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Old Vehicle Scrap Policy Update: दिल्ली-एनसीआर में पुराने वाहनों पर लगाए गए बैन (Old Vehicle Scrap Policy Update) को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है। वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग यानी CAQM ने दिल्ली में पुराने वाहनों पर प्रतिबंध (Old Vehicle Scrap Policy Update) को लेकर बड़ा खुलासा किया है। एक RTI के जवाब में CAQM ने माना है कि, इस फैसले के पीछे खुद की कोई रिसर्च नहीं है। इस बैन का आधार NGT और सुप्रीम कोर्ट के आदेश हैं।
RTI के जरिए पूछा गया था सवाल
RTI के तहत पूछे गए सवाल के जवाब में कमीशन फॉर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट (CAAQM) ने स्वीकार किया है कि पुराने वाहनों पर पाबंदी (Old Vehicle Scrap Policy Update) लगाने के पीछे किसी प्रकार का रिसर्च डेटा या स्टडी रिपोर्ट मौजूद नहीं थी।
दिल्ली-NCR में लगी थी रोक
NGT ने 2015 में अपने आदेश में दिल्ली-एनसीआर में 10 साल से पुराने डीज़ल और 15 साल से पुराने पेट्रोल वाहनों के चलने पर रोक (Old Vehicle Scrap Policy Update) लगा दी थी, जिसे बाद में सुप्रीम कोर्ट ने भी बरकरार रखा। अब यह खुलासा ये बड़ा सवाल खड़ा करता है कि बिना साइंटिफिक रिसर्च के लाखों वाहन मालिकों को अपने वाहनों से क्यों वंचित किया गया।
CAQM ने दिया ये जवाब
दरअसल सामाजिक कार्यकर्ता अमित गुप्ता इसे लेकर एक आरटीआई लगाई थी, इसमें उन्होंने पूछा था कि, क्या पुराने वाहन हवा में जहर घोल रहे हैं या नहीं, हां तो किस हद तक घोल रहे हैं और इससे ज्यादा प्रदूषक कारक आर क्या हैं।
इसे लेकर सीएक्यूएम ने लिखित जवाब देते हुए कहा कि- 10 साल पुराने डीजल और 15 साल पुराने पेट्रोल चालित वाहनों पर रोक लगाने से पहले उसने कोई रिसर्च नहीं कराया है।
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पर्यावरण वैज्ञानिकों की राय
सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (CSE) की शोधकर्ता अनुता चौधरी का कहना है कि पुराने वाहनों से उत्सर्जन अधिक होता है, लेकिन बैन से पहले दिल्ली के संदर्भ में ठोस डेटा तैयार होना चाहिए था, ताकि नीति वैज्ञानिक आधार पर बन सके।
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क्या होगा असर
दिल्ली परिवहन विभाग के आंकड़ों के मुताबिक, बैन के बाद करीब 38 लाख पुराने वाहन रजिस्ट्री से हटाए गए। इसके साथ ही वाहन मालिकों को या तो वाहन स्क्रैप कराना पड़ा या एनसीआर से बाहर रजिस्ट्रेशन ट्रांसफर कराना पड़ा। इससे एक ओर प्रदूषण नियंत्रण में मदद का दावा हुआ, तो दूसरी ओर आजीविका और आर्थिक नुकसान के आरोप भी लगे।
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इलेक्ट्रिक वाहन ट्रांज़िशन
बैन ने EV मार्केट को बढ़ावा दिया, लेकिन चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी अभी भी बड़ी समस्या है। टैक्सी और कमर्शियल वाहनों पर सख्ती ज्यादा, लेकिन कुछ श्रेणियों में ढील मिलने से सवाल उठे।
FAQs
सवाल- डीजल- पेट्रोल से चलने वाली 10-15 साल पुरानी गाड़ियों पर पाबंदी का नियम कब और किसके निर्देश पर लागू किया गया है ?
