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Nirjala Ekadashi 2025: चौबीस एकादशियों का एक साथ फल देने वाली निर्जला एकादशी, कृष्ण ने भीम को क्यों रखवाया था ये व्रत

Nirjala Bhimseni Ekadashi 6 June 2025: चौबीस एकादशियों का एक साथ फल देने वाली निर्जला एकादशी, कृष्ण ने भीम को क्यों रखवाया था ये व्रत nirjala-ekadashi-bhimseni-ekadashi-2025-date-muhurat-upay-significance-june-vrat-tyohar-hindi-news-pds

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Preeti Dwivedi
Nirjala Ekadashi 2025: चौबीस एकादशियों का एक साथ फल देने वाली निर्जला एकादशी, कृष्ण ने भीम को क्यों रखवाया था ये व्रत

Nirjala Ekadashi Bhimseni Ekadashi 2025 Date Muhurat : भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए वैसे तो एकादशी का व्रत किया जाता है, लेकिन अगर आप साल भर की 24 ए​कादशियों का फल एक साथ पाना चाहते हैं तो आपके लिए 6 जून का दिन खास है। क्योंकि हिन्दू पंचांग के अनुसार 6 जून 2025 को निर्जला एकादशी व्रत रखा जाएगा।

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क्यों कहते हैं निर्जला एकादशी

ज्योतिषाचार्य पंडित रामगोविंद शास्त्री के अनुसार वैसे तो एकादशी के व्रत में चावल खाना वर्जित होता है। लेकिन निर्जला एकादशी व्रत को निर्जला रखा जाता है। यानी इस दिन के व्रत में पानी भी ग्रहण नहीं किया जाता है। ये व्रत बहुत कठिन का व्रत होता है।पर भक्त अपनी सामर्थ अनुसार इस व्रत को कर सकते हैं।

हमारे हिन्दू धर्म में एकादशी का बड़ा महत्व हैं। 6 जून 2025 शुक्रवार को निर्जला एकादशी है। वैसे तो महीने में दो बार एकादशी आती है, लेकिन ज्येष्ठ मास की एकादशी सबसे खास होती है।

यदि आप इस एकादशी को करते हैं तो आपको साल भर की 24 एकादशियों का एक साथ फल मिलता है। इसलिए तो चलिए जानते हैं हम किस एकादशी के बारे में बात कर रहे हैं।

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कब है निर्जला एकादशी

ज्योतिषाचार्य पंडित रामगोविंद शास्त्री के अनुसार ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को जो एकादशी आती है उसे निर्जला एकादशी (Nirjala Ekadashi) कहते हैं। इसे एकादशी भीमसेनी एकादशी (bhimseni ekadashi 2025) के नाम से भी जाना जाता है। हिन्दू पंचांग (Hindu Panchang) के अनुसार इस साल निर्जला एकादशी का त्योहार 6 जून 2025 शुक्रवार को रखा जाएगा।

निर्जला एकादशी को भीमसेनी एकादशी क्यों कहते हैं

पंडित रामगोविंद शास्त्री के अनुसार सभी पांडव एकादशी का व्रत (Ekadashi Vrat June 2025) रखते थे। लेकिन इनमें भीम को सबसे ज्यादा भूख लगती थी। इस समस्या को दूर करने के लिए भीम ने भगवान श्रीकृष्ण से उपाय पूछा था।

जिस पर भगवान श्रीकृष्ण (Shri Krishna) ने उन्हें ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी का व्रत करने की सलाह दी थी। लेकिन उन्होंने कहा था कि इस व्रत को निर्जला रखा जाता है। यानी इस दिन अन्न जल त्याग दिया जाता है। इसलिए ये व्रत कठिन का होता है। जो भी इस व्रत को करता है उसे साल भर की 24 एकादशियों के बराबर फल मिलता है।

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तब इस व्रत को भीमसेनी ने किया था। इसी के बाद से इसे निर्जला एकादशी के साथ-साथ भीमसेनी एकादशी (Bheemseni) भी कहा जाने लगा।

साल की सबसे बड़ी एकादशी

आपको बता दें हिन्दू पंचांग (Hindu Panchang) और धर्म के अनुसार निर्जला एकादशी (Nirjala Ekadashi 2025) को सा​ल की सबसे बड़ी और शक्तिशाली एकादशी माना जाता है। इस एकादशी को अन्न और एक बूंद पानी पिए बिना व्रत रखा जाता है, इसलिए ही इसे निर्जला एकादशी कहा जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, निर्जला एकादशी का व्रत रखने से साल की 24 एकादशियों का पुण्य प्राप्त होता है।

निर्जला एकादशी व्रत का महत्व

यह एक मात्र ऐसा व्रत है, जिसे भीमसेन ने भी किया था, जिसकी वजह से निर्जला एकादशी को भीमसेनी एकादशी भी कहते हैं।

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जो लोग 6 जून को निर्जला एकादशी व्रत रखेंगे, वे जान लें कि इस व्रत को करने से सभी पाप मिट जाते हैं। व्यक्ति को जीवन के अंत में मोक्ष की प्राप्ति होती है।

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