नई दिल्ली। 26 सितंबर से शारदीय नवरात्रि Shardiya Navratri 2022 की शुरूआत होने जा रही है। Navratri 2022 Date वैसे तो पूरे नौ दिन मैया के havan karne ka sahi tarika लिए खास होते हैं। hindi news लेकिन क्या आप जानते हैं hindi कि इसमें अष्टमी का दिन बेहद खास होता है। इस साल शारदीय नवरात्रि में अष्टमी तिथि 3 अक्टूबर 2022 को पड़ेगी। तो आप भी जान लें इस दिन से जुड़ी खास बातें। इस दिन हवन करने का विशेष महत्व होता है। ऐसे में यदि आपको नहीं पता है तो चलिए हम आपको बताने जा रहे हैं कि हवन करने का सही तरीका क्या है।
आखिर क्यों खास है अष्टमी पूजन
वंश वृद्धि के लिए होगी कुल देवी की पूजा kul devi pujan on ashtmi tithi
दुर्गाष्टमी पर कई लोग कुल देवी का पूजन करते हैं। सबकी अपनी परंपरा अनुसार सप्तमी, अष्टमी और नवंमी पर भी होता है लेकिन अधिकतर घरों में अष्टमी पूजन किया जाता है। पंडित राम गोविन्द शास्त्री के अनुसार कुल देवी वंश को आगे बढ़ाने वाली होती हैं। इसलिए इस वंश वृद्धि घर के कुल की सलामती के लिए कुल देवी का पूजन किया जाता है।
यह रही दुर्गा अष्टमी की कथा ashtami katha
कथा अनुसार दो राक्षसों शुंभ और निशुंभ द्वारा देवताओं को हराए जानें के बाद देवलोक पर आक्रमण कर दिया गया। इसके बाद चंड व मुंड सेनापतियों को भेजा गया। तब इसी दिन यानी अष्टमी पर इस दौरान देवताओं की प्रार्थना पर मां पार्वती द्वारा देवी चंडी की रचना की गई। तब मां चंडी ने चंड और मुंड का वध किया। इसी दौरान मां पार्वत द्वारा चंडी देवी को चामुंडा नाम दिया गया।
इन शक्तियों की होती है पूजा
महाअष्टमी पूजन का हमारे धर्म में विशेष महत्व है। इस दिन मां के 64 योगिनियों, मां के 8 रूपों यानि मां की अष्ट शक्तियों की पूजा की जाती है। मां के विभिन्न रूपों में मां की विभिन्न शक्तियाँ का स्वरूप झलकता है। इस दौरान मां ब्राह्मी, माहेश्वरी, कौमारी, वैष्णवी, वारही, नरसिंही, इंद्राणी और चामुंडा आठ शक्तियों की पूजा की जाती है।
संधि पूजा का है खास महत्व sandhi pujan
अष्टमी पूजन पर संधि पूजा का विशेष महत्व है। संधि जैसे नाम से ही स्पष्ट है जब दो तिथियों का मिलन होता है। उसे संधि कहते हैं। इसी तरह जब अष्टमी तिथि समाप्त होती है और नवमी तिथि शुरू होती है। उस समय को संधि पूजा कहते हैं। इसी समय पर संधि पूजा की जाती है। ये पूजा इसलिए खास मानी जाती है कि इस संधि के दौरान ही देवी चामुंडा माता ने चंड और मुंड राक्षसों का वध किया था।
अष्टमी के दिन न करें ये गलतियां —dos and dont on ashtmi pujan
- सुबह जल्दी नहाकर साफ कपड़े पहन कर पूजन के लिए बैठें। इस दिन की पूजा का समय संधि काल सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। अत: शाम को शुभ मुहूर्त में पूजन-हवन करें।
- व्रत रखने वालों और विशेष आराधना करने वालों के लिए इस दौरान हवन जरूर करना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि हवन के बिना नवरात्रि की पूजा अधूरी मानी जाती है।
- अष्टमी के दिन सोने की मनाही है। वरना इसका फल नहीं मिलता।
- यदि व्रत रखें हो तो कन्या पूजन कराने के बाद भी आपको व्रत खोलना चाहिए।
- अष्टमी के दिन नीले व काले कपड़ो की मनाही है।
हवन सामग्री और विधि havan samagri
आम की लकडियां, बेल, नीम, पलाश का पौधा, कलीगंज, देवदार की जड़, गूलर की छाल और पत्ती, पापल की छाल और तना, बेर, आम की पत्ती और तना, चंदन का लकड़ी, तिल, कपूर, लौंग, चावल, ब्राह्मी, मुलैठी, अश्वगंधा की जड़, बहेड़ा का फल, हर्रे तथा घी, शक्कर, जौ, गुगल, लोभान, इलायची एवं अन्य वनस्पतियों का बूरा।
हवन के मंत्र havan ke mantra
ओम गणेशाय नम: स्वाहा
ओम गौरियाय नम: स्वाहा
ओम नवग्रहाय नम: स्वाहा
ओम दुर्गाय नम: स्वाहा
ओम महाकालिकाय नम: स्वाहा
ओम हनुमते नम: स्वाहा
ओम भैरवाय नम: स्वाहा
ओम कुल देवताय नम: स्वाहा
ओम स्थान देवताय नम: स्वाहा
ओम ब्रह्माय नम: स्वाहा
ओम विष्णुवे नम: स्वाहा
ओम शिवाय नम: स्वाहा
ओम जयंती मंगलाकाली, भद्रकाली कपालिनी दुर्गा क्षमा शिवाधात्री स्वाहा स्वधा नमस्तुति स्वाहा।
ओम ब्रह्मा मुरारी त्रिपुरांतकारी भानु: शशि भूमि सुतो बुधश्च: गुरुश्च शुक्र शनि राहु केतव सर्वे ग्रहा शांति करा भवंतु स्वाहा
ओम गुरुर्ब्रह्मा, गुरुर्विष्णु, गुरुर्देवा महेश्वर: गुरु साक्षात् परब्रह्मा तस्मै श्री गुरुवे नम: स्वाहा।
ओम शरणागत दीनार्त परित्राण परायणे, सर्व स्थार्ति हरे देवि नारायणी नमस्तुते।
इसके बाद नारियल के गोले में लाल कपड़ा या कलावा लपेट दें। फिर सुपारी, पान, बताशा, पूरी, खीर और अन्य प्रसाद को हवन कुंड के बीच में स्थापित कर दें।
पूर्ण आहुति मंत्र का उच्चारण करें –
ओम पूर्णमद: पूर्णमिदम् पुर्णात पूण्य मुदच्यते, पुणस्य पूर्णमादाय पूर्णमेल विसिस्यते स्वाहा।
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