Advertisment

National Flag Day: कहां बनता है भारत का झंडा, क्या आप अपनी गाड़ी पर लगा सकते हैं, क्या हैं रात में तिरंगा फहराने के नियम

आज राष्ट्रीय ध्वज दिवस मनाया जा रहा है, तिरंगा देश की आजादी, एकता और गर्व का प्रतीक है। चलिए जानते हैं भारत के झंडे के गौरवशाली इतिहास, कहा बनता है और इसे फहराने से जुड़े नियमों के बारे में।

author-image
Vikram Jain
National Flag Day: कहां बनता है भारत का झंडा, क्या आप अपनी गाड़ी पर लगा सकते हैं, क्या हैं रात में तिरंगा फहराने के नियम

National Flag Day 2025: आज 22 जुलाई को भारत में 'राष्ट्रीय ध्वज दिवस' (National Flag Day) के रूप में मनाया जा रहा है। यह दिन उस ऐतिहासिक क्षण की याद दिलाता है जब देश ने अपने गर्व, सम्मान और आज़ादी के प्रतीक ‘तिरंगे’ को आधिकारिक रूप से अपनाया था।

Advertisment

अगले महीने जब 15 अगस्त को आजादी का जश्न मनाया जाएगा, तो देश के कोने-कोने में हजारों लोग हाथों में तिरंगा लिए, पूरे उत्साह और गौरव के साथ सड़कों पर नज़र आएंगे। लेकिन क्या आप जानते हैं कि आज का तिरंगा कई ऐतिहासिक बदलावों और विचारधाराओं से गुजर कर बना है?

भारत का पहला आधिकारिक ध्वज साल 1906 में अस्तित्व में आया, जबकि मौजूदा तिरंगे को 1947 में राष्ट्रीय ध्वज का दर्जा मिला। इस लेख में जानिए तिरंगे के अब तक हुए बदलावों की पूरी यात्रा, और वह दौर जब महात्मा गांधी ने इसमें धर्मों के आधार पर रंगों का सुझाव दिया था।

आज का तिरंगा: 1947 में मिला राष्ट्रीय गौरव

आज जिस तिरंगे को हम गर्व से 'राष्ट्रीय ध्वज' कहते हैं, उसे 22 जुलाई 1947 को संविधान सभा द्वारा आधिकारिक तौर पर भारत के राष्ट्रीय ध्वज के रूप में अपनाया गया था। उसी दिन को स्मरण करते हुए हर साल यह दिवस मनाया जाता है।

Advertisment

publive-image

1906 में फहराया गया था पहला ध्वज

भारत का पहला आधिकारिक झंडा साल 1906 में कोलकाता में फहराया गया था। यह ध्वज आज के तिरंगे से बिल्कुल अलग था। इसमें तीन क्षैतिज रंग हरा, पीला और लाल थे। मध्य पट्टी पर 'वंदे मातरम्' अंकित था, जबकि झंडे में कमल के फूल, चांद और सूरज जैसे प्रतीक भी मौजूद थे।

publive-image

1907 में मिला था भारत को दूसरा झंडा

इसके ठीक एक साल बाद, 1907 में भारत को दूसरा झंडा मिला, जिसे मैडम भीकाजी कामा ने अपने कुछ क्रांतिकारी साथियों के साथ पेरिस में फहराया। इस झंडे में लाल की जगह केसरिया रंग और आठ कमल के स्थान पर आठ सितारे दर्शाए गए थे, जो भारत के प्रांतों का प्रतीक माने गए।

1917 में भारत के झंडे में एक नया स्वरूप सामने आया, जब एनी बेसेंट और लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने मिलकर इसे फहराया। यह झंडा बाकी ध्वजों से काफी भिन्न था। इसमें लाल रंग की पांच और हरे रंग की चार क्षैतिज पट्टियाँ थीं। झंडे के बाएँ कोने में ब्रिटेन का यूनियन जैक दर्शाया गया था, और साथ ही इसमें चाँद-सितारे भी जोड़े गए थे, जो धर्मों की विविधता को दर्शाते थे।

Advertisment

गांधीजी ने जोड़ी थी झंडे में सफेद पट्टी

इसके कुछ सालों बाद, 1921 में विजयवाड़ा में आयोजित अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की बैठक में एक व्यक्ति ने महात्मा गांधी के सामने झंडे का एक नया डिजाइन प्रस्तुत किया। गांधीजी ने उसमें एक सफेद पट्टी जोड़ी और 'चरखा' का प्रतीक शामिल किया, जो आत्मनिर्भरता और स्वदेशी आंदोलन का प्रतिनिधित्व करता था।

