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कभी यूरोप में सोने के भाव बिकती थी काली मिर्च, नावों में सोना भरकर व्यापारी खरीदने पहुंचते थे भारत!

कभी यूरोप में सोने के भाव बिकती थी काली मिर्च, नावों में सोना भरकर व्यापारी खरीदने पहुंचते थे भारत! Once gold was sold in Europe, black pepper was sold, traders used to come to India to buy gold in boats! nkp

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Bansal Digital Desk
कभी यूरोप में सोने के भाव बिकती थी काली मिर्च,  नावों में सोना भरकर व्यापारी खरीदने पहुंचते थे भारत!

नई दिल्ली। क्या आप जानते हैं कि अपनी विशेष खूबियों के चलते एक वक्त सोने के भाव बिकती थी काली मिर्च, जिसे हम अंग्रेजी में ब्लैक पेपर कहते हैं। पेपर शब्द संस्कृत के पिपली शब्द से निकला है, जो एक लंबी काली मिर्च थी। इसका 18-19वीं शताब्दी से पहले भारतीय पकवानों में काफी इस्तेमाल होता था। तब तक हमारा वास्ता हरी और लाल मिर्च से नहीं पड़ा था। क्योंकि ये दोनों मिर्च पुर्तगाल की देन है, जिन्हें वास्कोडिगामा ने अपने साथ लाया था।

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काली मिर्च की तलाश में वास्कोडिगामा भारत आया था

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार वास्कोडिगामा काली मिर्च की ही तलाश में भारत आया था, जो उस वक्त यूरोप में सोने के भाव बिकती थी। पुर्तगालियों के गोवा आने के बाद हरी और लाल मिर्च की भी खेती होने लगी। कर्नाटक में भी इसकी बड़े पैमाने पर खेती की जाने लगी। लेकिन, इससे पहले उत्तर भारत में पीपली और केरल से आने वाली काली मिर्च का ही इस्तेमाल होता था। यानी उस वक्त भारत काली मिर्च का सबसे बड़ा उत्पादक था और तब पूरी दुनिया में इसे सोने के भाव बेचा जाता था।

सोने के बदले काली मिर्च का सौदा

एक रिपोर्ट के अनुसार उस वक्त केरल में दुनिया का सबसे महत्वपूर्ण बंदरगाह मुजिरिस था। जहां ग्रीक नावें, सोने और आला दर्जे की शराबों से लदकर यहां पहुंचती थी और उनका सौदा काली मिर्च के बदले किया जाता था। हालांकि आज किसी को भी नहीं पता कि यह बंदरगाह कहां है, कुछ पुरातत्व विज्ञानी इसके अवशेष खोजने में आज भी जुटे हैं। लेकिन, इतना तो तय है कि काली मिर्च की वजह से तब यूरोप की दौलत भारत आया करती थी। क्योंकि प्राचीन रोम के लेखक प्लिंकी द एल्डर की किताबों में भी इसका जिक्र है। ऐसे में अब सवाल उठता है कि आखिर काली मिर्च इतनी बेशकीमती क्यों थी?

काली मिर्च क्यों थी इतनी कीमती?

इसकी एक वजह यह है कि इससे मीट का जायका बेहतर हो जाता है। साथ ही एक मिथक ये भी था कि काली मिर्च का उपयोग करने से मांस खराब नहीं होता है। तब काली मिर्च केवल भारत से निर्यात की जाती थी और इसका इस्तेमाल केवल रईस लोग ही करते थे। इसके अलाना काली मिर्च को इतिहास में हमेशा सेहत के लिए फायदेमंद मसाले के तौर पर देखा गया। यह कफ और सर्दी में आराम पहुंचाती है। शरीर को तंदुरुस्त भी रखती है। मान्यता तो यहां तक है कि यह बुरी आत्माओं को पास नहीं फटकने देती। हो सकता है इन्हीं वजहों से काली मिर्च का भाव सोने के बराबर रहा हो।

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यूरोप के शाही परिवार काली मिर्च का इस्तेमाल करते थे

यूरोप के शाही परिवार काली का इस्तेमाल अलग ही अंदाज में करते थे। 18वीं सदी के दौरान मौसमी फल और सब्जियों के साथ खाने की टेबल पर नमक और काली मिर्च रखने की शुरुआत फ्रांसीसी रसोइयों से हुई। दरअसल, फ्रांस के राजा लुई चौदहवें ने हुक्म दिया था कि उसकी रसोई में काली मिर्च के अलावा कोई भी दूसरा मसाला इस्तेमाल न किया जाए। इसलिए मौसमी फल और सब्जियों के मूल स्वाद को बरकरार रखने के लिए नमक और काली मिर्च का उपयोग होने लगा।

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