Bhopal NGT Order: देश की सबसे स्वच्छ राजधानी में शुमार भोपाल में हरियाली (Bhopal Greenery) लीलने वालों पर प्रशासन को 3 सप्ताह में कार्रवाई करनी होगी। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (Bhopal Ngt Order) ने इस संबंध में आदेश जारी कर दिये हैं।
प्रशासन को 3 सप्ताह में कार्रवाई कर इसकी एक रिपोर्ट एनजीटी (Bhopal Ngt Order) के समक्ष प्रस्तुत करनी है। मामले की अगली सुनवाई 20 फरवरी को है।
शहर से हटाना है 393 अतिक्रमण
भोपाल शहर के अंदर 692 जगहों पर पेड़ों को काटकर अतिक्रमण (Bhopal Encroachment) कर लिए गए हैं। इनमें से 299 अतिक्रमण को भोपाल नगर निगम हटा चुका है।
393 अतिक्रमण शहर (Bhopal Encroachment) में अभी भी मौजूद है। जिन्हें हटाने के लिए एनजीटी (Bhopal Ngt Order) ने 3 सप्ताह की मोहलत दी है।
15 साल पहले लगाये गए थे 28 लाख पौधे
राजधानी परियोजना प्रशासन (CPA) ने सेंट्रल वर्ज (सड़क के बीच वाली जगह) और साइड वर्ज (सड़क दांयी और बांयी ओर वाली जगह) पर 15 साल पहले 28 लाख पौधे लगाए थे। जिन्हें काटकर लोगों ने पार्किंग, गमठियां जैसे अन्य अतिक्रमण (Bhopal Encroachment) कर लिये हैं।
साल 2021 में खुद राजधानी परियोजना प्रशासन (CPA) ने इन अतिक्रमणकारियों की सूची तैयार की थी। हालांकि कार्रवाई एनजीटी (NGT) में मामला जाने के बाद हो रही है।
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कलेक्टर की अध्यक्षता में कमेटी गठित
पेड़ों को काटकर अतिक्रमण (Bhopal Encroachment) करने वाले लोगों पर कार्रवाई के लिए भोपाल कलेक्टर की अध्यक्षता में एक कमेटी गठित की गई है। जिसमें राजस्व के अधिकारियों के साथ भोपाल नगर निगम (BMC) और पीडब्ल्यूडी के अधिकारी भी शामिल हैं।
पीडब्ल्यूडी को देना है जवाब
सीपीए अब बंद हो चुका है। यही कारण है कि मामले में अब लोक निर्माण विभाग (PWD) को अपना जवाब देना है। विभाग को अपना जवाब 3 जनवरी तक एनजीटी (NGT) के समक्ष प्रस्तुत करना था।
विभाग ने अपना जवाब सबमिट करने के लिए एनजीटी से समय मांगा। जिसके बाद एनजीटी ने लोक निर्माण विभाग (PWD) को 20 फरवरी तक अपना जवाब देने के लिए कहा है।
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ज्वाइंट कमेटी की रिपोर्ट भी अलग-अलग
आठ महीने पहले जिस ज्वाइंट कमेटी को शहर के सेंट्रल और साइड वर्ज पर एक भी अतिक्रमण (Bhopal Encroachment) नहीं मिला था, एनजीटी में याचिकाकर्ता डॉ. सुभाष पांडे की आपत्ति के बाद ज्वाइंट कमेटी को वह अतिक्रमण मिले।
हांलाकि अब इस मामले में भोपाल नगर निगम (BMC) के सबमीशन को लेकर विवाद है। निगम का दावा है कि उसने मामले में अपना जवाब सबमिट कर दिया है, लेकिन याचिकाकर्ता का आरोप है कि अब तक उन्हें निगम (BMC) की ओर से कोई भी रिपोर्ट या जवाब नहीं मिला है।
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