नई दिल्ली। Parliament Security Breach पुलिस ने बृहस्पतिवार को कहा कि लोकसभा की सुरक्षा में सेंध लगाने की घटना के दो आरोपी 1929 के दौरान भारत में ब्रिटिश शासन के समय क्रांतिकारी भगत सिंह द्वारा ‘सेंट्रल असेंबली’ के अंदर बम फेंके जाने जैसी घटना को दोहराना चाहते थे।इस घटना के आरोपी और मास्टरमाइंड ललित ने सरेंडर किया था।
पूछताछ में बोला आरोपी ललित
यहां पर संसद में घुसपैठ मामले में मास्टरमाइंड ललित मोहन झा ने पुलिस को बताया कि, ललित एक व्यक्ति के साथ दिल्ली के कर्तव्य पथ पुलिस स्टेशन पहुंचा था। घटना का वीडियो बनाने के बाद ललित मौके से फरार हो गया था। वह अपने सभी साथियों के मोबाइल फोन भी ले गया था। ललित बस से राजस्थान के नागौर पहुंचा।
वहां वह अपने दो दोस्तों से मिला और एक होटल में रात बिताई। जब उसे एहसास हुआ कि पुलिस उसकी तलाश कर रही है तो वह बस से वापस दिल्ली आ गया। यहां उसने सरेंडर कर दिया। फिलहाल वह पुलिस की स्पेशल सेल की कस्टडी में है।
शनिवार या रविवार को सीन क्रिएट करेगी पुलिस
यहां पर मामले में पुलिस ने बताया कि, दिल्ली पुलिस की स्पेशल टीम शनिवार या रविवार को संसद में सुरक्षा चूक के सीन को रिक्रिएट करेगी। इसके लिए आरोपियों को सभी आरोपियों को संसद परिसर ले जाया जाएगा। इससे दिल्ली पुलिस ये पता लगाएगी कि आरोपी कैसे संसद भवन में दाखिल हुए और कैसे अपने प्लान को अंजाम दिया।
अधिकारी ने दी जानकारी
इस संबंध में एक अधिकारी ने बताया कि आरोपियों के कब्जे से एक पर्चा बरामद किया गया, जिसमें लिखा था, ‘‘प्रधानमंत्री लापता हैं और जो भी उन्हें ढूंढे़गा उसे स्विस बैंक से पैसा मिलेगा।’’ पुलिस सूत्रों ने कहा कि आरोपियों के जूते विशेष रूप से डिजाइन किए गए थे और धुएं के ‘केन’ को छिपाने के लिए जगह बनाई गई थी। अधिकारी ने कहा कि इन ‘केन‘ को सागर शर्मा ने लखनऊ से खरीदा था। पुलिस ने कहा कि आरोपियों ने संसद में पर्चे फेंकने की योजना बनाई थी। इसने कहा कि उन्होंने तिरंगे भी खरीदे थे।
कुछ और पर्चे किए बरामद
सूत्रों ने बताया कि आरोपियों के पास से कुछ और पर्चे बरामद किए गए, जिनमें युवाओं को सरकार के खिलाफ भड़काने वाले संदेश थे। एक सूत्र ने कहा, ‘‘ऐसे ही एक पर्चे पर लिखा था ‘देश के लिए जो नहीं खौला वो खून नहीं पानी है।’’ आरोपी सागर शर्मा और मनोरंजन डी शून्यकाल के दौरान दर्शक दीर्घा से लोकसभा कक्ष में कूद गए और उन्होंने ‘केन’ से पीली गैस उड़ाते हुए नारेबाजी की। हालांकि, सांसदों ने उन्हें पकड़ लिया। लगभग उसी समय संसद भवन के बाहर अमोल शिंदे और नीलम ने केन से लाल और पीले रंग का धुआं फैलाते हुए ‘तानाशाही नहीं चलेगी’ आदि नारे लगाए।
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