Nov Panchak 2023: हिन्दू पंचांग के अनुसार 22 नवंबर बुधवार यानि आज से पंचक शुरू हो गए हैं। इसके दूसरे दिन यानि कल गुरूवार को तुलसी विवाह (Tulsi Vivah) है। वैसे तो पंचकों में शुभ काम वर्जित माना जाता है।
लेकिन इस बार पंचकों के बीच में ही तुलसी विवाह यानि देव उठनी एकादशी (Tulsi Vivah) भी आ रही है। ऐसे में जानते हैं कि क्या इस दौरान कोई शुभ काम किया जा सकता है। जानते हैं पंडित राम गोविंद शास्त्री से। लेकिन इस बार देखने वाली बात ये होगी कि पंचकों में माता तुलसी और भगवान सालिक राम का विवाह होगा।
नवंबर में इस दिन से शुरू हो रहे हैं पंचक
ज्योतिषाचार्य पंडित राम गोविंद शास्त्री के अनुसार इस माह यानि नवंबर में पंचकों की शुरूआत तुलसी विवाह के दो दिन पहले हो गई है। इस साल तुलसी विवाह यानि देव उठनी एकादशी 23-24 नवंबर को है। यानि इसके दो दिन पहले 21 नवंबर से पंचकों की शुरूआत हो चुकी है। कल 21 नवंबर की रात 1:17 मिनट से पंचको की शुरुआत हो चुकी है। जिनकी समाप्ति 24 नवंबर को शाम 4:09 को होगी।
मंगलवार को शुरू हो रहे हैं अग्नि पंचक
हिन्दु पंचांग के अनुसार इस बार नवंबर में पंचकों की शुरूआत मंगलवार से हो गई है। इसलिए इस बार के पंचक अग्नि पंचक कहलाएंगे। पंचकों के शुरू होने वाले दिनों के आधार पर उनका नाम रखा जाता है।
ऐसे होती है पंचक की गिनती
ज्योतिषाचार्यों की मानें तो कहने तो पंचक पांच दिन के होते हैं, लेकिन ज्योतिषीय गणना के अनुसार नक्षत्र साढ़े चार दिन के नक्षत्र होते हैं। जिनमें से घनिष्ठा नक्षत्र का आधा नक्षत्र गिना जाता है। इसके बाद चार नक्षत्र गिनकर पंचक बनते हैं।
आखिर क्या होते हैं पंचक
ज्योतिष में कुछ नक्षत्रों को अत्यंत अशुभ मानते हुए उसमें कोई भी शुभ कार्य की शुरुआत नहीं की जाती है। ज्योतिष के अनुसार धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वा भाद्रपद, उत्तरा भाद्रपद एवं रेवती समेत पांच नक्षत्रों की युति अत्यंत ही अशुभ मानी जाती है।
ज्योतिष के अनुसार कुंभ और मीन राशि में चंद्रमा को गोचर पंचक कहलाता है। ऐसा माना जाता है कि पंचकों में घर के किसी सदस्य की मृत्यु होने पर परिवार को भी मृत्यु तुल्य कष्ट को भोगना पड़ता है।
कितने प्रकार का होता है पंचक
पंचांग के अनुसार यदि पंचक रविवार को पड़े तो रोग पंचक और सोमवार को पड़े तो राज पंचक कहलाता है। इसी प्रकार यदि पंचक मंगलवार को पड़े तो अग्नि पंचक और शुक्रवार को पड़े तो चोर पंचक कहलाता है। जबकि शनिवार के दिन पड़े वाले पंचक को मृत्यु पंचक कहा जाता है। इसके अलावा बुधवार और गुरुवार को सोमवार और मंगलवार के पंचक को माना जा सकता है।
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