National Forest Martyrs Day 2024: हम प्रति वर्ष 11 सितंबर को राष्ट्रीय वन शहीद दिवस मनाते हैं। यह दिन उन अनगिनत कार्यकर्ताओं के सम्मान में समर्पित किया गया है, जिन्होंने भारत के जंगलों, वनों और वन्यजीवों की रक्षा करने के लिए अपना बलिदान तक दे दिया।
वन के लिए वे अंतिम सांस (National Forest Martyrs Day 2024) तक लड़ते रहे। इसको लेकर वर्ष 2013 में पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने राष्ट्रीय वन शहीद दिवस की स्थापना की। इसके तहत 1730 में हुए ऐतिहासिक खेजड़ली नरसंहार को जोड़कर 11 सितंबर को वन शहीद दिवस मनाने का निर्णय लिया।
राष्ट्रीय वन शहीद दिवस का महत्व
यह दिवस वन रक्षकों, रेंजरों और अन्य वन कर्मियों के बलिदानों का सम्मान (National Forest Martyrs Day 2024) करने के लिए मनाया जाता है। जिन्होंने अपने कर्तव्यों का पालन किया और अपनी जान तक न्यौछावर कर दी। इसलिए राष्ट्रीय वन शहीद दिवस महत्वपूर्ण दिन के रूप में मनाया जाता है।
यह दिन इस बात के लिए भी महत्वपूर्ण है कि हमारे जीवन में वनों का संरक्षण कितना जरूरी है। राष्ट्रीय वन शहीद दिवस पर अवैध शिकार, कटाई और अतिक्रमण जैसे कई कार्य जो अवैध गतिविधियों के खिलाफ अपनी लड़ाई में वन रेंजरों द्वारा सामना कर जान जोखिम में डालकर काम किया जाता है। उसको लेकर भी इसका बड़ा महत्व है।
राष्ट्रीय वन शहीद दिवस का इतिहास
हमारे देश में राष्ट्रीय वन शहीद दिवस (National Forest Martyrs Day 2024) का इतिहास पर्यावरण जागरूकता, निस्वार्थता और बलिदान के मुद्दों को जोड़ता है। इतिहास के पन्नों को खंगाले तो खेजड़ली नरसंहार सबसे बड़ा है। जो अब इतिहास बन गया है। वन शहीद दिवस के इतिहास में मोड़ यह भयानक घटना हुई थी।
मारवाड़ साम्राज्य के महाराजा अभय सिंह ने खेजड़ी के पेड़ों को काटने का आदेश जारी कर दिया था। उन पेड़ों को बिश्नोई समुदाय के द्वारा पूजा जाता था। अमृता देवी बिश्नोई के नेतृत्व में ग्रामीणों ने पेड़ों कटने (National Forest Martyrs Day 2024) से बचाने के लिए उन्हें गले लगा लिया। इतना ही नहीं पेड़ों को बचाने के लिए अपनी जान तक दे दी। इस विरोध की शुरुआत जरूर शांतिपूर्ण तरीके से हुई थी, लेकिन यह एक राष्ट्रीय आंदोलन, पर्यावरण संरक्षण को लेकर एक शक्तिशाली प्रतीक बन गया।
आखिरकार सरकार ने की अवकाश की घोषणा
बता दें कि 1972-1982: खेजरली नरसंहार (National Forest Martyrs Day 2024) ने वन संरक्षण को लेकर नया आंदोलन छेड़ दिया। वन संरक्षण के अभियानकर्ताओं व पर्यावरण संगठनों ने प्राकृतिक की रक्षा करने वालों के बलिदानों को मान्यता देने की मांग की।
1982 में भारत सरकार ने 11 सितंबर को राष्ट्रीय वन शहीद दिवस के रूप में राष्ट्रीय अवकाश की स्थापना कर दी। तभी से वन के लिए शहीद होने वालों की स्मृति का सम्मान करने यह दिवस हर साल मनाया जाता है।
शैक्षणिक संस्थानों में होते हैं कार्यक्रम
वन संरक्षण का समर्थन (National Forest Martyrs Day 2024) करने और बच्चों में प्रकृति के प्रति प्रेम और जागरूकता को लेकर आज ही के दिन कई तरह से कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। इस दिन पौधारोपण अभियान, पर्यावरण जागरूकता कार्यक्रम आदि किए जाते हैं।
इसी के साथ ही वनों के महत्व, वन्यजीवों के संरक्षण को लेकर कार्यक्रम किए जाते हैं। ये कार्यक्रम स्कूल, कॉलेज और सामुदायिक केंद्र सेमिनार, कार्यशालाएं व अन्य कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
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छत्तीसगढ़ में आज वन शहीद दिवस कार्यक्रम
राष्ट्रीय वन शहीद दिवस के मौके पर आज रायपुर (National Forest Martyrs Day 2024) में कार्यक्रम आयोजित किया गया है। इस कार्यक्रम से पहले सुबह 11 बजे ऊर्जा पार्क पर कार्यक्रम होगा। जहां सीएम विष्णुदेव साय भी शामिल होंगे। इसी के साथ ही दोपहर 3 बजे पं. दीनदयाल ऑडिटोरियम में कार्यक्रम आयोजित किया है। जहां वन मंत्री केदार कश्यप समेत अन्य मंत्री भी शामिल होंगे।
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