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Nobel Prize 2024: 2024 के नोबेल प्राइज की घोषणा आज से शुरू हो गई है। घोषणा के पहले दिन आज मेडिसिन (चिकित्सा) क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार (Nobel Prize 2024) की घोषणा की गई है। साल 2024 का नोबेल प्राइज विक्टर एंब्रोस (Victor Ambros) और गैरी रुवकुन (Gary Ruvkun) को दिया जा रहा है। दोनों को माइक्रो आरएनए (Micro RNA) की खोज के लिए दिला रहे हैं।
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यह सम्मान पिछले साल यानी 2023 में कैटालिन कारिको और ड्रू वीसमैन को चिकित्सा का नोबेल दिया गया था।
MICRO RNA की खोज क्यों महत्वपूर्ण
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माइक्रो RNA से पता चलता है कि शरीर में सेल्स कैसे बनते और काम करते हैं। दोनों जीन वैज्ञानिकों ने 1993 में माइक्रो RNA की खोज की थी। इंसान का जीन DNA और RNA से बना होता है। माइक्रो RNA मूल RNA का ही हिस्सा होता है। ये पिछले 50 करोड़ सालों से बहुकोशिकीय (मल्टीपल सेल) जीवों के जीनोम में विकसित हुआ है। बता दें अब तक इंसानों में अलग-अलग तरह के माइक्रो RNA के एक हजार से ज्यादा जीन की खोज हो चुकी है।
क्या करते हैं माइक्रो आरएनए
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- माइक्रो RNA में असाधारण बदलाव होने की वजह से कैंसर, डायबिटीज जैसी बीमारियां होने का खतरा रहता है।
- माइक्रो RNA की जीन कोडिंग में म्यूटेशन होने की वजह से इंसान के शरीर में सुनने की क्षमता, आंखों और शारीरिक बनावट में समस्या पैदा होती है।
नोबेल प्राइज 2024 का कार्यक्रम
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2023 में न्यूक्लियोसाइड बेस की खोज के लिए मिला था सम्मान
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यह सम्मान (Nobel Prize) पिछले साल यानी 2023 में कैटालिन कारिको और ड्रू वीसमैन को चिकित्सा का नोबेल दिया गया था। 2023 में न्यूक्लियोसाइड बेस संशोधनों से संबंधित उनकी खोजों के लिए यह सम्मान दिया गया था। इस खोज की वजह से कोरोनावायरस यानी सीओवीआईडी-19 के खिलाफ प्रभावी एमआरएनए टीकों के विकास में मदद मिली थी।
मेडिसिन में 2022 में इन्हें मिला था नोबेल
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स्वीडन के वैज्ञानिक स्वांते पैबो को वर्ष 2022 में फिजियोलॉजी या मेडिसिन के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। उन्हें यह पुरस्कार विलुप्त होमिनिन और मानव विकास से जुड़ी आनुवांशिकी (जीनोम) खोजों के लिए दिया गया था।
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2021 में इन्हें मिला था नोबेल
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साल 2021 में चिकित्सा के नोबेल पुरस्कार से दो अमेरिकी वैज्ञानिकों - डेविड जूलियस और आर्डेम पैटापूटियम को सम्मानित किया गया था। उन्हें यह पुरस्कार शरीर के तापमान, दबाव और दर्द के रिसेप्टर्स की खोज करने के लिए दिया गया था। डेविड जूलियस कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय में प्रोफेसर थे, जबकि आर्डेम पैटापूटियम अर्मेनियाई मूल के अमेरिकी नागरिक हैं और ला जोला के स्क्रिप्स इंस्टीट्यूट में वैज्ञानिक थे।
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