ही दफनाया जाता है बल्कि शव को एक टावरनुमा जगह पर रख दिया जाता है जिससे शव को मांसखाने वाले पक्षी चील, कौए खा सकें.

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