हाइलाइट्स
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आज नेशनल पेरेंट्स डे
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बच्चों की सही परवरिश जरूरी
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बुढ़ापे में माता-पिता का साथ दें बच्चे
National Parents Day 2025: पुराने जमाने में परिवार में तीन पीढ़ियां साथ रहती थीं। बच्चे अपने माता-पिता और दादा-दादी के साथ बड़े होते थे और बड़ों की सेवा को अपना कर्तव्य मानते थे। लेकिन आज की भागदौड़ भरी जिंदगी, व्यक्तिगत आजादी और बदलती सोच ने माता-पिता और बच्चों के रिश्तों में एक अनदेखी दूरी पैदा कर दी है। माता-पिता अपने बच्चों को सुविधा देने में पीछे नहीं रहते, लेकिन भावनात्मक जुड़ाव और संस्कारों की कमी के कारण बच्चे बड़े होकर माता-पिता से दूरी बना लेते हैं।
बच्चों को कैसी परवरिश दें ताकि वे आपका सहारा बनें ?
विशेषज्ञों का कहना है कि बच्चों को केवल सुविधा नहीं, संवेदना की भी जरूरत होती है। वे जैसा माहौल बचपन में देखते हैं, वैसा ही व्यवहार आगे चलकर अपना लेते हैं।
संस्कारों की नींव हो मजबूत
बच्चों को बचपन से ही ये सिखाना चाहिए कि माता-पिता, दादा-दादी, रिश्तेदार और समाज के बड़े क्यों महत्वपूर्ण हैं। बड़ों का आदर करो जैसी बातें सिर्फ कहने के लिए नहीं, बल्कि करके दिखाने की जरूरत है।
बच्चों के साथ करें संवाद
बच्चे जब अपनी बातें खुलकर बता पाते हैं, तो वे मानसिक रूप से जुड़ते हैं। अगर आप उनके साथ समय बिताएंगे, उनके विचारों को महत्व देंगे, तो वे भी आपकी भावनाओं की कद्र करेंगे।
बच्चों को छोटी-छोटी जिम्मेदारियां दें
बच्चों को घर के कामों में शामिल करें। दादी की दवाई देना, नाना-नानी को फोन करना, त्योहारों में मदद करना। इससे उनमें अपनापन और जिम्मेदारी दोनों की भावना पैदा होती है।
आप खुद बनें उदाहरण
बच्चे वही सीखते हैं जो वे अपने माता-पिता को करते देखते हैं। अगर आप अपने माता-पिता की सेवा करेंगे, बुजुर्गों का सम्मान करेंगे, तो बच्चे भी वही रवैया अपनाएंगे।
डर नहीं, भरोसे की परवरिश करें
बच्चों को ये न सिखाएं कि बुजुर्गों का ख्याल रखना मजबूरी है बल्कि उन्हें ये समझाएं कि ये हमारा फर्ज और प्यार है। भरोसे और प्रेम से दी गई परवरिश लंबे समय तक असर करती है।
इन बातों का जरूर रखें ध्यान
बच्चों की तुलना दूसरों से न करें
हर वक्त टोकने की बजाय उन्हें समझाएं
स्कूल और पढ़ाई के अलावा भी जीवन मूल्यों की शिक्षा दें
टेक्नोलॉजी से जुड़ने दें, लेकिन परिवार से भी जोड़े रखें
जो बोएगा, वही पाएगा
बच्चे जैसा देखेंगे, वैसा ही बनेंगे। अगर वे घर में रिश्तों की अहमियत, सेवा की भावना और आदर का माहौल पाएंगे, तो वे कभी आपको बुढ़ापे में अकेला नहीं छोड़ेंगे। बचपन में बोए गए संस्कार ही बुढ़ापे में संतान बनकर साथ खड़े रहते हैं।