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Navratri 2023: नि:संतान दंपत्तियों के​ लिए खास है नवरात्रि का चौथा दिन, ऐसे करें मां कूष्मांडा की पूजा, विधि, भोग, मंत्र

Navratri 2023 Day 4: नि:संतान दंपत्तियों के​ लिए खास है नवरात्रि का चौथा दिन, ऐसे करें मां कूष्मांडा की पूजा, विधि, भोग, मंत्र

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Preeti Dwivedi
Navratri 2023: नि:संतान दंपत्तियों के​ लिए खास है नवरात्रि का चौथा दिन, ऐसे करें मां कूष्मांडा की पूजा, विधि, भोग, मंत्र

Navratri 2023 Day 4: 15 अक्टूबर से शुरू शारदीय नवरात्रि का आज चौथा दिन है। इस दिन मां कूष्मांडा का पूजन किया जाता है। कहते हैं मां के इस रूप का पूजन करने से नि:संतान दंपत्तियों को संतान की प्राप्ति होती है। मां के तेज का इतना प्रकोप माना जाता है कि ये सूर्य नारायण के अंदर भी वास कर सकती हैं। मां का यह रूप हर प्रकार का सुख—समृद्धि देने वाला होता है। आइए आप भी जान लें कैसे मां कूष्मांडा को प्रसन्न कर सकते हैं।

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आप भी जानें मां कूष्मांडा के बारे में

मान्यता अनुसार मां ने ब्रहृमांण Maa Kushmanda की रचना की है। अंधकारमय जीवन के समय ब्रह्मांड के न होने पर मां ने धीरे—धीरे ब्रह्मांड की रचना की। इसी के
बाद तीनों देवों और देवियों की रचना की। देवी का यह रूप ही इस पूरे ब्रह्मांड की रचयिता है। अगर आप गति, ज्ञान, प्रेम, ऊर्जा, श्रेष्ठता, आयु, यश, बल, स्वास्थ्य और संतान सुख की प्राप्ति चाहते हैं तो नवरात्रि के चौथे दिन मां कूष्मांडा का पूजन करना न भूलें। चूंकि मां का यह रूप व उनका शरीर का तेज सूर्य के समान है। इसलिए मां के इस रूप को “प्रजालिट प्रभाकर” के नाम से भी जाना जाता है।

ऐसा है मां का स्वरूप

मां के हाथों में कमल, कमंडल, अमृत से भरा कलश, धनुष, बाण, चक्र, गदा और कमल-माला हैं। इसलिए धर्म शास्त्रों में इन्हें अष्टभुजा भी कहा जाता है। माँ कूष्मांडा पीठासीन देवता हैं जो पूरी दुनिया को सभी सिद्धियाँ और धन प्रदान करती हैं। सिंह पर सवार मां हमेशा वीर मुद्रा में रहती हैं। कहते इनका पूजन सुबह 6 बजे से शाम 7 बजे तक करना चाहिए। इनके पूजन में लाल पुष्पों व रक्त चंदन का उपयोग करना चाहिए। सूजी से बना हलवा मां को भोग में उपयोग करें।

मंत्र

ओम देवी कुष्मांडाई नमः।

प्रशंसा

या देवी सर्वभूतु मां कुष्मांडा रूपेना संस्था।
नमस्ते नमस्तस्य नमस्तस्य नमो नमः

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स्रोत

दुर्गातिनाशिनी तवाही गरीबद्रि विनाशनिम।
जयंदा धनदा कुष्मांडे प्राणमयम।।

जगतमाता जगतकत्री जगदाधर रूपनिम।
चरचारेश्वरी कूष्मांडे प्राणमयम।।

त्रैलोक्यसुंदरी तवाही शोक शोक निवारिनिम।
परमानन्दमयी, कुष्मांडे प्रणामय्यम्।।

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