Delhi RTI: दिल्ली के सरकारी विद्यालयों में 2022-23 में विद्यार्थियों की संख्या 27,580 थी, जो 2023-24 में बढ़कर 28,922 हो गई। नयी दिल्ली के सरकारी विद्यालयों में 2022-23 में विद्यार्थियों की संख्या 1605 थी, जो 2023-24 में घटकर 1452 हो गई है। शिक्षा निदेशालय के एक अधिकारी ने नाम गुप्त रखने की शर्त पर बताया, ”दिल्ली के सरकारी विद्यालयों में कोविड-19 के दौरान ज्यादा दाखिले हुए लेकिन निजी विद्यालयों के खुलने के बाद बच्चों की संख्या में कमी आई है।
आरटीआई के मुताबिक
उन्होंने बताया कि बच्चों का फेल होना भी विद्यार्थियों की संख्या में कमी की एक वजह है। आरटीआई ( RTI )जवाब के मुताबिक, पिछले चार वर्षों के आंकड़ों को देखें तो कोरोना वायरस महामारी से पहले सरकारी विद्यालयों के अकादमिक सत्र 2019-20 में विद्यार्थियों की संख्या 15,05,525 थी, जो 2020-21 कोविड के दौर में बढ़कर 16,28,744, वर्ष 2021-22 में 17,68,911, वर्ष 2022-23 में 17,89,385 दर्ज की गई थी।
विद्यार्थियों की संख्या से भी कम
आरटीआई जवाब के अनुसार, 12वीं कक्षा में पढ़ने वाले विद्यार्थियों की संख्या की बात करें तो 2022-23 में विज्ञान विषय में विद्यार्थियों की संख्या 21,285 थी, जो 2023-24 में 21,465 हो गई। वहीं कॉमर्स विषय में 2022-23 में विद्यार्थियों की संख्या 33,006 थी, जो 2023-24 में घटकर 26,721 रह गई। सबसे ज्यादा हैरान कर देने वाले आंकड़े आर्ट्स विषय के हैं, जहां पूरी दिल्ली में 2022-23 में ऐसे विद्यार्थियों की कुल संख्या 1,74,419 थी, जो 2023-24 में घटकर 1,06,785 रह गई। यह संख्या 2020-21 के अकादमिक सत्र में विद्यार्थियों की संख्या से भी कम है।
दिल्ली शिक्षा निदेशालय के निदेशक डॉ. हिमांशु गुप्ता से इस बारे में प्रतिक्रिया लेने के लिए बार-बार संपर्क किया गया लेकिन उनसे सम्पर्क नहीं हो पाया। वहीं दिल्ली की शिक्षा मंत्री आतिशी से भी बार-बार संपर्क किए जाने पर कोई जवाब नहीं मिला। ‘ऑल इंडिया पेरेंट्स एसोसिएशन’ के अध्यक्ष एवं दिल्ली उच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता अशोक अग्रवाल ने कहा कि दिल्ली के सरकारी विद्यालयों में बच्चों की संख्या कम होने के पीछे का सबसे बड़ा कारण पढ़ाई की खराब व्यवस्था है।
बच्चों की पढ़ाई पर पड़ रहा है बुरा प्रभाव
अग्रवाल ने कहा, ‘पढ़ाई का खराब स्तर, सरकारी विद्यालयों में नियमित शिक्षकों की कमी और बुनियादी जरूरतों के आभाव जैसी कई समस्याएं हैं, जिनकी वजह से बहुत से बच्चों ने सरकारी विद्यालय छोड़कर फिर से निजी विद्यालयों का रुख किया है। सोशल ज्यूरिस्ट अग्रवाल ने दिल्ली की आम आदमी पार्टी (आप) सरकार पर आरोप लगाया कि सरकार के अधिकारी प्रत्येक सप्ताह आकलन के नाम पर सभी विद्यालयों के प्रधानाचार्यों और प्रत्येक स्कूल से चार-पांच शिक्षकों को ऑडिटोरियम में बुलाकर कार्यक्रमों में व्यस्त कर लेते हैं, जिसकी वजह से कहीं न कहीं बच्चों की पढ़ाई पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है।
उन्होंने कहा, एक तो वैसे ही दिल्ली के सरकारी विद्यालयों में नियमित और पात्र शिक्षक मौजूद नहीं हैं और जो हैं, उन्हें इस तरह के कार्यक्रमों में बुला लिया जाता है, जिस वजह से विद्यालयों में सही ढंग से न तो निगरानी हो पा रही है न ही पढ़ाई। अग्रवाल ने कहा कि इस तरह की प्रथा को समाप्त किया जाना चाहिए और बच्चों की शिक्षा के बुनियादी ढांचे को मजबूत बनाया जाना चाहिए।
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