मुंबई। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पृथ्वीराज चव्हाण ने रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के एक उच्च पदस्थ अधिकारी की संलिप्तता से जुड़े जासूसी मामले को राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) को नहीं सौंपे जाने पर बृहस्पतिवार को हैरानी जताई।महाराष्ट्र विधानसभा में मामले की एनआईए जांच की मांग उठाते हुए चव्हाण ने यह भी सवाल किया कि डीआरडीओ के अधिकारी आरोपी प्रदीप कुरुलकर पर गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम के तहत मामला क्यों नहीं दर्ज किया गया है। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के नेता जयंत पाटिल ने कुरुलकर पर देशद्रोह का मामला दर्ज करने की मांग की है।
क्या है पूरा मामला
रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) के वैज्ञानिक प्रदीप कुरुलकर ने बुधवार को पुणे की एक विशेष अदालत के समक्ष जमानत याचिका दायर की और दावा किया कि उन पर ‘पाकिस्तानी इंटेलिजेंस ऑपरेटिव (पीआईओ)’ एक महिला के साथ साझा की गई जानकारी ‘गोपनीय’ नहीं थी, बल्कि वह सार्वजनिक डोमेन में मौजूद है।
महाराष्ट्र पुलिस के आतंकवाद निरोधक दस्ते (एटीएस) द्वारा कुरुलकर के खिलाफ दायर आरोप पत्र के मुताबिक डीआरडीओ का वैज्ञानिक प्रदीप कुरुलकर ‘ज़ारा दासगुप्ता’ नाम का इस्तेमाल करने वाली पाकिस्तानी खुफिया एजेंट की ओर आकर्षित हो गया था और उसने खुफिया रक्षा परियोजनाओं के अलावा भारतीय मिसाइल प्रणालियों के बारे में उससे बातचीत की थी। कुरुलकर पुणे में रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) की एक प्रयोगशाला का निदेशक था।
उसे तीन मई को शासकीय गोपनीयता अधिनियम के तहत गिरफ्तार किया गया था और अब वह न्यायिक हिरासत में है। आरोप पत्र के मुताबिक, कुरुलकर और ‘ज़ारा दासगुप्ता’ व्हाट्सऐप के जरिए संपर्क में रहने के साथ-साथ वॉयस और वीडियो कॉल के जरिए भी बातचीत किया करते थे। एटीएस ने आरोप पत्र में कहा, ‘दासगुप्ता’ ने दावा किया था कि वह ब्रिटेन में रहती है और सॉफ्टवेयर इंजीनियर है और उसने कुरुलकर को अश्लील संदेश और वीडियो भेजकर उससे दोस्ती की। जांच के दौरान उसका ‘आईपी एड्रेस’ पाकिस्तान का पाया गया।
आरोप पत्र के मुताबिक, पाकिस्तानी एजेंट ने ब्रह्मोस लॉन्चर, ड्रोन, यूसीवी, अग्नि मिसाइल लॉन्चर और मिलिट्री ब्रिजिंग सिस्टम समेत अन्य के बारे में खुफिया और संवेदनशील जानकारी प्राप्त करने की कोशिश की। उसमें कहा गया है, ‘कुरुलकर उसके प्रति आकर्षित हो गया था और उसने डीआरडीओ की खुफिया और संवेदनशील जानकारी को अपने निजी फोन में लिया और फिर कथित तौर पर ज़ारा के साथ साझा किया।’
एटीएस के मुताबिक, दोनों जून 2022 से दिसंबर 2022 तक संपर्क में थे। कुरुलकर की गतिविधियां संदिग्ध पाए जाने के बाद डीआरडीओ द्वारा आंतरिक जांच शुरू करने से ठीक पहले, उसने फरवरी 2023 में ज़ारा का नंबर ब्लॉक कर दिया था। इसके बाद उसे एक अज्ञात भारतीय नंबर से व्हाट्सऐप पर संदेश मिला कि ‘आपने मेरा नंबर क्यों ब्लॉक कर दिया।’ आरोप पत्र के मुताबिक, बातचीत के रिकॉर्ड से पता चला है कि कुरुलकर ने पाकिस्तानी एजेंट के साथ अपना निजी और आधिकारिक कार्यक्रम और स्थान साझा किए, जबकि उसे पता था कि उसे ऐसा किसी के साथ नहीं करना है।
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