Navratri 2023 Day 9 Maa Siddhidatri Puja: बीते 16 अक्टूबर से शुरू हुए शारदीय नवरात्रि का आज आखिरी दिन यानि नवमी हैं. आज नवमें दिन मां सिद्धिदात्री का पूजन किया जाएगा। इसके बाद कल 24 अक्टूबर को दशहरा पूजन यानि विजया दशमीं के साथ नवरात्रि उत्सव की समाप्ति हो जाएगी। यदि आप भी माता रानी की आराधना पूजा करना चाहते हैं तो चलिए हम आपको बताने जा रहे हैं मां सिद्धि का पूजन कैसे करें।
महानवमीं की पूजा विधि
आपको बता दें महानवमी का दिन नौ दुर्गा का आखिरी दिन भी होता है। तो इस दिन माता सिद्धिदात्री के बाद अन्य देवताओं की भी पूजा की जाती है। इनके पूजन के लिए सबसे पहले मां की चौकी पर मां सिद्धिदात्री की तस्वीर या मूर्ति रखें रखकर मां सिद्धिदात्री की विधि विधान से पूजा करें। पूजन में पुष्प, अक्षत्, सिंदूर, धूप, गंध, फल आदि समर्पित करें।
मां सिद्धिदात्री का भोग
आपको बता दें मां सिद्धिदात्री के भोग में तिल का उपयोग जरूर करें। उन्हें तिल का भोग लगाएं। अगर आप भी ऐसा करते हैं कि तो आपके जीवन में आने वाली परेशानियों से बचा जा सकता है। आपको बता दें जैसा कि मां सिद्धदात्री सभी प्रकार की सिद्धियों को देने वाली हैं। इनकी पूजा ब्रह्म मुहूर्त में करना उत्तम होता है।
ये है मां सिद्धिदात्री की कथा
देवी पुराण में ऐसा उल्लेख मिलता है कि भगवान शंकर ने भी इन्हीं की कृपा से सिद्धियों को प्राप्त किया था। संसार में सभी वस्तुओं को सहज पाने के लिए नवरात्रि के नौवें दिन इनकी पूजा की जाती है। इस देवी की कृपा से ही शिवजी का आधा शरीर देवी का हुआ था। इसी कारण शिव अर्द्धनारीश्वर नाम से प्रसिद्ध हुए।ये कमल पर आसीन हैं और केवल मानव ही नहीं बल्कि सिद्ध, गंधर्व, यक्ष, देवता और असुर सभी इनकी आराधना करते हैं। यह मां का प्रचंड रूप है, जिसमे शत्रु विनाश करने की अदम्य ऊर्जा समाहित होती है। इस स्वरूप को तो स्वयं त्रिमूर्ति यानी की ब्रह्मा, विष्णु, महेश भी पूजते हैं।
बीज मंत्र
ह्रीं क्लीं ऐं सिद्धये नम:
मां सिद्धिदात्री के मंत्र:
सिद्ध गन्धर्व यक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि।
सेव्यमाना सदा भूयात् सिद्धिदा सिद्धिदायिनी॥
मां सिद्धिदात्री आरती
जय सिद्धिदात्री मां, तू सिद्धि की दाता।
तू भक्तों की रक्षक, तू दासों की माता।
तेरा नाम लेते ही मिलती है सिद्धि।
तेरे नाम से मन की होती है शुद्धि।
कठिन काम सिद्ध करती हो तुम।
जभी हाथ सेवक के सिर धरती हो तुम।
तेरी पूजा में तो ना कोई विधि है।
तू जगदंबे दाती तू सर्व सिद्धि है।
रविवार को तेरा सुमिरन करे जो।
तेरी मूर्ति को ही मन में धरे जो।
तू सब काज उसके करती है पूरे।
कभी काम उसके रहे ना अधूरे।
तुम्हारी दया और तुम्हारी यह माया।
रखे जिसके सिर पर मैया अपनी छाया।
सर्व सिद्धि दाती वह है भाग्यशाली।
जो है तेरे दर का ही अंबे सवाली।
हिमाचल है पर्वत जहां वास तेरा।
महा नंदा मंदिर में है वास तेरा।
मुझे आसरा है तुम्हारा ही माता।
भक्ति है सवाली तू जिसकी दाता।
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