नई दिल्ली। विदेशी बाजारों में तेजी के रुख के बीच दिल्ली तेल-तिलहन बाजार में बुधवार को सरसों, सोयाबीन, बिनौला और सीपीओ सहित विभिन्न खाद्य तेल-तिलहन कीमतों में सुधार आया। मूंगफली सहित बाकी तेल-तिलहनों के भाव अपरिवर्तित रहे। बाजार सूत्रों ने कहा कि देश में आयात शुल्क में कमी होने के बाद विदेशों में तेल-तिलहनों के भाव मजबूत होने से यहां तेजी देखने को मिल रही है। उन्होंने कहा कि शुल्क घटाने से पहले वायदा कारोबार में सीपीओ के अक्टूबर डिलिवरी वाले अनुबंध का भाव 115 रुपये किलो था जो अभी 113.50 रुपये किलो है जबकि आयात शुल्क 13 रुपये प्रति किलो घटाया गया है। इससे उपभोक्ताओं को कोई विशेष फायदा तो नहीं हुआ, उल्टे सरकार को राजस्व की हानि हुई है।
उन्होंने कहा कि मलेशिया एक्सचेंज के मजबूत होने से सीपीओ और पामोलीन तेल के भाव तेज हुए हैं। सूत्रों ने कहा कि आत्मनिर्भर होने के लिए शुल्क कम ज्यादा करने के बजाय तिलहन उत्पादन बढ़ाना ही एकमात्र विकल्प हो सकता है। उन्होंने कहा कि सरकार को शुल्क कम ज्यादा करने के बजाय अगर गरीब जनता को सही में राहत ही देनी है, तो उसे तेल आयात कर सीधे पीडीएस के माध्यम से उन्हें खाद्य तेल उपलब्ध कराना चाहिये क्योंकि आयात शुल्क में जितनी कटौती की गई होती है, खुदरा कारोबार में भाव पहले की तरह बनाये रखे जाते हैं और कोई विशेष लाभ उपभोक्ताओं को नहीं मिलता। लेकिन पीडीएस के माध्यम से तेल उपलब्ध हो तो गरीब जनता को इसका सीधा लाभ मिल सकता है।
उन्होंने कहा कि मलेशिया का निर्यात अभी नीचे है लेकिन शुल्क कटौती के बाद वहां बाजार मजबूत हो गये हैं। सूत्रों ने कहा कि पिछले लगभग दो-तीन महीने में सरकार ने सोयाबीन पर आयात शुल्क में लगभग 38 रुपये किलो के हिसाब से शुल्क घटाया है जिसका समुचित लाभ उपभोक्ताओं को नहीं पहुंचा है। इससे देश को विदेशी मुद्रा की हानि तो होती ही है, तिलहन उत्पादन किसानों को भी तिलहन भाव की अनिश्चितता को लेकर झटका लगता है। सूत्रों ने कहा कि त्योहारी और सर्दियों की मांग बढ़ने के बीच सरसों की किल्लत है। मांग के मुकाबले सरसों की उपलब्धता आधी से भी कम है। गरीब लोग तो सरसों छोड़कर पामोलीन खा रहे हैं और अब उन्हें शायद अगली फसल के बाद ही सरसों उपलब्ध हो। उन्होंने कहा कि सलोनी शम्साबाद में सरसों का भाव 9,200 रुपये से बढ़ाकर 9,350 रुपये क्विंटल कर दिया गया। इससे सरसों में सुधार है।
उन्होंने कहा कि चालू सत्र में सरसों के अनुभव से सबक लेते हुए सरकार को सरसों की अगली फसल की खरीद के दौरान इस तिलहन के 5-10 लाख टन का स्थायी स्टॉक बनाकर रखना चाहिये क्योंकि सरसों तिलहन दो तीन साल खराब नहीं होता। सरसों का कोई विकल्प नहीं है। उन्होंने कहा कि पंजाब और हरियाणा की मांग के कारण बिनौला तेल के भाव भी सुधार के साथ बंद हुए। उन्होंने कहा कि मूंगफली का तेल महाराष्ट्र और गुजरात में प्रचलन में है और उत्तर भारत में इसका चलन काफी कम है। सामान्य कारोबार के बीच मूंगफली तेल-तिलहन के भाव पूर्ववत रहे। सूत्रों ने कहा कि देश में सोयाबीन के तेल रहित खल (डीओसी) की निर्यात मांग कम हुई है। इस वजह से सोयाबीन तिलहन के भाव भी पूर्ववत ही बंद हुए।
उन्होंने कहा कि बेमौसम बरसात से कुछ तिलहन फसलों (मूंगफली और सोयाबीन) के प्रभावित होने की सूचना मिल रही है जबकि मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में बिजाई वाली सरसों की फसल के बड़े भूभाग के प्रभावित होने की सूचना है। जिसका ब्योरा एकत्रित किया जा रहा है।
बाजार में थोक भाव इस प्रकार रहे- (भाव- रुपये प्रति क्विंटल)
सरसों तिलहन – 8,920 – 8,950 (42 प्रतिशत कंडीशन का भाव) रुपये।
मूंगफली – 6,285 – 6,370 रुपये।
मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात)- 14,300 रुपये।
मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड तेल 2,080 – 2,210 रुपये प्रति टिन।
सरसों तेल दादरी- 18,100 रुपये प्रति क्विंटल।
सरसों पक्की घानी- 2,720 -2,760 रुपये प्रति टिन।
सरसों कच्ची घानी- 2,795 – 2,905 रुपये प्रति टिन।
तिल तेल मिल डिलिवरी – 15,500 – 18,000 रुपये।
सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 14,100 रुपये।
सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 13,700 रुपये।
सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 12,550 सीपीओ एक्स-कांडला- 11,350 रुपये।
बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 13,950 रुपये।
पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 13,100 रुपये।
पामोलिन एक्स- कांडला- 11,950 (बिना जीएसटी के)।
सोयाबीन दाना 5,425 – 5,625, सोयाबीन लूज 5,175 – 5,275 रुपये।
मक्का खल (सरिस्का) 3,825 रुपये।