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Panna Rape Case: पन्ना रेप केस की पीड़िता बच्चे को जन्म देगी, मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने कहा-प्रजनन व्यक्तिगत अधिकार है

Panna Rape Case MP High Court: पन्ना की रेप पीड़िता के लिए मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने गर्भावस्था को जारी रखने का आदेश दिया है। नाबालिग ने गर्भपात से इनकार किया था।

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Rahul Garhwal
Panna Rape Case MP High Court rape victim case abortion hindi news

हाइलाइट्स

  • पन्ना रेप केस की MP हाईकोर्ट में सुनवाई
  • पीड़िता बच्चे को देगी जन्म
  • हाईकोर्ट से गर्भावस्था जारी रखने का आदेश
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Panna Rape Case MP High Court: पन्ना की नाबालिग रेप पीड़िता को गर्भावस्था जारी रखने के लिए आदेश दिया है। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने कहा कि प्रजनन व्यक्तिगत अधिकार है, जिसका अतिक्रमण नहीं कर सकते हैं। प्रजनन स्वतंत्रता संविधान के अनुच्छेद-21 के तहत एक मौलिक अधिकार है।

नाबालिग और माता-पिता का गर्भपात से इनकार

मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने कहा कि चूंकि नाबालिग रेप पीड़िता और उसके माता-पिता ने गर्भपात से मना कर दिया है, अत: गर्भावस्था जारी रखने का आदेश पारित किया जाता है। जस्टिस विशाल मिश्रा की कोर्ट में पन्ना रेप केस पर सुनवाई हुई।

पन्ना जिला कोर्ट ने हाईकोर्ट को लिखा था पत्र

पन्ना जिला कोर्ट ने नाबालिग रेप पीड़िता के गर्भवती होने के संबंध में हाईकोर्ट को पत्र लिखा था। जिसकी सुनवाई संज्ञान याचिका में करते हुए हाईकोर्ट ने पीड़िता की मेडिकल रिपोर्ट पेश करने के आदेश दिए थे।

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[caption id="attachment_924475" align="alignnone" width="1011"]mp high court panna rape case मध्यप्रदेश हाईकोर्ट[/caption]

पीड़िता ने मेडिकल जांच से किया था इनकार

हाईकोर्ट में याचिका की सुनवाई के दौरान मेडिकल बोर्ड ने बताया कि पीड़िता ने मेडिकल जांच कराने से इनकार कर दिया है। उन्होंने गर्भपात और बच्चे को जन्म देने के सभी पहलुओं के संबंध में जानकारी दी गई थी, इसके बावजूद पीड़िता और उनके माता-पिता गर्भपात करवाने से इनकार कर दिया।

'प्रजनन मौलिक अधिकार'

मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि गर्भपात के अधिकार की निजता व गरिमा मौलिक अधिकारों के अंतर्निहित है, जिसकी दृढ़ता से रक्षा करना चाहिए। यौन और प्रजनन संबंधी विकल्प व्यक्तिगत अधिकार है। प्रजनन स्वतंत्रता संविधान के अनुच्छेद-21 के तहत एक मौलिक अधिकार है।

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'गर्भपात का आदेश नहीं दिया जा सकता'

MP हाईकोर्ट ने कहा गर्भपात के लिए गर्भवती की सहमति सर्वोपरि है, जिस पर अतिक्रमण नहीं किया जा सकता है। पीड़िता व माता-पिता का गर्भावस्था को पूर्ण अवधि तक ले जाना चाहते हैं। उनके द्वारा गर्भपात के लिए सहमति नहीं दी गई है। वर्तमान परिस्थिति में गर्भपात का आदेश नहीं दिया जा सकता।

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