मुंबई। अभिनेत्री मधु ने कहा कि उन्होंने 90 के दशक में अपने करियर के चरम पर फिल्म उद्योग छोड़ने का फैसला इसलिए किया क्योंकि वह मिल रही भूमिकाओं से नाखुश थीं। ‘रोजा’, ‘योद्धा’, ‘जालिम’ और ‘यशवंत’ जैसी विभिन्न भाषाओं की फिल्मों में अपने अभिनय की छाप छोड़ने वाली अभिनेत्री ने कहा कि 90 के दशक में हिंदी फिल्मों में एक्शन कहानियों और नायकों का बोलबाला था।
फूल और कांटे में आए थे नजर
वर्ष 1991 में फिल्म ‘फूल और कांटे’ से बॉलीवुड स्टार अजय देवगन के साथ रूपहले पर्दे पर पदापर्ण करने वाली मधु ने कहा,”मुझे अजय देवगन की मां का किरदार निभाने में कोई रूचि नहीं है और यह एक संभावित परिदृश्य है।” मधु (54) ने चेन्नई में आयोजित प्राइम वीडियो के ‘मैत्री: फीमेल फर्स्ट कलेक्टिव’ के एक सत्र के दौरान कहा, ‘हम दोनों ने एक साथ फिल्म जगत में शुरुआत की थी और हम हमउम्र हैं। ‘
रोजा के बाद नहीं मिली सही फिल्म
मधु ने कहा, ”90 के दशक के दौरान, हर तरफ एक्शन फिल्मों और नायकों की बात होती थी और मेरी भूमिकाओँ में मुख्य रूप से नृत्य करना, कुछ प्रेम भरी लाइनें बोलना और माता-पिता के साथ आंसू बहाना शामिल था। मैनें नृत्य करने का आनंद लिया, लेकिन मैंने महसूस किया किया कि ”रोजा” जैसी फिल्म के बाद ऐसी भूमिकाओं को निभाने को लेकर मैं नाखुश थी।”अभिनेत्री ने कहा कि जब वह हिंदी सिनेमा में काम कर रही थीं तो वह अक्सर ‘असंतोष की भावना’ से जूझती थीं और अंत में इसी वजह से उन्होंने फिल्म जगत को छोड़ दिया।
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