Nirjala Ekadashi 2024: हमारे हिन्दू धर्म में एकादशी का बड़ा महत्व हैं। आज निर्जला एकादशी है। वैसे तो महीने में दो बार एकादशी आती है, लेकिन इस महीने जो एकादशी आने वाली है वह बेहद खास है।
यदि आप इस एकादशी को करते हैं तो आपको साल भर की 24 एकादशियों का एक साथ फल मिलता है। इसलिए तो चलिए जानते हैं हम किस एकादशी के बारे में बात कर रहे हैं।
कब है निर्जला एकादशी
ज्योतिषाचार्य पंडित सनत कुमार खंपरिया के अनुसार ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को जो एकादशी आती है उसे निर्जला एकादशी कहते हैं। इस एकादशी भीमसेनी एकादशी भी कहते हैं। हिन्दू पंचांग के अनुसार इस साल निर्जला एकादशी का त्योहार 18 जून 2024 को रखा जाएगा।
निर्जला एकादशी को क्यों कहते हैं भीमसेनी एकादशी
पंडित सनत कुमार खंपरिया के अनुसार सभी पांडव एकादशी का व्रत रखते थे। लेकिन इनमें भीम को सबसे ज्यादा भूख लगती थी। इस समस्या को दूर करने के लिए भीम ने भगवान श्रीकृष्ण से उपाय पूछा था।
जिस पर भगवान श्रीकृष्ण (Shri Krishna) ने उन्हें ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी का व्रत करने की सलाह दी थी। लेकिन उन्होंने कहा था कि इस व्रत को निर्जला रखा जाता है। यानी इस दिन अन्न जल त्याग दिया जाता है। इसलिए ये व्रत कठिन का होता है। जो भी इस व्रत को करता है उसे साल भर की 24 एकादशियों के बराबर फल मिलता है।
तब इस व्रत को भीमसेनी ने किया था। इसी के बाद से इसे निर्जला एकादशी के साथ-साथ भीमसेनी एकादशी (Bheemseni) भी कहा जाने लगा।
साल की सबसे बड़ी एकादशी
आपको बता दें हिन्दू पंचांग (Hindu Panchang) और धर्म के अनुसार निर्जला एकादशी (Nirjala Ekadashi 2024) को साल की सबसे बड़ी और शक्तिशाली एकादशी माना जाता है। इस एकादशी को अन्न और एक बूंद पानी पिए बिना व्रत रखा जाता है, इसलिए ही इसे निर्जला एकादशी कहा जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, निर्जला एकादशी का व्रत रखने से साल की 24 एकादशियों का पुण्य प्राप्त होता है।
निर्जला एकादशी व्रत का महत्व
यह एक मात्र ऐसा व्रत है, जिसे भीमसेन ने भी किया था, जिसकी वजह से निर्जला एकादशी को भीमसेनी एकादशी भी कहते हैं।
जो लोग 18 जून को निर्जला एकादशी व्रत रखेंगे, वे जान लें कि इस व्रत को करने से सभी पाप मिट जाते हैं। व्यक्ति को जीवन के अंत में मोक्ष की प्राप्ति होती है।
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