Advertisment

Nissan अब हो जाएगी भारत में बंद: अस्तित्व बचाने के लिए संघर्ष कर रही जापानी कार कंपनी

Nissan India Operations Struggle Update जापान की तीसरी सबसे बड़ी ऑटो कंपनी निसान मोटर्स कॉर्प भारत में मैगनाइट और एक्स-ट्रेल जैसी कारें बेचने के लिए फेमस है।

author-image
Shashank Kumar
Nissan

Nissan India Crisis: जापान की तीसरी सबसे बड़ी ऑटो कंपनी निसान मोटर्स कॉर्प भारत में मैगनाइट और एक्स-ट्रेल जैसी कारें बेचने के लिए फेमस है। हालांकि अब यह ऑटोमोबाइल कंपनी देश में अपना अस्तित्व बचाने के लिए संघर्ष कर रही है।

Advertisment

इसका कारण है फेंच कंपनी रेनो ने निसान में हिस्सेदारी आधी से भी कम 15% कर ली है, जो पहले 43% थी। फिलहाल कंपनी की हालत इतनी खराब है कि यदि 12-14 महिने में कोई मजबूत निवेशक नहीं मिला तो निसान का ऑपरेशन चालू रखना मुश्किल हो जाएगा।

निसान के पास सिर्फ सालभर का समय

बता दें, 2002 में निसान में रेनो की हिस्सेदारी 43% थी, लेकिन कंपनी का यह बड़ा सपोर्ट अब खत्म होता दिख रहा है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, भारत में कंपनी का अस्तित्व बचाने के लिए सिर्फ एक साल का वक्त बचा है।

इसीलिए निसान बैंक और इंश्योरेंस कंपनी जैसे संस्थागत निवेशकों की तलाश में है। हालांकि बताया जा रहा है कि सिंगापुर की एफिसिमो कैपिटल मैनेजमेंट और हॉन्गकॉन्ग के ओएसिस मैनेजमेंट जैसे निवेशकों ने ऑटो कंपनी में इंटरेस्ट दिखाई है।

Advertisment

इसी महिने किया था 9000 कर्मचारियों को कंपनी से बाहर

Nissan

इसी महिने के शुरुआत में निसान ने एक बड़ा कदम उठाया और एक साथ 9,000 कर्मचारियों को नौकरी से निकालने का ऐलान कर दिया। एक रिपोर्ट के अनुसार, निसान ने वित्त वर्ष 2024-25 के लिए सेल्स के पूर्वानुमान को भी कम किया, जिसके परिणाम में कंपनी ने ये कदम उठाया। इसके बाद कंपनी ने अपनी उत्पादन क्षमता भी 20% तक कम कर दी। 

यहां तक कि सीईओ माकोतो उचिदा ने अपनी सैलरी में भी 50% तक घटा दी। दरअसल, सितंबर तिमाही में निसान को 510 करोड़ का घाटा हुआ, जबकि एक साल पहले कंपनी (Nissan India Crisis) को करीब 10 हजार करोड़ का फायदा हुआ था।

ये भी पढ़ें: Automobile News: धांसू लुक के साथ बाजार में उतरी KTM 250 Adventure, जानें कीमत और खासियत

Advertisment

निसान कर रही होंडा के साथ पार्टनरशिप पर काम

दरअसल, निसान कंंपनी ने अपनी कंपनी में कुछ बदलाव करने का निचार कर रही है। इसके रिस्ट्रक्चरिंग स्किम के तहत निसान मित्सुबिशी मोटर्स में अपनी 34% हिस्सेदारी को घटाकर 24% पर लाने जा रही है। इसका कारण है, कंपनी चीन और अमेरिका में घटती बिक्री से निजाद पाने के लिए होंडा के साथ इलेक्ट्रिक व्हिकल के क्षेत्र में नई साझेदारी पर भी काम कर रही है।

1999 में निसान के दिवालिया होने से बचाया

सन् 1999 में ऑटोमोबाइल कंपनी निसान (Nissan India Crisis) दिवालिया होने के कगार पर थी। तब रेनो ने इसमें 36.8% हिस्सेदारी लेकर इसे बचाया था, लेकिन बाद में दोनों कंपनियों के बीच गवर्नेंस और इक्विटी से जुड़े मामले में विवाद हो गए। इसके परिणामस्वरुप 2002 में रेनो ने निसान में हिस्सेदारी बढाकर 43% कर ली और 2016 में मित्सुबिशि मोटर्स को शामिल करके पार्टनरशिप का विस्तार किया।

ये भी पढ़ें: Automobile News: CNG वेरियंट कार जल्द लांच करेगी मारुति सुजुकी, जानिए क्या है खास

Advertisment
Nissan India Nissan Automotive Crisis Car Company Nissan Nissan India Crisis
Advertisment
WhatsApp Icon चैनल से जुड़ें