रिपोर्ट-संदीप वत्स
New CM House: अब मध्य प्रदेश के इस शहर में भी सीएम हाउस नई साज-सज्जा के साथ तैयार हो गया है। जी हां, बंगले के रेनोवेशन के बाद पूजा-पाठ भी हो चुका है। मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव अब प्रवास के दौरान इसी बंगले में रहकर मेल-मुलाकात के साथ सरकारी कामकाज निपटाएंगे। यह बंगला शहर के बाहरी इलाके में है और यहां से एयरस्ट्रिप और सर्किट हाउस भी पास है। मुख्यमंत्री का यह आधिकारिक आवास ऐसी जगह स्थित है जहां से सीएम के काफिले के मूवमेंट के कारण जनता को परेशानी नहीं होगी।
सीएम के लिए अलग बंगला क्यों?
सीएम मोहन यादव प्रवास के समय जिस बंगले में रहेंगे, वहां अंदर और बाहर अच्छी-खासी जगह है। बंगले के परिसर में ही सीएम का एक कार्यालय भी रहेगा। इस बंगले में मुख्यमंत्री के कार्केड में चलने वाली गाड़ियों और मुलाकात करने आने वाले लोगों के वाहन पार्क करने में सहूलियत होगी। दरअसल, उज्जैन में सीएम मोहन यादव का निजी आवास शहर के बीचों-बीच गीता कॉलोनी में बेहद घने इलाके में है। यहां आस-पास की सड़कें कम चौड़ी होने से सीएम के काफिले के मूवमेंट के दौरान लोगों को परेशानी होती है।
पार्किंग और ट्रैफिक की समस्या का समाधान
घनी आबादी के बीच सीएम का कार्केड गुजरने से पुलिस को भी रूट क्लीयर कराने में खासी मशक्कत का सामना करना पड़ता है। यहां मुख्यमंत्री के मुलाकात के लिए आने वाले लोगों को भी ट्रैफिक की समस्या से जूझना पड़ता है। इसी समस्या के समाधान के लिए एक ऐसे बंगले की व्यवस्था की गई है, जो शहर के बाहरी इलाके में है और वहां गाड़ियों की पार्किंग और कार्यालय के लिए अपेक्षित जगह उपलब्ध है।
वीसी के बंगले में रहेंगे सीएम
आइए अब आपको बताते हैं कि उज्जैन में सीएम के लिए कहां और कौनसा बंगला तलाशकर नई साज-सज्जा के साथ तैयार कराया गया है। मुख्यमंत्री मोहन यादव के उज्जैन प्रवास के लिए जो बंगला तैयार कराया गया है वो विक्रम यूनिवर्सिटी के कैंपस में है।
इस बंगले में अभी तक यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर रहा करते थे। अब वीसी यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार के लिए बनाए गए बंगले में रहेंगे। वहीं रजिस्ट्रार को प्रोफेसर के लिए निर्धारित बंगला आवंटित किया गया है। बता दें कि सीएम मोहन यादव अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के नेता के रूप में लंबे समय तक यूनिवर्सिटी परिसर में सक्रिय रहे हैं।
सीएम ने तोड़ा मिथक
मध्य प्रदेश में सालों से एक मिथक था कि जो भी राजा या सीएम उज्जैन में रात बिताता है, उसकी कुर्सी खतरे में आ जाती है। इसका कारण ये बताया जाता है कि उज्जैन के राजा महाकाल हैं और वहां एक ही राजा रह सकता है। सीएम बनते ही मोहन यादव ने इस मिथक को तोड़ दिया। सीएम मोहन यादव ने उज्जैन में एक जनसभा में कहा कि रात न बिताने के मिथक को तत्कालीन राजा दौलत राव सिंधिया ने बनाया था। राजा महादजी सिंधिया के निधन के बाद दौलत राव सिंधिया राजधानी को उज्जैन से ग्वालियर ले जाना चाहते थे। वे 1812 में राजधानी ले भी गए, मगर धीरे से एक मंत्र फूंक गए कि यहां कोई राजा रात को नहीं रहेगा, जिससे कोई कब्जा करने नहीं आए। यह उनकी राजनीतिक रणनीति का हिस्सा था।
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सीएम ने कहा राजा तो बाबा महाकाल हैं, हम सब तो उनके बेटे हैं। क्यों रात में नहीं रहेंगे। ब्रह्मांड में कोई बच नहीं सकता, अगर बाबा महाकाल ने टेढ़ी निगाह कर दी तो। मुझे पीएम मोदी ने कहा कि बनारस मैं संभालता हूं। मोहन जी, आप तो उज्जैन संभालो। मैं मुख्यमंत्री नहीं मुख्य सेवक हूं यहां पर।