Notice Against Kangna Ranaut: भारतीय जनता पार्टी (BJP) की सांसद और अभिनेत्री कंगना रनौत (Kangna Ranaut Notice) अपने विवादित बयानों के कारण लगातार मुश्किलों में घिरती जा रही हैं। जबलपुर कोर्ट ने उन्हें एक विवादित बयान के सिलसिले में नोटिस भेजा है। कंगना रनौत पर स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के अपमान का आरोप है। इस मामले में अगली सुनवाई 5 नवंबर को होगी। शिकायतकर्ता अधिवक्ता अमित साहू का मानना है कि कंगना का बयान देश के स्वतंत्रता आंदोलन में योगदान देने वाले अमर सेनानियों का अपमान है।
इस बयान को लेकर जारी हुआ नोटिस
नवंबर 2021 में, कंगना रनौत ने एक कार्यक्रम में विवादित बयान दिया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि “असली आजादी हमें 2014 में मिली, 1947 में तो भीख मिली थी।” इस बयान के खिलाफ अधिवक्ता अमित साहू ने जबलपुर डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में शिकायत दर्ज की थी। उन्होंने अदालत को बताया कि एक सेलिब्रिटी होने के नाते, कंगना का यह बयान शर्मसार करने वाला है। न्यायिक दंडाधिकारी प्रथम श्रेणी विश्वेश्वरी मिश्रा की अदालत ने मामले की सुनवाई की और माना कि कंगना का बयान सही नहीं है।
कंगना ने क्या कहा था
2021 में एक राष्ट्रीय मीडिया नेटवर्क के शिखर सम्मेलन में कंगना गेस्ट स्पीकर थीं। इसी दौरान उन्होंने भारत के स्वतंत्रता संग्राम के बारे में सावरकर, लक्ष्मीबाई और नेताजी बोस को याद करते हुए कहा था कि ‘ये लोग जानते थे कि खून बहेगा, लेकिन यह हिंदुस्तानी खून नहीं होना चाहिए। वे इसे जानते थे। बेशक, उन्हें एक पुरस्कार दिया जाना चाहिए। वह आजादी नहीं थी, वो भीख थी। हमें 2014 में असली आजादी मिली है।
इन बयानों के चलते भी विवाद में रहीं कंगना
कंगना रनौत चुनाव से पहले और चुनाव के बाद भी कई विवादित बयान दे चुकी हैं। जिसपर उन्हें माफी भी मांगनी पड़ी है। हिमाचल प्रदेश में एक कार्यक्रम के दौरान तीन कृषि कानूनों को फिर से लागू करने की मांग की थी। उन्होंने कहा कि किसानों को खुद इन कानूनों की मांग करनी चाहिए और सरकार को इन्हें वापस लाना चाहिए ताकि किसानों की समृद्धि में कोई ब्रेक न आए। हालांकि, बाद में उन्होंने अपने बयान पर माफी मांग ली और कहा कि यदि उनके शब्दों से किसी को निराशा हुई है तो वे अपने शब्द वापस लेती हैं।
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एक बार फिर मांगी माफी
इसी तरह अगस्त महीने में कंगना ने किसान आंदोलन को बदनाम करते हुए कहा था कि वहां उपद्रवी हिंसा फैला रहे थे। उस जगह पर रेप और हत्याएं हो रही थीं। अगर हमारा शीर्ष नेतृत्व मजबूत नहीं रहता तो किसान आंदोलन के दौरान पंजाब को भी बांग्लादेश बना दिया जाता। इस बयान पर भी कंगना का माफी मांगनी पड़ी।
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