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National Space Day: बस्‍तर की बेटी नित्‍या पहुंची अंटार्कटिका, किया ये बड़ा काम कि छत्‍तीसगढ़ का बढ़ाया गौरव

National Space Day: बस्‍तर की बेटी नित्‍या पहुंची अंटार्कटिका, यहां स्‍पेस रिसर्च का काम किया और यहां पर रात के समय में निकलने वाला सूरज देखा

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Sanjeet Kumar
National Space Day

National Space Day: छत्‍तीसगढ़ के बस्‍तर (Bastar News) संभाग की बेटी अंटार्कटिका पहुंची है। यह प्रदेश के लिए बड़ी उपलब्धि की बात है। इतना ही नहीं नित्‍या पांडे ने स्‍पेस रिसर्च का काम किया है। वह अंटार्कटिका दुनिया का एक ऐसा देश है, जहां छह महीने तक रात नहीं होती है।

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इस देश (National Space Day) में रात के समय में भी दोपहर की तरह सूरज निकला दिखाई देता है। इतना ही नहीं इस देश में धूप के साथ जिस दिशा में आप नजर घुमाएंगे, उधर सिर्फ ओर सिर्फ जानलेवा बर्फ ही दिखाई देती है। यहां हालत ऐसी रहती है कि माइन 95 डिग्री तक टेंपरेचर पहुंच जाता है। यह दुनिया की सबसे ठंगी जगह भी मानी जाती है।

नित्‍या ने देखा रात का सूरज 

National Space Day 2024, daytime sun in antarctica

इन सब विपरीत हालातों के बीच छत्‍तीसगढ़ (Chhattisgarh News) बस्‍तर संभाग के कोंडागांव (Kondagaon News) जिले की बेटी नित्‍या पांडे ने यहां पहुंचकर प्रदेश और देश (National Space Day) का मान बढ़ाया है। नित्‍या ने यहां स्‍पेस रिसर्च (National Space Day) का काम किया और यहां पर रात के समय में निकलने वाला सूरज देखा।

यानी रात के समय में जब हम सोते हैं उस समय रात का सूरज नित्‍या ने देखा। आज देश के पहले नेशनल स्‍पेस डे (National Space Day) पर हम आपको बता रहे हैं, छत्‍तीसगढ़ (Chhattisgarh News) की उस बेटी के बारे में जिसका चयन स्‍पेस रिसर्च के लिए हुआ है और नित्‍या ने स्‍पेस रिसर्च का काम भी किया है-

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आज देश का पहला नेशनल स्‍पेस डे

बता दें कि 23 अगस्त 2023 को भारत चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र में पहुंचा था और दुनिया का पहला देश बना था। इसी उपलब्धि पर 23 अगस्‍त को नेशनल स्‍पेस डे (National Space Day) मनाने का निर्णय लिया गया। आज पहला नेशनल स्‍पेस डे है।

सूरज का बदल जाता है एंगल

National Space Day 2024, daytime sun in antarctica

बता दें कि नित्‍या पांडे का कल्पना चावला स्कॉलरशिप प्रोग्राम के तहत 2019 में स्‍पेस यूनिवर्सिटी में 65 दिनों के लिए चयन हुआ था। यहां उसे रिसर्च करने का मौका मिला है। इसके बाद नित्‍या ने वहीं आगे की पढ़ाई करने की इच्‍छा जताई। अब वह सेंटियागो, चिली में रहकर PHD (Bastar News) की पढ़ाई कर रही हैं। वो यूनिवर्सिटी ऑफ चिली में डिपार्टमेंट ऑफ एस्ट्रोनॉमी की छात्रा हैं।

वह बताती हैं कि समर सीजन में अंटार्कटिका में रात नहीं होती है। रात की जगह यहां पर सूरज का सिर्फ एंगल जरा से बदलता है। यहां धूप ही खिली रहती है। यहां के लोग सूरज (National Space Day) के एंगल बदलने से ही समझ पाते हैं कि दुनिया में रात हो गई है। नित्‍या ने बताया कि हमारी टीम कुछ घंटे की नींद लेते इसके बाद रिसर्च करते। नित्‍या ने जानकारी दी कि उन्‍होंने सोलर सिस्टम पर स्‍टडी की है।

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इसलिए यहां छह महीने रहता है दिन

नित्या ने यहां छह महीने तक दिन और छह महीने तक रात होने के कारणों को बताया है। नित्‍या बताती है कि पृथ्‍वी के इस हिस्‍से (अंटार्कटिका) में धरती का अपनी धुरी पर टेढ़ी होकर घूमना ही यहां हर छह महीने दिन और छह महीने रात होती है। इसी तरह मौसम भी दो ही होते हैं। दो मौसम सर्दी और गर्मी होती है। यहां पर सर्दी में पारा माइनस 95 तक और गर्मी में पारा माइनस 25 या 30 तक रहता है।

अंटार्कटिका में देखी पहली बार बर्फ

अंटार्कटिका देश

कोंडागांव (Kondagaon News) की रहने वाली नित्या ने जानकारी दी कि उसका जब रिसर्च के लिए चयन हुआ और वे अंटार्कटिका पहुंची। जहां नित्‍या ने पहली बार इतनी सारी बर्फ देखी। वहां पहुंचने पर खुशी हुई, लेकिन वहां के खतरनाक मौसम ने नित्‍या को परेशानी में भी डाल दिया। उसे आइसबर्न हुआ और हाथों, आंखों में परेशानी होने लगी। इस पर चिली की आर्मी के डॉक्‍टर्स ने नित्‍या का इलाज किया।

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खाने-पीने के लिए उबालकर पीते हैं बर्फ

नित्या बताती है कि विश्‍व का सबसे ठंडा इलाका होने के साथ ही वेजिटेरियन को खाने-पीने की चीजों के लिए बड़ी समस्‍या आई। यहां हमारे लिए पैक्ड फ्रोजन फूड आता था, चाय-कॉफी बनाना होता तो फ्रेश आइस को उबालकर उपयोग में लेना पड़ता था। यहां पीने के लिए पानी एयर फोर्स के द्वारा उपलब्ध कराया जाता था। नित्‍या के पिता शिक्षक हैं और माता हाउसवाइफ हैं।

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