नई दिल्ली। भादौं या चातुर्मास के शुक्ल Parivartini Ekadashi 2022 पक्ष के महीने में पड़ने वाली एकादशी को परिवर्तिनी एकादशी कहते हैं। इसे जलझूलनी एकादशी या पद्म एकादशी jaljhulni ekadashi 2022 भी कहा जाता है। जो आज 6 सितंबर को पूरे देश में मनाई जा रही है। पर क्या आप जानते हैं इस एकादशी को परिवर्तिनी एकादशी क्यों कहते हैं। इस दिन किए गए विशेष उपाय से भगवान विष्णु को प्रसन्न किया जा सकता है। साथ ही Parivartini Ekadashi 2022 आपको बताते हैं ऐसे कौन से कार्य हैं जिन्हें आज करने की मनाही है। अगर आप भी ऐसा करते हैं तो आपको गंभीर परिणाम झेलने पड़ सकते हैं।
क्यों कहते हैं परिवर्तिनी एकादशी –
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान विष्णु क्षीर सागर में निंद्रा लोग में विश्राम करने के दौरान आज ही के दिन करवट बदलते हैं। इसलिए इसका नाम परिवर्तिनी एकादशी है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा अर्चना की जाती है।
भूलकर भी न करें ये काम –
चावल का उपयोग –
एकादशी चाहे कोई भी हो इस दिन चावल का सेवन नहीं करना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि इस दिन चावल का सेवन करने से व्यक्ति का जन्म रेंगने वाले जीव की योनि में होता है। ऐसे में अगर आप परिवर्तिनी एकादशी का व्रत रख रहे हैं तो गलती से भी चावल न खाएं।
गुस्सा करना –
एकादशी व्रत भगवान विष्णु के लिए खास माना जाता है। चूंकि भगवान विष्णु शांति प्रिय भगवान माने जाते हैं इसलिए इस दिन भूलकर भी गुस्सा नहीं करना चाहिए।
इन चीजों का सेवन –
ऐसा माना जाता है कि एकादशी के दिन चावल के अलावा गेंहू, उड़द, मूंग, चना, जौ, चावल और मसूर का सेवन भी भूलकर भी नहीं करना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि इस एकादशी के दिन इन अनाजों के सेवन न करने से दूसरों के बीच आपका वर्चस्व बना रहता है।
परिवर्तिनी एकादशी शुभ मुहूर्त –
परिवर्तिनी एकादशी मंगलवार, सितंबर 6, 2022 को
एकादशी तिथि प्रारम्भ . सितंबर 06, 2022 को सुबह 05ः54 मिनट से शुरू
एकादशी तिथि समाप्त . सितंबर 07, 2022 को सुबह 03ः04 मिनट पर खत्म
पारण का समय. सितंबर 7 सुबह 08ः19 मिनट से 08ः53 मिनट तक
ये काम भी हैं वर्जित –
आपको बता दें एकादशी के दिन झूठ भी नहीं बोलना चाहिए। ऐसा करने से आपको व्रत का फल नहीं मिलता है। साथ ही इस दिन किसी भी बुराई करने और मांस मदिरा का सेवन करने से बचना चाहिए।