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Kanpur Maa Bara Devi Mandir
रिपोर्ट : अनुराग श्रीवास्तव कानपुर
Kanpur Maa Bara Devi Mandir: उत्तर प्रदेश के कानपुर शहर में स्थित मां बारा देवी मंदिर न केवल धार्मिक आस्था का प्रमुख केंद्र है, बल्कि यह एक ऐसा ऐतिहासिक स्थल है जो सदियों पुरानी कथाओं और चमत्कारों से जुड़ा हुआ है। शहर के दक्षिणी क्षेत्र में बसे इस मंदिर का इतिहास लगभग 1700 वर्ष पुराना माना जाता है।
नवरात्रि जैसे पावन अवसरों पर यहां भक्तों का अपार जनसैलाब उमड़ता है, जहां वे मां की कृपा से अपनी हर मनोकामना पूरी होने की आशा रखते हैं। मंदिर की प्राचीन मूर्तियां और लोक कथाएं इसे कानपुर के सबसे रहस्यमयी और पूजनीय स्थलों में से एक बनाती हैं।
मंदिर का प्राचीन इतिहास: ASI सर्वेक्षण की गवाही
मां बारा देवी मंदिर का सटीक निर्माण काल आज भी रहस्य बना हुआ है, लेकिन स्थानीय परंपराओं और ऐतिहासिक सर्वेक्षणों के अनुसार यह कम से कम 15 से 17 सदी पुराना बताया जाता है। कुछ वर्ष पूर्व भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की टीम ने मंदिर का विस्तृत अध्ययन किया था, जिसमें मां की प्रतिमाओं को लगभग 1700 वर्ष पुरानी घोषित किया गया। मंदिर के पुजारी दीपक मिश्रा के अनुसार, "यह मंदिर पौराणिक काल से जुड़ा हुआ है। कानपुर और आसपास के जिलों के लोग सदियों से यहां आते रहे हैं, और इसका प्रमाण मंदिर की चट्टानों व मूर्तियों में स्पष्ट दिखता है।" मंदिर की नींव और संरचना गुप्त काल या उससे भी पुरानी मानी जाती है, जब कानपुर क्षेत्र जंगलों और नदियों से घिरा हुआ था।
रोचक कथा: 12 बहनों का पिता के कोप से भागना
मां बारा देवी मंदिर से जुड़ी सबसे प्रसिद्ध लोक कथा बेहद मार्मिक है। कथा के अनुसार, एक बार पिता से अनबन हो जाने पर बर्रा इलाके की रहने वाली 12 बहनें अपने घर से भाग आईं। पिता के क्रोध से बचने के लिए वे किदवई नगर क्षेत्र में पहुंचीं, जहां वे मूर्तियों के रूप में स्थापित हो गईं। कहा जाता है कि ये 12 बहनें ही मां बारा देवी के 12 स्वरूप हैं, जो भक्तों की रक्षा करती हैं। इस कथा के कारण मंदिर का नाम "बारा देवी" पड़ा, जो "बारह देवी" के अर्थ में लिया जाता है। भक्त मानते हैं कि इन 12 देवियों का आशीर्वाद संकटों से मुक्ति दिलाता है। मंदिर में स्थापित 12 प्रतिमाएं इस कथा को जीवंत करती नजर आती हैं, और हर प्रतिमा का अपना अलग महत्व है।
आस्था का केंद्र: नवरात्रि पर लाखों भक्तों का तांता
साल भर मंदिर में भक्तों का आना-जाना लगा रहता है, लेकिन शारदीय नवरात्रि के नौ दिनों में यहां का नजारा देखने लायक होता है। भक्त दूर-दूर से पैदल या वाहनों से आते हैं, चुनरी चढ़ाते हैं और मनोकामनाएं मांगते हैं। मंदिर परिसर में भव्य सजावट, कन्या भोज और विशेष आरतियां आयोजित की जाती हैं। एक भक्त, रामेश्वर प्रसाद ने बताया, "मैंने 10 साल पहले यहां मन्नत मांगी थी, आज वह पूरी हो चुकी है। मां बारा देवी की कृपा से हर संकट टल जाता है।" मंदिर प्रबंधन के अनुसार, नवरात्रि के दौरान दैनिक दर्शनार्थियों की संख्या लाखों में पहुंच जाती है। यहां भक्त न केवल पूजा-अर्चना करते हैं, बल्कि कुछ तो आग से खेलकर या सुई गुदवाकर अपनी भक्ति प्रदर्शित करते हैं।
मंदिर की विशेषताएं: चमत्कारों से भरी परंपराएं
मां बारा देवी मंदिर अपनी अनोखी परंपराओं के लिए भी जाना जाता है। मंदिर में 12 देवियों की प्रतिमाएं संगमरमर और पत्थर से बनी हैं, जो प्राचीन शिल्पकला का उत्कृष्ट उदाहरण हैं। भक्तों की मान्यता है कि दर्शन मात्र से ही मां सभी इच्छाएं पूरी करती हैं। मंदिर के बाहर भव्य मेले का आयोजन होता है, जहां आकर्षित करते विशालकाय भिन्न भिन्न झूले, हस्तशिल्प, मिठाइयां और धार्मिक सामग्री बिक्री के लिए उपलब्ध रहती है। हालांकि, मंदिर का रखरखाव स्थानीय ट्रस्ट पर निर्भर है, लेकिन सरकारी सहयोग से हाल ही में सौंदर्यीकरण कार्य कराया गया है।
यह मंदिर न केवल कानपुर की सांस्कृतिक धरोहर है, बल्कि समस्त भारत की आध्यात्मिक यात्रा का एक महत्वपूर्ण पड़ाव। यदि आप नवरात्रि के अवसर पर कानपुर पहुंच रहे हैं, तो मां बारा देवी के दर्शन अवश्य करें. क्योंकि यहां की आस्था की लहरें सदियों से भक्तों को आकर्षित करती चली आ रही हैं।
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