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Online Liquor: हाईकोर्ट ने सरकार के फैसले पर उठाए सवाल, पूछा-कैसे तय करेंगे कि बच्चों तक नहीं पहुंचे शराब!

Online Liquor: हाईकोर्ट ने सरकार के फैसले पर उठाए सवाल, पूछा-कैसे तय करेंगे कि बच्चों तक नहीं पहुंचे शराब! Online Liquor: High Court raises questions on the decision of the government, asked how will it be decided that alcohol does not reach the children!

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Bansal News
Online Liquor: हाईकोर्ट ने सरकार के फैसले पर उठाए सवाल, पूछा-कैसे तय करेंगे कि बच्चों तक नहीं पहुंचे शराब!

नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को दिल्ली सरकार से जानना चाहा कि वह कैसे सुनिश्चित करेगी कि नयी आबकारी नीति के तहत घर पर शराब की आपूर्ति करने के दौरान कम उम्र (वैध उम्र 21 साल से कम) के लोगों तक शराब नहीं पहुंचेगी। मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल और न्यायामूर्ति ज्योति सिंह की पीठ ने दिल्ली सरकार से यह भी पूछा कि शराब की होम डिलिवरी का ऑर्डर करने के वाले व्यक्ति की उम्र को सत्यापित करने की क्या प्रक्रिया है।

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पीठ ने दिल्ली सरकार के वरिष्ठ अधिवक्ता राहुल मेहरा से पूछा, ‘‘आप खरीददार की उम्र को कैसे सत्यापित करेंगे? आपको इस सवाल का जवाब देना चाहिए। आप यह नहीं कह सकते कि इसका जवाब नहीं दे सकते।’’

मेहरा ने पीठ के समक्ष कहा था कि यह मौजूदा नियमों में केवल संशोधन है और इसे अभी प्रभाव में आना है। मेहरा ने कहा कि जब भी यह प्रभाव में आएगा आधार नंबर देने या आयु प्रमाणित करने वाले अन्य दस्तावेज दिखाने का प्रावधान होगा। नयी नीति के तहत दिल्ली में शराब पीने की वैध उम्र 21 साल होगी।

अदालत भाजपा सांसद परवेश साहिब सिंह वर्मा की याचिका पर सुनवाई कर रही है जिन्होंने दिल्ली सरकार की नयी आबकारी नीति को चुनौती दी है जिसमें शराब की होम डिलिवरी का प्रावधान है। वर्मा की ओर से पेश अधिवक्ता ने कहा कि उन्होंने इस प्रावधान को चुनौती दी है क्योंकि उम्र की निगरानी करने की प्रक्रिया नहीं होने की वजह से शराब की आपूर्ति कम उम्र के लोगों और सार्वजनिक स्थानों पर भी हो सकती है।

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याचिकाकर्ता द्वारा शराब की होम डिलिवरी होने पर घर के बच्चों पर दुष्प्रभाव पड़ने संबंधी चिंता जताए जाने पर दिल्ली सरकार का पक्ष रख रहे वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि व्यक्ति दुकान से भी शराब खरीद कर घर लाता है ऐसे में बच्चों पर पड़ने वाले प्रभाव में अंतर नहीं होगा। सिंघवी और मेहरा ने कहा कि केवल तरीका बदला है, होम डिलिवरी की व्यवस्था पिछले 20-30 साल से मौजूद है।

उन्होंने कहा कि पहले शराब की होम डिलिवरी के लिए ई-मेल या फैक्स् के जरिये ऑर्डर देना पड़ता था लेकिन अब यह मोबाइल ऐप के जरिये किया जाएगा। इस दौरान अदालत को सूचित किया गया कि दिल्ली सरकार द्वारा दाखिल जवाब रिकॉर्ड पर नहीं है। इस पर अदालत ने जवाब को रिकॉर्ड पर दर्ज करने का निर्देश देते हुए मामले को 18 नवंबर के लिए सूचीबद्ध कर दिया। उस दिन अदालत में नयी आबकारी नीति की वैधता को चुनौती देने वाली अन्य याचिकाओं पर भी सुनवाई होगी।

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