New Education Policy News: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नयी शिक्षा नीति को व्यावहारिक शिक्षा पर केंद्रित बताते हुए शुक्रवार को कहा कि पहले छात्रों को किताबी ज्ञान मिलता था लेकिन अब इससे बदलाव आएगा। साथ ही उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति को जमीनी स्तर पर लागू करने की जिम्मेदारी शिक्षकों की है।अखिल भारतीय शिक्षा संघ के 29वें द्विवार्षिक सम्मेलन को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा कि गूगल डेटा और सूचना दे सकता है लेकिन शिक्षकों की भूमिका छात्रों के मार्गदर्शक की होती है।
आवश्यकताओं के मुताबिक व्यवस्थाओं का निर्माण
मोदी ने कहा, ‘‘आज भारत 21वीं सदी की आधुनिक आवश्यकताओं के मुताबिक नयी व्यवस्थाओं का निर्माण कर रहा है। नयी राष्ट्रीय शिक्षा नीति इसी को ध्यान में रखते हुए बनाई गई है। हम इतने वर्षों से स्कूलों में पढ़ाई के नाम पर अपने बच्चों को केवल किताबी ज्ञान दे रहे थे। नयी राष्ट्रीय शिक्षा नीति उस पुरानी अप्रासंगिक व्यवस्था को परिवर्तित कर रही है।’’
नयी शिक्षा नीति व्यावहारिक शिक्षा पर केंद्रित
उन्होंने कहा कि नयी शिक्षा नीति व्यावहारिक शिक्षा पर केंद्रित है। प्रधानमंत्री ने शिक्षकों से अपील करते हुए कहा, ‘‘इस तरह की शिक्षा प्रणाली शिक्षा नीति के केंद्र में है और अब यह शिक्षकों की जिम्मेदारी है कि वे इस प्रणाली को जमीन पर लागू करें।’’उन्होंने याद किया कि कैसे उनके स्कूल के एक शिक्षक उन्हें और अन्य छात्रों को अनाज का उपयोग करके संख्याओं के बारे में बताते थे।
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मातृभाषा में प्राथमिक शिक्षा देने की आवश्यकता
शिक्षा नीति में किए गए बदलावों का जिक्र करते हुए, मोदी ने छात्रों को उनकी मातृभाषा में प्राथमिक शिक्षा देने की आवश्यकता पर जोर दिया और कहा कि नयी नीति ने इसके लिए प्रावधान किए हैं।मोदी ने कहा कि स्थानीय भाषाओं में दी जाने वाली शिक्षा से गांवों के प्रतिभाशाली युवाओं को शिक्षक बनने में भी मदद मिलेगी।
स्कूल का स्थापना दिवस मनाना जरुरी
अपने संबोधन में मोदी ने इस बात पर प्रकाश डाला कि छात्रों और स्कूलों के बीच लगाव आज कम होता जा रहा है क्योंकि छात्रों को अपनी पढ़ाई खत्म करने के बाद शायद ही अपना स्कूल याद रहता है।इस कम होते लगाव को घाटने के लिए, प्रधानमंत्री ने सुझाव दिया कि स्कूल प्रबंधन को शिक्षकों और स्थानीय निवासियों के साथ मिलकर हर साल उस स्कूल का स्थापना दिवस मनाना शुरू करना चाहिए और पुराने छात्रों को आमंत्रित करना चाहिए।
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