NEET-UG 2024 Re-exam Demand: इंदौर और उज्जैन के 75 स्टूडेंट्स के लिए फिर से NEET-UG परीक्षा कराने के मामले में फैसला अब निर्णायक स्थिति में पहुंच गया है। 4 मई को बिजली गुल और खराब मौसम के चलते परीक्षा प्रभावित हुई थी, जिस पर 75 छात्रों ने दोबारा परीक्षा की मांग को लेकर हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी। अब इस मामले पर डबल बेंच ने सुनवाई पूरी कर ली है और फैसला सुरक्षित रख लिया है।
NEET-UG परीक्षा का मामला
दरअसल, 4 मई को हुई NEET-UG 2024 की परीक्षा के दौरान बिजली गुल और तेज बारिश के कारण परीक्षा बाधित हुई थी। इससे प्रभावित हुए 75 छात्रों ने मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में दोबारा परीक्षा की मांग को लेकर याचिका दायर की थी। याचिकाकर्ता छात्रों की ओर से अधिवक्ता मृदुल भटनागर ने तर्क रखा कि यदि इन 75 छात्रों को दोबारा परीक्षा देने का अवसर नहीं दिया गया, तो उनका शैक्षणिक भविष्य गहरे संकट में पड़ सकता है। उन्होंने यह भी दोहराया कि परीक्षा के दौरान बिजली गुल और तकनीकी अव्यवस्थाएं स्पष्ट रूप से परीक्षा को प्रभावित करने वाली थीं।
दो घंटे तक चली यह सुनवाई
करीब दो घंटे चली बहस के बाद हाईकोर्ट की डबल बेंच ने फैसला सुनाने से पहले आदेश सुरक्षित रख लिया है, यह अगले एक-दो दिनों में आ सकता है। सुनवाई के बाद डबल बेंच ने एक व्याख्यात्मक उदाहरण देते हुए टिप्पणी की जो इस मामले की जटिलता को दर्शाती है।
इसे हार्ड लक ही कह सकते है…
“क्या यह कहा जा सकता है कि यदि 22 लाख परीक्षार्थियों को फिर से एसी और लाइट की सुविधा दी जाए, तो वे सफल हो जाएंगे? यह पूरी तरह संभव नहीं। इसे तो हम केवल ‘हार्ड लक’ ही कह सकते हैं, जैसे कि एक 787 विमान दुर्घटनाग्रस्त हुआ हो, और एक महिला जिसकी फ्लाइट छूट गई थी, खुद को पहले बदकिस्मत मान रही थी, लेकिन बाद में उसे यही घटना उसकी किस्मत की सबसे बड़ी सौगात लगने लगी।”
आदेश के खिलाफ एनटीए ने की अपील
यह अपील नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) द्वारा दायर की गई थी। इससे पहले हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने 75 छात्रों की याचिका को स्वीकार करते हुए उनके लिए पुनः परीक्षा आयोजित करने का आदेश दिया था। लेकिन इस आदेश के खिलाफ NTA ने डबल बेंच में अपील की, जिसमें अब अंतिम सुनवाई हो चुकी है और निर्णय सुरक्षित रखा गया है।
अन्य छात्रों और पक्षों की दलीलें भी शामिल
सुनवाई के दौरान उन 20 से अधिक याचिकाकर्ता छात्रों की ओर से भी दलीलें दी गईं, जिन्होंने 3 मई के बाद याचिकाएं दाखिल की थीं। इनकी पैरवी कर रहे एडवोकेट विवेक शरण ने कोर्ट से आग्रह किया कि इन छात्रों की याचिकाओं को भी शामिल कर न्याय किया जाए, क्योंकि इनकी परीक्षा भी समान रूप से प्रभावित हुई थी। उन्होंने कहा कि केवल 3 मई तक सीमित रहना तर्कसंगत नहीं है, क्योंकि इन छात्रों की OMR शीट्स में कोई ऐसा विशेष रिमार्क भी नहीं है जो उन्हें बाहर रखने का आधार बन सके।
सरकार की ओर से NTA का पक्ष
भारत सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने NTA का पक्ष मजबूती से रखते हुए कहा कि इस वर्ष कुल 22 लाख छात्रों ने NEET-UG परीक्षा दी थी। उन्होंने स्पष्ट किया कि जिन परीक्षा केंद्रों पर बिजली गुल होने की शिकायत सामने आई है, वहां भी पर्याप्त पावर बैकअप की व्यवस्था पहले से मौजूद थी।
NTA की रिपोर्ट पर उठे सवाल
याचिकाकर्ता छात्रों के वकील मृदुल भटनागर ने NTA की रिपोर्ट को तथ्यों से परे बताया। उन्होंने कोर्ट में कहा कि एजेंसी ने छात्रों से फीस के रूप में लगभग 350 करोड़ रुपए लिए हैं, बावजूद इसके कई केंद्रों पर बिजली की वैकल्पिक व्यवस्था प्रभावी नहीं थी। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि संबंधित केंद्रों का कोई फिजिकल वेरिफिकेशन नहीं किया गया, और जो रिपोर्ट पेश की गई है, वह सिर्फ कागजी कार्रवाई पर आधारित है। उन्होंने पूर्व में प्रस्तुत किए गए तमाम तकनीकी और नैतिक तर्कों को दोहराते हुए पुनर्परीक्षा की जरूरत को उचित ठहराया।
रि-एग्जाम कराने के आदेश पर दिया था स्टे
पहले हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने इंदौर और उज्जैन के 75 छात्रों के लिए NEET-UG परीक्षा दोबारा कराने का आदेश दिया था। लेकिन इस फैसले को नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) ने चुनौती दी और डबल बेंच में अपील की। इस अपील पर पिछली सुनवाई में हाईकोर्ट ने रि-एग्जाम के आदेश पर फिलहाल रोक (स्टे) लगा दी थी।
दोबारा परीक्षा कराना व्यावहारिक नहीं
- भारत सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता वर्चुअल माध्यम से सुनवाई में शामिल हुए। उन्होंने कहा कि:
- इस साल 22 लाख छात्रों ने NEET-UG परीक्षा दी थी।
- परीक्षा का परिणाम 14 जून को घोषित किया जा चुका है।
- जिन केंद्रों को लेकर शिकायतें हैं, उनकी रिपोर्ट और CCTV फुटेज NTA पहले ही अदालत में पेश कर चुका है।
- ऐसे में सिर्फ 75 छात्रों के लिए फिर से परीक्षा कराना व्यावहारिक नहीं है, इससे पूरी परीक्षा प्रक्रिया पर सवाल खड़ा होगा।