Nautapa 2024 Fact: अप्रैल का महीना खत्म होने वाला है और भीषण गर्मी भी अपना असर दिखाने लगी है। पर जरा सोचिए कि जब अभी गर्मी का ये हाल है तो नौपता लगेंगे तो क्या होगा।
नौतपा में सूर्य (Nautapa me Surya) देवता आग उगलते हैं। पर क्या आप जानते हैं कि नौतपा की शुरुआत (Nautapa Date 2024) 25 मई से ही क्यों होती है। यदि नहीं तो चलिए जानते हैं इसके पीछे का धार्मिक और वैज्ञानिक कारण क्या है।
इस दिन से शुरू हो रहे हैं नौतपा
नौतपा की शुरुआत 25 मई शनिवार को ज्येष्ठ माह पक्ष (Jyeshtha Month) की द्वितीया से होने जा रही है। ज्योतिषाचार्य पंडित रामगोविंद शास्त्री के अनुसार इनकी समाप्ति (Navtapa End 2024) 3 जून को होगी। इस दौरान सूर्य भीषण आग बरसाएंगे।
नौतपा का वैज्ञानिक तथ्य
जिस तरह जेष्ठ के महीने में नौतपा (Nautapa 2024 Fact) शुरू होने का एक धार्मिक कारण है उसी तरह नौतपा का विज्ञान से भी संबंध है। मई के आखिरी सप्ताह में सूर्य और पृथ्वी के बीच दूरी सबसे कम हो जाती है और इससे धूप और तेज हो जाती है।
वैज्ञानिक कारणों की बात करें तो जब सूर्य की किरणें सीधे पृथ्वी पर पड़ती हैं। तो इस बीच तापमान सबसे ज्यादा होता है। जब गर्मी ज्यादा होती है तो मैदानी क्षेत्रों में निम्न दबाव का क्षेत्र बनने लगता है। फिर यही क्षेत्र समुद्र की लहरों को आकर्षित करता है।
इससे ठंडी हवाएं मैदानों की ओर बढ़ती हैं, चूंकि समुद्र को उच्च दबाव वाला क्षेत्र माना जाता है, इसलिए हवाओं का रुख से अच्छी बारिश का अंदाजा लगाया जाता है।
25 मई से ही क्यों शुरू होते हैं नौतपा
ज्योतिषाचार्य पंडित रामगोविंद शास्त्री के अनुसार जब रोहिणी नक्षत्र में सूर्य (Rohini Nakshatra me Surya ka Pravesh) प्रवेश करता है तो इस दौरान जो स्थिति निर्मित होती है उसे नौतपा कहते हैं। आपको बता दें ये हर साल 25 मई से ही शुरू (25 May se kyon shuru hote hain nautapa) होते हैं। बस इनका समय बदल जाता है।
नौतपा 25 मई से शुरू होकर 3 मई तक चलेंगे। रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करते ही सूर्य देव (Rohini Nakshatra me Surya ka Gochar 2024) अपने प्रचंड रूप के दर्शन कराने लगते हैं। यही कारण है कि इससे धरती का तापमान तेजी से बढ़ने लगता है।
दोपहर 4 बजे से शुरू हो जाएंगे नौतपा
आपको बता दें इस साल यानि वर्ष 2024 में सूरज 25 मई को दोपहर के बाद रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करेगा तभी से नौतपा शुरू हो जाएंगे। जो 3 जून तक चलेंगे।
इस दौरान मेष राशि में सूर्य (Mesh me Surya) के साथ बुध भी रहेगा।
सूर्य पर रोहिणी नक्षत्र की नजर
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ऐसा साल में एक बार होता है जब सूर्य पर रोहिणी नक्षत्र (Rohini Nakshatra) की दृष्टि पड़ती है। सूर्य किसी भी नक्षत्र में 15 दिन के लिए होता है। लेकिन आपको बता दें इसके शुरू होने के पहले चन्द्रमा जिन 9 नक्षत्रों पर रहता है वह दिन नौतपा (Nautapa 2024) कहलाते हैं।
यही कारण है कि इन नौ दिनों में गर्मी अधिक रहती है। चूंकि मई के आखिरी सप्ताह में सूर्य और पृथ्वी के बीच दूरी कम हो जाती है और इससे धूप और तेज हो जाती है।
नौतपा में कितने अंश पर होता है सूर्य
ज्योतिषाचार्य के अनुसार जेठ के महीने में सूर्य के वृष राशि के 10 अंश से 23 अंश 40 कला तक नौतपा कहलाता है। इस दौरान तेज गर्मी बारिश के अच्छे योग बनते हैं। हमारे हिन्दू धर्म में ऐसा माना जाता है कि नौतपा जितने अधिक तपते हैं तो उस साल बारिश भी अच्छी होती है।
यदि इस नक्षत्र में हुई बारिश तो कम बारिश के योग
ज्योतिषाचार्य पंडित राम गोविंद शास्त्री के अनुसार ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष में आद्रा नक्षत्र से लेकर दस नक्षत्रों तक यदि बारिश हो तो पूरे बारिश के मौसम में अच्छी बारिश के योग माने जाते हैं। यदि इन दसों नक्षत्रों में बारिश न हो तो और इन्हीं नक्षत्रों में तीव्र गर्मी पड़ जाए तो समझो उस साल बारिश जमकर होगी।
ज्योतिष में नौतपा की परिभाषा
आपको बता दें ज्योतिष शास्त्र में जब चंद्रमा ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष में आर्द्रा से स्वाति नक्षत्र तक अपनी स्थितियों में हो एवं तीव्र गर्मी पड़े, तो ये स्थिति नौतपा कहलाती है। अगर रोहिणी के दौरान अगर बारिश हो जाती है तो इसे रोहिणी नक्षत्र का गलना भी कहा जाता है। दूसरी बुंदेलखंडी भाषा में कहें तेा इसे तपों का चूना भी कहते हैं।
रोहिणी नक्षत्र का सूर्य पर असर
सूर्य तेज और प्रताप का प्रतीक माना जाता है जबकि चंद्रमा शीतलता का। रोहिणी नक्षत्र का अधिपति ग्रह चंद्रमा ही है। जब सूर्य चंद्रमा के रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करता है तो सूर्य चंद्रमा के इस नक्षत्र को भी अपने प्रभाव में ले लेता है।
जिसके कारण रोहिणी नक्षत्र का तापमान भी बढ़ने लगता है। जब सूर्य रोहिणी नक्षत्र में आता है तो इस दौरान तापमान बढ़ने से धरती पर आंधी, तूफान आने की आशंका भी बढ़ जाती है।
शास्त्र के अनुसार
ज्येष्ठ मासे सीत पक्षे आर्द्रादि दशतारका।
सजला निर्जला ज्ञेया निर्जला सजलास्तथा।।