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Omkareshwar Jyotirlinga: यहां है भगवान शिव की शयन आरती का विशेष महत्व, बिना मांगे ही भरती है भक्तों की झोली

उज्जैन। Omkareshwar Jyotirlinga: ओंकारेश्वर बाबा भोलेनाथ का एक ऐसा दिव्य दरबार जहां आस्था की अनूठी अनुभूति होती है। यहां मां नर्मदा की गोद..

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Akarsh Mishra
Omkareshwar Jyotirlinga: यहां है भगवान शिव की शयन आरती का विशेष महत्व, बिना मांगे ही भरती है भक्तों की झोली

उज्जैन। Omkareshwar Jyotirlinga: ओंकारेश्वर बाबा भोलेनाथ का एक ऐसा दिव्य दरबार जहां आस्था की अनूठी अनुभूति होती है। यहां मां नर्मदा की गोद और बाबा भोलेनाथ की कृपा से भक्तों को सहज ही फल की प्राप्ति होती है।ओंकारेश्वर भगवान भोले नाथ का एक ऐसा धाम है जहां नर्मदा के कंकर-कंकर में भगवान शिव की अनुभूति होती है।

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नर्मदा के कंकर-कंकर में बस्ते हैं शिव

ऐसा मान्यता है की मां नर्मदा के कंकर-कंकर में शंकर का वास होता है। मां नर्मदा के किनारे स्वयं ओंकारेश्वर स्वयंभू विराजमान हों तो उस दिव्य और भव्य तीर्थ स्थल की महिमा को शब्दों में बयां करना आसान नहीं होता है। हिन्दू धर्म ग्रंथों के अनुसार द्वादश ज्योतिर्लिंगों में शामिल भगवान ओंकारेश्वर की महिमा निराली बताई गई है, जहां शिव भक्त पहले मां नर्मदा में स्नान करते हैं और फिर नर्मदा जल लेकर बाबा ओंकारेश्वर का अभिषेक कर खुद को धन्य समझते हैं।

रात्रि विश्राम करने के लिए ओंकारेश्वर आते हैं भगवान

पौराणिक कथाओं में बताया गया है कि भगवान ने राजा मांधाता की तपस्या से प्रसन्न होकर ओम पर्वत पर राजा को दर्शन दिए थे। जिसके बाद राजा के निवेदन पर ही ओंकारेश्वर शिवलिंग के रूप में पर्वत पर ही विराजमान हो गए। ओंकारेश्वर शिवलिंग स्वयंभू हैं, मान्यता ये भी है कि आज भी भगवान ओंकारेश्वर और माता पार्वती रात्रि विश्राम करने के लिए ओमकारेश्वर आते हैं। भगवान जिस पर्वत पर विराजमान हैं उसमें ओम की आकृति बनती है और इसी के चलते उसे ओंकार पर्वत कहा जाता है।

ओंकारेश्वर में शयन आरती का महत्व

जिस तरह महाकाल मंदिर में भस्म आरती का महत्व है उसी तरह ओंकारेश्वर में शयन आरती का भी विशेष महत्व माना जाता है। श्रद्धालु दूर-दूर से बाबा के दर्शन करने के लिए यहां पहुंचते हैं, आस्था रखने वाले भक्तों का  कहना है कि बाबा बिना मांगे ही उनकी झोली खुशियों से भर देते हैं।

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सावन में भक्तों की लगती है कतार

वैसे तो ओंकारेश्वर महादेव दरबार में ऐसा कोई दिन नहीं जब श्रद्धालुओं की भीड़ ना हो लेकिन सावन में जैसे यहां आस्था का सैलाब उमड़ता है। दूर- दूर से यहां श्रद्धालुओं मां नर्मदा और बाबा ओंकारेश्वर का आशीर्वाद आशीर्वाद लेने पहुंचते हैं।

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