साल 1931 में भारत के ध्वज को एक बार फिर नया स्वरूप मिला, जो आज के तिरंगे से काफी हद तक मेल खाता है। इस झंडे में ऊपर केसरिया, बीच में सफेद और नीचे हरे रंग की तीन क्षैतिज पट्टियाँ थीं। सफेद पट्टी के केंद्र में चरखा बना हुआ था, जो स्वदेशी और आत्मनिर्भरता का प्रतीक था। इस ध्वज को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने आधिकारिक रूप से स्वीकार किया था।

publive-image

तिरंगा त्याग, शांति और प्रगति का प्रतीक

इसके बाद जुलाई 1947 में, भारत के ध्वज में अंतिम और सबसे महत्वपूर्ण बदलाव किया गया। स्वतंत्रता से ठीक पहले, इस ध्वज को राष्ट्रीय ध्वज के रूप में अपनाया गया। चरखे की जगह अशोक चक्र को स्थान दिया गया, जो न्याय, धर्म और प्रगति का प्रतीक है। तिरंगे की तीन पट्टियाँ बरकरार रहीं

Advertisment
  • केसरिया रंग (त्याग और बलिदान)
  • सफेद रंग (सत्य और शांति)
  • हरा रंग (समृद्धि और जीवन)

इस अंतिम स्वरूप को पिंगली वेंकैया ने डिजाइन किया था, और यही तिरंगा आज भारत की गौरवपूर्ण पहचान बन चुका है।

शुरू में हरे रंग को मुसलमानों और केसरिया को हिंदुओं से जोड़ा गया था, लेकिन स्वतंत्र भारत में इन रंगों को धार्मिक नहीं, बल्कि राष्ट्रीय मूल्यों से जोड़ा गया, ताकि यह ध्वज हर भारतीय का गर्व बन सके।

publive-image

कहां बनता है हमारा राष्ट्रीय ध्वज 'तिरंगा'?

भारत में राष्ट्रीय ध्वज "तिरंगे" का निर्माण एक विशेष प्रक्रिया और कड़े गुणवत्ता मानकों के अनुसार किया जाता है। पूरे देश में सिर्फ दो संस्थान हैं जहां उच्च मानक वाला तिरंगा तैयार किया जाता है।

तिरंगा निर्माण के दो प्रमुख केंद्र

  • मध्य भारत खादी संघ, ग्वालियर (मध्यप्रदेश)
  • खादी ग्रामोद्योग, बेंगिरी गांव, हुबली (कर्नाटक)
  • इन दोनों संस्थानों में BIS (भारतीय मानक ब्यूरो) द्वारा प्रमाणित ISI मार्क वाला राष्ट्रीय ध्वज तैयार किया जाता है।

ग्वालियर से कई राज्यों में पहुंचता है राष्ट्रीय ध्वज

ग्वालियर के जीवाजी गंज स्थित इस वर्कशॉप में हर साल स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस से पहले कारीगरों की टीम दिन-रात जुट जाती है। यहां से तैयार होने वाले तिरंगे की देश के 16 राज्यों में आपूर्ति की जाती है। देश में इस्तेमाल होने वाले कुल तिरंगों का लगभग 40% यहीं तैयार होता है।

'कर्नाटक खादी ग्रामोद्योग संयुक्त संघ' भी तिरंगे का निर्माण करता है। यह यूनिट कर्नाटक के हुबली शहर के बेंगेरी क्षेत्र में स्थित है और खादी ग्रामोद्योग आयोग (KVIC) से प्रमाणित है। इसे भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) से 2005-06 में सर्टिफिकेट मिला था, और तभी से यह संस्थान पूरे देश में आधिकारिक तिरंगों की आपूर्ति करता है। राष्ट्रीय ध्वज को विशेष और सख्त मानकों के तहत बनाया जाता है।

publive-image

कैसे होती है क्वालिटी की जांच?

  • भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) द्वारा प्रत्येक तिरंगे की कड़ी जांच की जाती है।
  • तिरंगे का निर्माण एक बहु-चरणीय प्रक्रिया है, जिसमें शामिल हैं: कपास की कताई, बुनाई, रंगाई, सिलाई, मापन
  • तिरंगे में रंग, साइज, कपड़े और धागे की गुणवत्ता यदि तय मानकों से जरा भी कम पाई गई, तो उसे रिजेक्ट कर दिया जाता है।
  • हर झंडा तब तक तैयार नहीं माना जाता जब तक वह इन सभी मानकों पर खरा न उतरे। तिरंगा सिर्फ कपड़े का टुकड़ा नहीं, यह देश के गौरव और करोड़ों देशवासियों की भावना का प्रतीक है, इसलिए निर्माण में कोई समझौता नहीं होता।

तिरंगे के निर्माण से जुड़े नियम

फ्लैग कोड ऑफ इंडिया 2022 में तिरंगे के रंग, अनुपात, साइज, कपड़े (खादी या पॉलिएस्टर) आदि से जुड़े सख्त नियम निर्धारित किए गए हैं। जिसमें किसी भी प्रकार की त्रुटि को कानूनी अपराध माना गया है।

