इन सात देवताओं को माना जाता है अमर
इस ब्रहृमांड में सात अवतारों को जीवित माना जाता है। हिन्दू धर्म ग्रंथ (Hindu Dharam) और शास्त्रों के अनुसार, अश्वत्थामा, राजा बलि, व्यासजी, भगवान परशुराम, विभीषण, कृपाचार्य, और श्री हनुमानजी (Lord Hanuman) को अमर माना गया है।
किस युग में किसका अवतार (Lord Parshuram Avtar)
सतयुग में भगवान परशुराम
भगवान परशुराम (Lord Parshuram) सतयुग से लगातार हर युग में जीवित हैं। सतयुग में इन्होंने भगवान शिव की तपस्या की थी। इस समय इन्होंने तपस्या कर कई शस्त्र इकट्ठे किए। जिसके भार पृथ्वी भी नहीं उठा पार रहीं थी। इसी दौरान इन्होंने राजाओं का वध किया था।
त्रेतायुग में भगवान परशुराम
सतयुग में तपस्या कर भगवान शिव (Lord Shiv) का अवतार लेने के बाद भगवान परशुराम (Bhagwan Parshuram) की तपस्या त्रेतायुग में भी जारी रही। इस युग में भगवान परशुराम ने भगवान राम का अवतार लिया। इस दौरान भगवान श्रीराम (Lord Shri Ram) को पूरा भार सौंप कर वे द्वापर युग में चले गए।
द्वापर में भगवान परशुराम
द्वापर युग में भगवान परशुराम एक बार फिर बड़े गुरु हुए। इस युग में कर्ण, भीष्म पितामह, कर्ण, द्रोणाचार्य को ज्ञान और शिक्षा दी।
कलयुग में भगवान परशुराम
पंडित सनत कुमार खंपरिया के अनुसार तीनों युगों से लगातार परशुराम अपना शस्त्र और शास्त्र ज्ञान बांटते आ रहे हैं। ऐसा माना जाता है कि भगवान परशुराम कलयुग में भी हैं।
केरल से भगवान परशुराम का क्या है कनेक्शन
पंडित सनत कुमार खंपरिया का कहना है कि जब भगवान सतयुग में थे। तो उन्होंने 21 बार सभी अभिमानी राजाओं का वध कर पूरी पृथ्वी को जीत लिया था। इसके इसके बाद धरती पर रहने वालों के लिए स्थान नहीं बचा था।
तब भगवान परशुराम ने केरल की दिशा की ओर समुद्र में अपना शस्त्र फरसा फेंका था। तो वहां का पानी हट कर समुद्र खाली हो गया था। इसके बाद यहां भगवान परसुराम यहां रहे थे।
परशुराम को शिव ने कौन सा शस्त्र दिया था
सतयुग में भगवान परशुराम (Lord Parshuram Fact) भगवान शिव के बड़े भक्त हुए। भगवान शिव की तपस्या करके उन्हें प्रसन्न किया। जिसमें भगवान शिव ने प्रसन्न होकर परशुराम को अपना षारंग धनुष भेंट किया था।
कौन है भगवान परशुराम के पिता
भगवान परशुराम (Lord Parshuram Jayanti 2024) अपने पिता के बहुत बड़े भक्त थे। उनके पिता जमदग्नी ऋषि थे। परशुराम पिता के बहुत आज्ञाकारी थे। परशुराम को 24 अवतारों में से एक माना जाता है।
ब्रहृमचारी थे भगवान परशुराम
शास्त्रों में वर्णन के अनुसार भगवान परशुराम के पिता ऋषि थे। पर भगवान परशुराम ब्रहृमचारी थे। उन्होंने विवाह नहीं किया था। उन्हें शस्त्र और शास्त्र दोनों का ज्ञाता माना जाता है। भगवान परशुराम के शास्त्रों का भार पृथ्वी भी नहीं उठा पाई थी।
परशुराम ने क्यों किया था मां का सिर धड़ से अलग
पंडित सनत कुमार खंमपरिया (9993604311) ने बताया कि ब्रहृम वैवर्तक पुराण में एक कथा का उल्लेख किया गया है। भगवान परशुराम अपने पिता के बहुत बड़े भक्त थे। कथा के अनुसार एक बार ऋषि खेल रहे थे। उसी दौरान मां जल भरने गई थी।
उन्हें वापस आने में विलंब हो गया था। पिता को चरित्र शंका का शक हुआ। इसके बाद पिता की आज्ञा पर भगवान परशुराम ने मां पर फरसे से प्रहार करके उनका सिर धड़ से अलग कर दिया था।
ऐसे जीवित हुई थीं भगवान परशुराम की मां
पिता की आज्ञा का पालन करने पर भगवान परशुराम से पिता जमदग्नी ऋषि प्रसन्न हुए। उन्होंने परशुराम से वरदान मांगने को कहा। इसके बाद परशुराम ने मां को फिर से जीवित करने का वरदान मांगा। तब मां फिर से जीवित हो गईं।
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