Gauraiya Shagun: गौरैया, जी हां वही छोटी चिड़िया जिसे अंग्रेजी में ‘स्पैरो’ (Sparrow) कहते हैं, मनुष्य के प्राकृतिक जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा रहा है। यह आमतौर पर घरों के आस-पास पाई जाती है। लेकिन पेड़-पौधों की लगातार कटाई, शहरीकरण, बढ़ते प्रदूषण स्तर, उच्च तापमान और निरंतर बढ़ते शोर जैसे अनेक कारणों से आज इस चिर-परिचित पक्षी की आबादी बहुत कम हो गई है।
भारतीय संस्कृति में गौरैया से जुड़ी कई मान्यताएं और प्राचीन परंपराएं है। इस चिड़िया को बहुत शुभ माना जाता है। आइए जानते हैं, घर में और घर के आसपास गौरैया का दिखना परंपरागत रूप से क्या संकेत देता है।
सुखमय जीवन का प्रतीक है गौरैया
हिंदू धर्म की मान्यता के अनुसार गौरैया खुशहाल और सुखमय जीवन का प्रतीक है। घर में या उसके आस-पास गौरैया दिखने का अर्थ है, आप कुशल और व्यवस्थित जीवनयापन कर रहे हैं।
लोककथाओं और कहानियों में भी इसे सुख, समृद्धि और शांति के प्रतीक की तरह चित्रित किया गया है।
शिक्षा और ज्ञान प्रतीक है गौरैया
हिन्दू धर्म में देवी-देवताओं के अपने-अपने वाहन होते हैं। धार्मिक दृष्टि से गौरैया को माता सरस्वती का उप-वाहन माना जाता है। जब देवी सरस्वती का मुख्य राजहंस किसी कारणवश उपलब्ध नहीं होता है, तो देवी सरस्वती गौरैया पर आरूढ़ होकर भ्रमण करती हैं।
इस रूप में गौरैया का दिखना घर में शिक्षा का वास और ज्ञान में वृद्धि का प्रतीक है। उस घर विद्या वास होता है।
घर में गौरैया का घोंसला बनाना
बहुत से घरों में गौरैया अपना घोंसला बना लेते हैं। इससे जुड़ी मान्यता है उस घर पर धन की देवी लक्ष्मी की कृपा है। माता लक्ष्मी उस गृह-स्वामी के ऊपर प्रसन्न होने वाली हैं। उनको अचानक धन लाभ होने वाला है, समृद्धि आने वाली है।
यह भी माना जाता है कि यदि गौरैया ने घर की पूर्व दिशा में घोंसला बनाया है तो ये सुख, समृद्धि, संपन्नता के साथ पद-प्रतिष्ठा और मान-सम्मान दिलाने वाला है।
सुखद पारिवारिक जीवन का प्रतीक है गौरैया
गौरैया के घर में आने को जीवन के साथी के साथ एक सुखद संबंध का प्रतीक माना जाता है। साथ ही इसका अर्थ यह भी होता है कि परिवार के सदस्य एक साथ रहकर मिलकर खुशी और सहमति के साथ जीवन जीने की दिशा में प्रयासरत हैं।
इसके अलावा, गौरैया की चहचहाहट बहुत कर्णप्रिय होती है। जो बच्चों को खुशी देता है। इसलिए घर के पास या घर में गौरैया को देखने अच्छे भाग्य की दिशा में आगे बढ़ने का अवसर के रूप में देखा जाता है।
गौरैया से जुड़ा वास्तुशास्त्र
केवल भारत ही नहीं बल्कि विश्व की अनेक संस्कृतियों में भी गौरैया को शुभता का प्रतीक माना जाता है। वास्तुशास्त्र में भी गौरैया को शुभ माना जाता है।
जहां गौरैया दिखता है, वहां के बारे में वास्तुशास्त्र कहता है, वह भूमि शुभ है। वहां एक भवन (मकान) बनाने से जीवन सुखमय होता है। यह घर को खुशियों से भर देने का संकेत देता है। वहां एक अच्छा गोशाला बनाना फायदेमंद होता है।
पर्यावरण के प्रति जागरूकता का प्रतीक है गौरैया
गौरैया को घर में देखना प्राकृतिक पर्यावरण के प्रति जागरूक होने और वन्यजीवों के प्रति लगाव होने का संकेत देता है।
इससे लोगों को पर्यावरण संरक्षण के महत्व का संदेश मिलता है और उन्हें प्राकृतिक संसाधनों के साथ सही तरीके से जुड़ने के लिए प्रोत्साहित करता है।
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