तिरंगे से जुड़े नियम और कानून

भारत में तिरंगा के फहराने से सभी नियम और कानून ‘फ्लैग कोड ऑफ इंडिया, 2002’ के तहत आते हैं, जो 26 जनवरी 2002 से लागू हैं। इससे पहले यह अधिकार ‘एम्बलम्स एंड नेम्स एक्ट, 1950’ और ‘प्रिवेंशन ऑफ इंसल्ट्स टू नेशनल ऑनर एक्ट, 1971’ के तहत सीमित था।

publive-image

2022 में हुए दो बड़े बदलाव

  • पहले तिरंगा केवल सुबह से शाम तक ही फहराया जा सकता था, लेकिन 2022 में केंद्र सरकार ने इसे दिन-रात फहराने की अनुमति दे दी। इसका उद्देश्य लोगों को अपने घरों पर गर्व से तिरंगा फहराने के लिए प्रेरित करना है।
  • पहले केवल हाथ से बुने खादी, सूती या रेशमी झंडे ही मान्य थे। अब मशीन से बने झंडे और पॉलिएस्टर के तिरंगे को भी फहराने की अनुमति मिल चुकी है, जिससे झंडे की उपलब्धता और पहुंच आसान हुई है।

तिरंगा फहराने के जरूरी नियम

  • तिरंगे का आकार आयताकार होना चाहिए; अनुपात 3:2 (लंबाई : चौड़ाई) में हो।
  • तिरंगे की केसरिया पट्टी हमेशा ऊपर होनी चाहिए।
  • झंडा कभी भी जमीन या पानी को नहीं छूना चाहिए।
  • फटा, गंदा या मलिन ध्वज उपयोग में नहीं लाया जा सकता।
  • झंडे पर कुछ भी लिखना या प्रतीक बनाना सख्त मना है।
  • झंडा समान रूप से साफ और सम्मानपूर्वक लगाया जाना चाहिए।
  • झंडे को बिना अनुमति के आधा झुकाकर फहराना राष्ट्र का अपमान माना जाता है।
  • यदि तिरंगे के साथ कोई और झंडा फहराया जाए, तो वह राष्ट्रीय ध्वज से बड़ा या बराबर नहीं होना चाहिए।
  • ध्वज खादी, सूती, रेशमी या पॉलिएस्टर का हो सकता है, लेकिन गुणवत्ता मानकों का पालन अनिवार्य है।

publive-image

तिरंगे का अपमान: जानिए क्या है सजा और कानून

भारतीय संविधान के अनुसार, राष्ट्रीय ध्वज (तिरंगा) का अपमान करना एक गंभीर दंडनीय अपराध है। अगर कोई व्यक्ति तिरंगे के प्रति अनादर या अपमानजनक व्यवहार करता है, तो उसे तीन साल तक की जेल, जुर्माना, या दोनों सजा हो सकती है।

यह प्रावधान ‘राष्ट्रीय गौरव अपमान निवारण अधिनियम, 1971’ की धारा 2 के तहत लागू है। इस कानून के अनुसार तिरंगे को जलाना, फाड़ना, कुचलना, या उसे किसी सार्वजनिक स्थल पर नुकसान पहुंचाना स्पष्ट रूप से अपराध की श्रेणी में आता है। यह कानून तिरंगे की गरिमा और राष्ट्रीय सम्मान को बनाए रखने के लिए बनाया गया है और इसका उल्लंघन करने पर कठोर कानूनी कार्रवाई सुनिश्चित की जाती है।

publive-image

क्या हर कोई अपनी गाड़ी पर तिरंगा लगा सकता है?

हर साल गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस जैसे राष्ट्रीय पर्वों पर कई लोग अपनी कार या बाइक पर तिरंगा लगाते हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि ऐसा करना हर किसी को कानूनी रूप से अनुमति नहीं है?

भारतीय ध्वज संहिता, 2002 के अनुसार, केवल कुछ विशिष्ट पदों पर आसीन लोगों को ही अपने वाहनों पर राष्ट्रीय ध्वज लगाने का अधिकार प्राप्त है। Flag Code of India 2002 के पैरा 3.44 के अनुसार, मोटर वाहनों पर तिरंगा लगाने का अधिकार केवल निम्न पदाधिकारियों को दिया गया है।

publive-image

सिर्फ इन लोगों को ही वाहन पर तिरंगा लगाने की परमिशन

  • राष्ट्रपति
  • उप-राष्ट्रपति
  • प्रधानमंत्री
  • राज्यपाल और उप-राज्यपाल
  • मुख्यमंत्री और कैबिनेट मंत्री (राज्य व केंद्र शासित प्रदेश)
  • केंद्रीय मंत्री, राज्य मंत्री, उप-मंत्री
  • भारतीय राजनयिक मिशनों के प्रमुख (विदेशों में)
  • लोकसभा अध्यक्ष, उपाध्यक्ष व राज्यसभा के उपाध्यक्ष
  • राज्यों की विधानसभाओं व विधान परिषदों के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष
  • भारत के मुख्य न्यायाधीश, उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों के न्यायाधीश

ऐसी ही ताजा खबरों के लिए बंसल न्यूज से जुड़े रहें और हमें XFacebookWhatsAppInstagram पर फॉलो करें। हमारे यू-ट्यूब चैनल Bansal News MPCG को सब्सक्राइब करें।

Flag Code of India 2002 National Flag Day national flag Gwalior Connection Flag hoisting Rules history of indian flag National Flag Day India Indian Flag Design Independence Day Flag Tricolor of India bhartiya jhanda Indian flag Karnataka making Indian Flag Hoisting Rules
Advertisment
WhatsApp Icon चैनल से जुड़ें