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NEET Admission 2025: यूपी मेडिकल कॉलेज आरक्षण स्कैम पर हाईकोर्ट - सरकार आरक्षण अधिनियम का पालन करे

NEET Admission 2025: इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने आरक्षण अधिनियम 2006 पर बड़ा फैसला सुनाते हुए यूपी सरकार को एक हफ्ते में लिखित वचन दाखिल करने का आदेश दिया है।

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Shaurya Verma
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हाइलाइट्स

  • इलाहाबाद HC ने यूपी सरकार से आरक्षण कानून पालन मांगा
  • मेडिकल कॉलेज दाखिले अंतिम आदेश के अधीन रहेंगे
  • अगली सुनवाई 6 अक्टूबर, काउंसिलिंग जारी रखने की मंजूरी
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NEET Admission 2025: इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने आरक्षण अधिनियम 2006 (Reservation Act 2006) से जुड़े मामले में बड़ा आदेश दिया है। अदालत ने राज्य सरकार से कहा है कि वह एक हफ्ते के भीतर यह वचन (अंडरटेकिंग) दाखिल करे कि वह आरक्षण अधिनियम 2006 के प्रावधानों का पूरी तरह से पालन करेगी। यह आदेश चार जिलों – अंबेडकरनगर, कन्नौज, जालौन और सहारनपुर के सरकारी मेडिकल कॉलेजों में आरक्षण से संबंधित शासनादेशों को रद्द करने के खिलाफ दाखिल विशेष अपील पर सुनवाई के बाद दिया गया।

क्या है पूरा मामला?

इलाहाबाद हाईकोर्ट की एकल पीठ ने पहले राज्य सरकार के शासनादेशों को रद्द कर दिया था। इसके खिलाफ राज्य सरकार ने विशेष अपील दाखिल की थी। गुरुवार को न्यायमूर्ति राजन रॉय और न्यायमूर्ति मंजीव शुक्ल की खंडपीठ ने अपील पर शुरुआती सुनवाई की और आदेश सुनाया।

कोर्ट ने कहा कि मौजूदा काउंसिलिंग (Medical Counseling 2025) जारी रहेगी, लेकिन सभी दाखिले अपील के अंतिम निर्णय पर निर्भर होंगे। साथ ही कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई की तारीख 6 अक्टूबर तय की है।

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राज्य सरकार की दलील

राज्य सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता जे.एन. माथुर ने तर्क दिया कि एकल पीठ का फैसला लागू करने से इन चार जिलों में Medical Admission 2025 के लिए फिर से काउंसिलिंग करनी पड़ेगी। इससे प्रदेश के अन्य मेडिकल कॉलेजों में भी काउंसिलिंग प्रक्रिया प्रभावित होगी। नई काउंसिलिंग से पहले कई अभ्यर्थी सीट से बाहर हो जाएंगे और अन्य कॉलेजों में काउंसिलिंग पूरी हो चुकी होगी, ऐसे में उनके पास विकल्प नहीं बचेंगे।

याची पक्ष की दलील

दूसरी ओर, याची अभ्यर्थी की ओर से अधिवक्ता मोतीलाल यादव ने कहा कि एकल पीठ का फैसला पूरी तरह आरक्षण अधिनियम 2006 के कानूनी प्रावधानों पर आधारित है। इसलिए इसे लागू करना ही होगा। उन्होंने दलील दी कि आरक्षण कानून का पालन किए बिना दाखिले देना न्याय के विरुद्ध होगा।

याची के अधिवक्ता ने यह भी बताया कि कोर्ट ने शुरुआत में याचिका दाखिल करने वाली अभ्यर्थी सबरा अहमद को अंबेडकरनगर या नजदीकी मेडिकल कॉलेज में दाखिला देने का निर्देश भी दिया है।

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हाईकोर्ट का आदेश और आगे की सुनवाई

हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि वह एक सप्ताह के भीतर लिखित वचन दाखिल करे कि Reservation Act 2006 का पालन किया जाएगा। कोर्ट ने साफ किया है कि दाखिले फिलहाल जारी रहेंगे, लेकिन वे अंतिम आदेश के अधीन होंगे।

अब इस मामले की अगली सुनवाई 6 अक्टूबर 2025 को होगी, जिसमें यह तय होगा कि मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश प्रक्रिया पर आरक्षण अधिनियम का प्रभाव किस तरह लागू होगा।

हाईकोर्ट की य़ूपी सरकार को फटकार

इलाहाबाद हाईकोर्ट का यह फैसला न सिर्फ UP Medical Admission 2025 बल्कि भविष्य की प्रवेश प्रक्रिया पर भी गहरा असर डाल सकता है। अदालत का साफ संदेश है कि आरक्षण अधिनियम 2006 को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता और राज्य सरकार को इसके प्रावधानों का सख्ती से पालन करना होगा।

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