Assam Assembly Namaz Break: असम की विधानसभा में हर शुक्रवार को नमाज के लिए मिलने वाला 2 घंटे का ब्रेक अब नहीं मिलेगा। हिमंत बिस्व सरमा सरकार ने इस ब्रेक को खत्म कर दिया है। ये फैसला असम विधानसभा के मौजूदा सत्र के आखिरी दिन लिया गया। सीएम सरमा ने औपनिवेशिक बोझ के एक और अवशेष को हटाने के लिए प्रशासन की सराहना की।
मुस्लिम लीग सरकार के 87 वर्ष पुराने नियम को आज असम विधानसभा के माननीय सदस्यों ने ख़ारिज किया। pic.twitter.com/JqhQwWD9sL
— Himanta Biswa Sarma (@himantabiswa) August 30, 2024
सीएम हिमंत ने X पर क्या लिखा ?
असम विधानसभा की उत्पादकता को बढ़ाने के उद्देश्य से राज्य के औपनिवेशिक बोझ को हटाने के लिए, प्रति शुक्रवार सदन को जुम्मे के लिए 2 घंटे तक स्थगित करने के नियम को रद्द किया गया।
यह प्रथा 1937 में मुस्लिम लीग के सैयद सादुल्लाह ने शुरू की थी।
भारत के प्राचीन धर्मनिरपेक्ष मूल्यों…
— Himanta Biswa Sarma (@himantabiswa) August 30, 2024
मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने X पर इस फैसले की तारीफ करते हुए लिखा कि असम विधानसभा की प्रोडक्टिविटी को बढ़ाने के उद्देश्य से राज्य के औपनिवेशिक बोझ को हटाने के लिए, हर शुक्रवार सदन को जुम्मे के लिए 2 घंटे तक स्थगित करने के नियम को रद्द किया गया। यह प्रथा 1937 में मुस्लिम लीग के सैयद सादुल्लाह ने शुरू की थी।
उन्होंने आगे कहा कि भारत के प्राचीन धर्म निरपेक्ष मूल्यों को कायम रखने के इस कोशिश के लिए असम विधानसभा के माननीय सभापति विश्वजीत दैमारी और माननीय सदस्यों को मेरा आभार।
मंत्री पीयूष बोले- मील का पत्थर
असम सरकार के मंत्री पीयूष हजारिका ने सरकार के इस फैसले को लेकर कहा कि असम में सच्ची धर्मनिरपेक्षता को फिर से हासिल करने के लिए एक अहम मील का पत्थर। असम विधानसभा ने हर शुक्रवार को जुम्मा की नमाज के लिए 2 घंटे के ब्रेक की प्रथा को खत्म कर दिया है। यह प्रथा औपनिवेशिक असम में सादुल्लाह की मुस्लिम लीग सरकार की ओर से शुरू की गई थी।
ये फैसला ऐसे समय आया है, जब राज्य विधानसभा की ओर से राज्य में कुछ ऐतिहासिक संरचनाओं के आसपास ‘विरासत बेल्ट और ब्लॉक’ को नोटिफाई करने के लिए असम भूमि और राजस्व विनियमन (दूसरा संशोधन) विधेयक पारित किया गया है।
मुस्लिमों के लिए शादी-तलाक का रजिस्ट्रेशन कराना जरूरी
असम विधानसभा में शुक्रवार को 90 साल पुराने कानून असम मुस्लिम मैरिज एंड डिवोर्स रजिस्ट्रेशन एक्ट 1935 को रद्द करने के लिए बिल पास किया गया था। इस बिल का नाम असम कंपल्सरी रजिस्ट्रेशन ऑफ मुस्लिम मैरिज एंड डिवोर्स बिल 2024 है। पुराना कानून रद्द होने के बाद मुस्लिम समाज के लोगों को शादी और तलाक का रजिस्ट्रेशन कराना जरूरी होगा। असम कैबिनेट ने 22 अगस्त को इस बिल को मंजूरी दी थी।
बिल में 2 स्पेशल प्रावधान
1. अब काजी नहीं सरकार मुस्लिम शादी का रजिस्ट्रेशन करेगी।
2. बाल विवाह का रजिस्ट्रेशन अवैध माना जाएगा।
अगला टारगेट बहुविवाह पर बैन
असम के सीएम हिमंत बिस्व सरमा ने कहा कि ये विधेयक पार्टी की राजनीति से ऊपर है। अब हमारा अगला लक्ष्य बहुविवाह पर बैन लगाना है। वहीं विपक्ष ने असम सरकार के इस फैसले को मुस्लिमों के प्रति भेदभावपूर्ण बताया है। विपक्ष ने कहा कि चुनावी साल में वोटर्स का ध्रुवीकरण करने के लिए इस एक्ट को लाया गया है।
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सीएम सरमा बोले- हम काजी सिस्टम खत्म करना चाहते हैं
सदन में इस बिल पर चर्चा करते हुए मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने कहा कि हमारा उद्देश्य सिर्फ बाल विवाह खत्म करना नहीं है। हम काजी सिस्टम भी खत्म करना चाहते हैं। हम मुस्लिम शादी और तलाक को सरकारी तंत्र के तहत लाना चाहते हैं। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक सभी शादियों का रजिस्ट्रेशन किया जाना जरूरी है, लेकिन ऐसा करने के लिए राज्य काजियों जैसी निजी संस्था को सपोर्ट नहीं कर सकता।