जगदलपुर से रजत वाजपेयी की रिपोर्ट
जगदलपुर। Jagdalpur News: बीजापुर के गंगालूर में नक्सलियों की मानव फैक्ट्री संचालित हो रही है। अब पुलिस इस इलाके में डेवलपमेंट के जरिए नक्सलियों की एक्टिवटी पर नियत्रंण लगाने की कोशिश में है।
प्रशासनिक पहुंच के अभाव में यहां बड़ी संख्या में नक्सलियों की भर्ती होती है और देश भर में इनकी तैनाती भी की जाती है। बड़े नक्सली नेता इन्हें अपनी सुरक्षा के लिए उपयोग करते हैं। देश भर में हुई नक्सली मुठभेड़ों में गंगालूर क्षेत्र के नक्सली सबसे अधिक मारे गए हैं।
विकास के जरिए रोक लगेगी
अब पुलिस विकास को अस्त्र बनाकर इसे ध्वस्त करने की तैयारी कर रही है। सुरक्षा बलों का उद्देश्य यहां होने वाली नक्सलियों की भर्ती को रोकते हुए ग्रामीणों को मुख्य धारा में वापस लाने का है। जल्द ही यहां बच्चों के लिए स्कूल, ग्रामीणों के लिए राशन की दुकान और जनसुविधाओं का विकास करना प्राथमिकता है।
बस्तर आईजी ने कही ये बात
इस मामले में के बस्तर आईजी सुंदरराज पी ने कहा गंगालूर इलाके नक्सली भी मुठभेड़ में मारे जाते हैं, क्योंकि जब भी पुलिस और नक्सलियों की झड़प होती है, तो तेंलगाना, ओडिशा के अन्य नक्सली इन्हें छोड़कर भाग जाते हैं और जब इन्ही की डेड बॉडी सबसे अधिक बरामद की जाती हैं।
इस इलाके के नक्सिलयों को देश के अन्य राज्यों में भी भेजा जाता है। क्षेत्र की जनता को भी इस बात से अवगत कराया जा रहा है कि उन्हें जल,जगंल और जमीन के नाम पर मिसगाइड किया जा रहा है।
तथ्यात्मक तर्क यह भी है कि नक्सली यहां लड़ाके तैयार करते हैं और उन्हें देश के माओवाद प्रभावित राज्यों में आतंक फैलाने भेजते हैं। झारखंड, मध्यप्रदेश, ओड़िशा, महाराष्ट्र में हुई मुठभेड़ों में गंगालूर क्षेत्र के दर्जनों नक्सली मारे जा चुके हैं।
अब बस्तर में सक्रिय नक्सलियों का सबसे ताकतवर संगठन पश्चिम बस्तर डिवीजनल कमेटी के आधार क्षेत्र गंगालूर को नक्सलियों के चंगुल से मुक्त करवाने के लिए सुरक्षा बल और प्रशासन ने अब विकास को अस्त्र बनाकर नक्सलगढ़ को तेजी से भेदने की तैयारी की है। गंगालूर से सटे कावड़गांव में फोर्स का नया कैंप भी स्थापित कर लिया गया है।
नक्सल मामलों के एक्सपर्ट बताया इलाके का सच
मनीष गुप्ता नक्सल मामलों के एक्सपर्ट ने कहा बीजापुर का जो इलाका है, उसे नक्सलियों का कोर इलाका माना जाता है। जहां एक तरफ नेशनल पार्क है और दूसरी तरफ वेला डेला की तराई है। इस इलाके में डेवलपमेंट ने के बराबर है, साथ ही यहां डेंस फॉरेस्ट है।
इसके साथ ही इस इलाके का जो डेमोग्राफिक जो सेटअप है वो नक्सलियों के लिए काफी मुफीद है। इसलिए यहां पर नक्सली महीनों तक इस इलाके में कैप लगाए रहते हैं।
रास्ते इतने दुर्गम कि वाहन ले जाना भी मुश्किल
इसके अलावा इस इलाके में रास्ते इतने दुर्गम हैं कि वाहनों से यहां पहुंचा भी नहीं जा सकता है, क्योंकि इस इलाके में डेवलपमेंट ऐक्टविटी लगभग-लगभग शून्य है। इसलिए आज पुलिस कह रही है कि इस इलाके में नक्सलियों की मानव फैक्ट्री संचालित हो रही है।
चाहे वह तेलगांना हो या महाराष्ट्र हो या फिर MMC दो जो मप्र, महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ जो उनकी जोनल कमेटी बनी है या फिर ओडिशा हो इन इलाकों के लोग इसमें शामिल हैं।
गणेश उइके जैसा नक्सली भी इसी इलाके में रहा
इस इलाके में सालों तक गणेश उइके अपनी शरण स्थली बनाकर रखा था। वह दशकों तक इसी इलाके में रहा। जब उसकी लोकशन पुलिस को मिलती थी। अधिकतर बार वह गंगालूर इलाके में ही पाया गया। हाल के दिनों में पुलिस के आईजी, एसपी जैस बड़े अधिकारियों ने उस इलाके का दौरा किया।
इस इलाके में अभी विकास की बहुत संभावनाएं है। मुझे लगता है कि पुलिस जब इस इलाके में कैंप लगाएगी तब इनकी गतिविधियों पर रोक लगेगी।
गंगालूर इलाके को नक्सलियों से मुक्त करने का प्रयास
पुलिस का प्रयोग यदि सफल होता है तो बीजापुर जिले के गंगालूर इलाके को न केवल नक्सलियों के प्रभाव से मुक्ति मिलेगी, बल्कि यहां के आदिवासियों को अमानवीयता और क्रूरता से भी छुटकारा मिल जाएगा।
फोर्स की नई रणनीति कितनी कारगर होगी, यह तो भविष्य में ही पता चलेगा, लेकिन शीर्ष स्तर के अफसरों को अपने बीच पाकर जिस तरह से ग्रामीणों ने विकास का पक्ष लिया, उससे यह साफ है कि अब यदि विकल्प मिला तो प्रभावित लोग विकास को चुनना पसंद करेंगे।
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