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हाइलाइट्स
- नर्मदा नदी सूख रही है, जल संकट बढ़ा चिंता का विषय
- अत्यधिक जल निकासी और रासायनिक खेती मुख्य कारण
- रेत खनन, बांध और जलवायु परिवर्तन से जलस्तर घटा
Narmada Water Crisis: नर्मदा नदी, जो मध्य प्रदेश और गुजरात के लाखों लोगों के जीवन का अहम हिस्सा है, आज गंभीर जल संकट का सामना कर रही है। नदी के सूखने के कारण न केवल पर्यावरणीय संकट बढ़ रहा है, बल्कि लाखों लोगों की जल आपूर्ति भी प्रभावित हो रही है। नर्मदा नदी का जलस्तर घटना अब एक गंभीर चिंता का विषय बन गया है।
1. अत्यधिक जल निकासी और रासायनिक खेती
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नर्मदा नदी से कृषि, उद्योग और पीने के लिए अत्यधिक जल निकाला जा रहा है। विशेषज्ञों के अनुसार, नदी के मैदानी इलाकों से लिया गया 40% पानी का नमूना प्रदूषित पाया गया है, जिसमें नाइट्रेट की मात्रा 100 से 300 मिलीग्राम प्रति लीटर तक पहुंच गई है। यह प्रदूषण मुख्य रूप से रासायनिक खेती (Chemical Farming) के कारण हो रहा है।
अत्यधिक जल निकासी और प्रदूषण से न केवल नदी का प्रवाह कम हो रहा है, बल्कि भूजल स्तर भी गिर रहा है।
2. बांध और जल संसाधन परियोजनाओं का प्रभाव
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बांधों से अनियमित तरीके से पानी छोड़ा जा रहा है[/caption]
नर्मदा नदी पर कई बड़े बांध और जलविद्युत परियोजनाएं हैं, जैसे कि सरदार सरोवर बांध। इन बांधों के कारण नदी का पानी कई हिस्सों में रोक दिया जाता है।
इससे निचले क्षेत्रों में पानी की कमी होती है और नदी का प्राकृतिक प्रवाह प्रभावित होता है।
3. सहायक नदियों का सूखना
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सहायक नदियों का जलस्तर लगातार कम हो रहा है[/caption]
नर्मदा नदी की 41 सहायक नदियां हैं, जिनमें तवा, दूधी, शक्कर, हिरन और बरना प्रमुख हैं। इन नदियों में पानी की कमी के कारण नर्मदा का प्रवाह भी प्रभावित हो रहा है।
विशेषज्ञों के अनुसार, सहायक नदियों का सूखना नर्मदा के सूखने का मुख्य कारण है।
4. रेत खनन और प्रदूषण
नर्मदा नदी से अंधाधुंध रेत खनन (Sand Mining) और प्रदूषण के कारण नदी का पारिस्थितिकी तंत्र बिगड़ रहा है।
रेत पानी को संग्रहित करने में मदद करती है, लेकिन खनन के कारण यह प्रक्रिया बाधित हो रही है। इसका परिणाम नदी का जलस्तर घटना और पर्यावरणीय संतुलन का बिगड़ना है।
5. जलवायु परिवर्तन और असमान वर्षा
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असमान बारिश[/caption]
जलवायु परिवर्तन के कारण मानसून में असमान वर्षा हो रही है। इसका असर नर्मदा नदी के जलस्तर पर पड़ रहा है। विशेषज्ञों के अनुसार, ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन के चलते नदी में पानी की आपूर्ति में कमी आई है।
6. भूजल स्तर में गिरावट
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भूजल स्तर में गिरावट[/caption]
नर्मदा नदी के किनारे के क्षेत्रों में भूजल स्तर लगातार गिर रहा है। मध्य प्रदेश के पिपरिया में बीजनवाड़ा गांव के निवासी सत्यनारायण पटेल का कहना है कि नदी के इतने नजदीक होने के बावजूद उनके कुएं और बोरवेल सूख गए हैं।
भूजल स्तर में गिरावट और नदी का सूखना सीधे तौर पर ग्रामीण जीवन और कृषि पर असर डाल रहा है।
एक नजर में
नर्मदा नदी के सूखने के प्रमुख कारण हैं:
अत्यधिक जल निकासी और रासायनिक खेती
बांध और जल संसाधन परियोजनाओं का प्रभाव
सहायक नदियों का सूखना
रेत खनन और प्रदूषण
जलवायु परिवर्तन और असमान वर्षा
भूजल स्तर में गिरावट
इन समस्याओं के समाधान के लिए जरूरी है कि:
जल संरक्षण की पहल की जाए
रासायनिक खेती में कमी लायी जाए
रेत खनन पर कड़ाई से नियंत्रण किया जाए
सहायक नदियों और नदियों के आस-पास के पारिस्थितिकी तंत्र को पुनर्जीवित किया जाए
Train Ticket New Rule: 1 अक्टूबर से बदल जाएंगे टिकट बुकिंग के ये नियम, अब जनरल रिजर्वेशन पर भी लागू होगा आधार वेरिफिकेशन
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