भोपाल। बाघों की लगातार मौत के बाद विवादों में आए पन्ना टाइगर रिजर्व से एक अच्छी खबर आई है। पन्ना टाइगर रिजर्व की रेस्क्यू टीम कार्यकुशलता के मामले में सबसे बेहतर साबित हुई है। दरअसल कान्हा टाइगर रिजर्व में 23 से 25 नवंबर तक कार्यशाला आयोजित हुई थी,जिसमें प्रदेश के पांचों टाइगर रिजर्व, सभी सेंचुरी और वन मंडलों के रेस्क्यू स्क्वायड शामिल हुए थे। कार्यशाला में सभी ने अपना प्रेजेंटेशन दिया, जिसमें पन्ना टाइगर रिजर्व की रेस्क्यू टीम को पहला स्थान मिला है। इसमें वन विहार भोपाल को दूसरा, पेंच और संजय टाइगर रिजर्व को संयुक्त रूप से तीसरा स्थान हासिल हुआ है। पन्ना टाइगर रिजर्व के वन्य प्राणी चिकित्सक डॉ संजीव कुमार गुप्ता ने अपनी टीम की ओर से ट्रॉफी प्राप्त की है।
दुनिया में अपनी एक अलग पहचान बनाई
जानकारी के अनुसार पन्ना टाइगर रिजर्व वर्ष 2009 में बाघ विहीन हो गया था जिसके बाद बाघ पुनर्स्थापना शुरू की गई। बाघ पुनर्स्थापना योजना को मिली शानदार कामयाबी के कारण पन्ना टाइगर रिजर्व ने देश और दुनिया में अपनी एक अलग पहचान बनाई है। वर्ष 2009 में पन्ना टाइगर रिजर्व बाघ विहीन हो गया था तब यहां बाघों को फिर से आबाद करने के लिए बाघ पुनर्स्थापना योजना के तहत कान्हा व बांधवगढ़ से दो बाघिन तथा पेंच टाइगर रिजर्व से एक नर बाघ लाया गया था। तत्कालीन क्षेत्र संचालक आर.श्रीनिवास मूर्ति के नेतृत्व में पूरी टीम ने पन्ना टाइगर रिजर्व के के खोए हुए गौरव को पुन: हासिल करने के लिए जुनून और जज्बे के साथ अथक श्रम किया। परिणाम स्वरूप यहां नन्हें शावकों ने जन्म लिया और पन्ना टाइगर रिजर्व फिर से गुलजार हो गया।
दो बाघिनों को जंगली बनाने का अभिनव प्रयोग भी सफल रहा
इसके साथ ही यहां पर दो बाघिनों को जंगली बनाने का अभिनव प्रयोग भी सफल रहा, जिससे पन्ना टाइगर रिजर्व को न सिर्फ अंतरराष्ट्रीय ख्याति मिली अपितु कई देश पन्ना मॉडल को अपनाने के लिए प्रेरित हुए। इस कामयाबी में पन्ना टाइगर रिजर्व के वन्य प्राणी चिकित्सक डॉ संजीव कुमार गुप्ता व उनकी समर्पित टीम का महत्वपूर्ण योगदान रहा। इस टीम ने बीते 10 वर्षों में 150 से भी अधिक रेस्क्यू ऑपरेशन सहित 65 बार बाघ व बाघिनों का सफल रेडियो कॉलर किया है, जो अपने आप में एक रिकॉर्ड है। इतने कम समय में देश में कहीं भी फ्री रेजिंग बाघों को ट्रेंकुलाइज कर उन्हें रेडियो कॉलर करने का कार्य नहीं हुआ। इस लिहाज से भी पन्ना टाइगर रिजर्व की टीम न सिर्फ प्रदेश बल्कि देश भर में अव्वल है।
100 वर्ष की उम्र को पार कर चुकी है हथनी
पन्ना टाइगर रिजर्व की उम्र दराज हथनी जो 100 वर्ष की उम्र को पार कर चुकी है तथा संभवत: दुनिया की सबसे बुजुर्ग हथनी है। उसे पन्ना टाइगर रिजर्व के वन्य प्राणी चिकित्सक डॉक्टर संजीव कुमार गुप्ता व उनकी टीम ने दो बार मौत के मुंह में जाने से बचाया है। यही वजह है कि पन्ना टाइगर रिजर्व की रेस्क्यू टीम को प्रथम स्थान मिला है।