जवाब- NGT ने 2015 में दिल्ली-एनसीआर में 10 साल पुराने डीज़ल और 15 साल पुराने पेट्रोल वाहनों पर बैन लगाया था। 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने इस आदेश को बरकरार रखते हुए दिल्ली में सख्ती से लागू करने के निर्देश दिए। इसके बाद दिल्ली सरकार और ट्रैफिक पुलिस ने वाहनों को जब्त करने और चालान करने की कार्रवाई शुरू की।
सवाल- लेकिन CAQM ने तो एक RTI में दी गई जानकारी में इस फैसले के लिए किसी रिसर्च-अध्ययन की बात से इनकार किया है?
जवाब- आरटीआई के तहत पूछे गए सवाल पर सीएक्यूएम ने जवाब दिया कि, पुराने वाहनों पर प्रतिबंध का निर्णय आयोग की किसी स्वतंत्र स्टडी पर आधारित नहीं है। यह कदम केवल NGT और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का अनुपालन है। इसका मतलब है कि दिल्ली में लाखों वाहन मालिकों को प्रभावित करने वाला यह बड़ा फैसला कोई नई वैज्ञानिक स्टडी या दिल्ली-विशेष डेटा के बिना लिया गया।
सवाल- क्या पुरानी गाड़ियों पर पाबंदी यानी उन्हें जबरिया स्क्रैप करने का निर्णय पूरे देश में लागू हो गया है ?
जवाब- नहीं, पुरानी गाड़ियों पर पाबंदी यानी उन्हें जबरन स्क्रैप करने का फैसला पूरे देश में लागू नहीं हुआ है। NGT और सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सिर्फ दिल्ली-एनसीआर में 15 साल से पुराने पेट्रोल और 10 साल से पुराने डीज़ल वाहनों पर पूरी तरह बैन है। यहां ऐसे वाहन न तो सड़क पर चल सकते हैं, न ही उनका रजिस्ट्रेशन रिन्यू हो सकता है। RTO इन्हें फिटनेस सर्टिफिकेट भी नहीं देता, जिससे आखिरकार इन्हें स्क्रैप करना पड़ता है। कई राज्यों में इसे लेकर कोई सख्त समयसीमा नहीं है, लेकिन वाहन की फिटनेस टेस्ट में फेल होने पर ही उन्हें सड़क से हटाया जाता है।
सवाल- दिल्ली में इस फैसले का जबरदस्त विरोध होने पर राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से राहत के लिए कोई याचिका लगाई है ?
जवाब- हां, दिल्ली की बीजेपी सरकार ने 10 साल से पुराने डीजल वाहनों और 15 साल से पुराने पेट्रोल वाहनों पर बैन को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। जिसमें 10 साल से ज़्यादा पुराने डीज़ल वाहनों और 15 साल से ज़्यादा पुराने पेट्रोल वाहनों पर रोक के 2018 के आदेश पर फिर से विचार करने की अपील की है। याचिका में दिल्ली सरकार ने कहा है कि BS-6 मानक वाले वाहन, पुराने BS-4 वाहनों की तुलना में कम प्रदूषण फैलाते हैं। इसलिए केवल उम्र के आधार पर वाहनों पर बैन लगाना सही नहीं है।
सवाल- इस मामले में ऑटोमोबाइल एक्सपर्ट का क्या कहना है, क्या 10-15 साल पुरानी हर गाड़ी प्रदूषण फैलाती है ?
जवाब- फेडरेशन ऑफ ऑटोमोबाइल डीलर्स एसोसिएशन (FADA) का मानना है कि बिना स्थानीय रिसर्च के अचानक बैन ने सेकंड-हैंड मार्केट को नुकसान पहुंचाया और कई लोगों को आर्थिक झटका दिया। केवल उम्र के आधार पर वाहनों पर बैन लगाना सही नहीं है। 10–15 साल पुरानी हर गाड़ी प्रदूषण नहीं फैलाती, ये गाड़ियों की मेंटेनेंस और टेक्नॉलजी पर डिपेंड करता है। यानी सिर्फ वाहनों की उम्र नहीं, कंडीशन मायने रखती है कई विंटेज कारें या अच्छे से मेंटेन की गई पुरानी SUV भी उत्सर्जन मानकों में पास हो जाती हैं।
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