हाइलाइट्स
- मेडिकल कॉलेज की छात्रा ने भरा 81 लाख का हर्जाना
- तीन साल तक काउंसलिंग पर भी रोक
- इंदौर हाई कोर्ट ने मांगा जवाब
Indore MBBS PG Course: मध्यप्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर (Indore MBBS PG Course) के एक निजी मेडिकल कॉलेज में पीसी कोर्स में दाखिला लेने वाली एक NRI कैटेगरी की छात्रा को 81 लाख रुपए बतौर जुर्माना जमा करना पड़ा। दरअसल, डॉ. रितिका माहेश्वरी नाम की छात्रा ने किन्हीं कारणों की वजह से बीच में ही अपनी सीट छोड़ दी थी।
इसके बाद चिकित्सा शिक्षा विभाग (Indore MBBS PG Course) ने नियमों का हवाला देते हुए छात्रा पर 81 लाख रुपए जुर्माने के साथ तीन साल तक पीजी की काउंसलिंग में बैठने पर रोक लगा दी थी, जिसके बाद छात्रा ने इस फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी। उच्च न्यायालय ने याचिका पर मध्यप्रदेश सरकार को नोटिस जारी किए हैं।
सरकार पर हाई कोर्ट का सख्त रूख
इंदौर हाई कोर्ट की बेंच ने तीन बार चिकित्सा शिक्षा विभाग (Indore MBBS PG Course) से जवाब मांगा, जिसके लिए उन्हें भरपूर समय भी दिया गया। मगर सरकार ने इसपर कोई जवाब नहीं दिया। इसके बाद उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार से कड़े लगजे में कहा कि इस संबंध में जो भी नियम हो, 14 अगस्त 2024 तक इसका जवाब हाई कोर्ट में पेश करें। साथ ही न्यायालय ने कहा कि अगर 14 अगस्त 2024 तक इसका जवाब नहीं देते हैं तो स्वयं डायरेक्टर ऑफ मेडिकल एजुकेशन को न्यायालय में जवाब देने के लिए हाजिर होना पड़ेगा।
छात्रा ने ये दिया तर्क
चिकित्सा शिक्षा विभाग के नियम (Indore MBBS PG Course) को चुनौती देते हुए छात्रा डॉ. रितिका माहेश्वरी ने 2023 में अधिवक्ता आदित्य सांघी के माध्यम से हाई कोर्ट में एक याचिका दायर की थी। छात्रा का कहना है कि MBBS पासआउट स्टूडेंट किन्हीं कारणों से बीच में पीजी की पढ़ाई छोड़ देते हैं तो उससे वह सीट खाली करने के बदले हर्जाना वसूला जाता है।
डॉ. रितिका माहेश्वरी का कहना है कि इस नियम के तहत मैंने भी 81 लाख रुपए हर्जाना चुकाया है। अब मुझे फिर से पीजी करना है, लेकिन एग्जाम क्लीयर करने के बाद भी मेरी काउंसलिंग पर 3 साल का बैन क्यों लगा? इसको लेकर छात्रा का कहना है कि अगस्त में पीजी एग्जाम और उसके बाद काउंसलिंग है, अगर इसपर तत्काल कोई कदम नहीं उठाया गया तो 2024 में भी उसे मौका नहीं मिल पाएगा।
एक गलती की दो जैसे कैसे?
दरअसल, इंदौर के आरडी गार्डी मेडिकल कॉलेज (Indore MBBS PG Course) में एनआईआर कैटेगरी में एडमिशन लेने वाली छात्रा डॉ. रितिका माहेश्वरी ने MBBS के बाद पीजी एग्जाम दिया था। उन्हें 2022 में पीजी कोर्ट में दाखिला भी मिल गया था, लेकिन कुछ समय बाद किसी निजी कारणों से उन्हें यह सीट छोड़नी पड़ी थी।
इसको लेकर सरकार का नियम है कि सरकारी या निजी कॉलेज (Indore MBBS PG Course) में सिलेक्शन होने के बाद सीट खाली करने पर खर्च स्वयं विद्यार्थी को उठाना पड़ेगा। साथ ही वह अगले तीन वर्ष तक किसी भी एग्जाम की काउंसलिंग नहीं दे पाएगा। हालांकि, कोर्स पूरा होने से पहले ही सीट खाली करने वाली डॉ. रितिका के परिवार ने 81 लाख रुपए हर्जाने में भर दिए हैं।
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