सोमनाथ। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को कहा कि आतंक के बूते साम्राज्य खड़ा करने की सोच Narendra Modi और ‘‘तोड़ने वाली शक्तियां’’ भले ही कुछ समय के लिए हावी हो जाएं लेकिन उनका अस्तित्व कभी स्थायी नहीं होता और वह मानवता को दबाकर नहीं रख सकतीं। गुजरात के प्रसिद्ध सोमनाथ मंदिर से जुड़ी कई परियोजनाओं का वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से उद्घाटन और शिलान्यास करने के बाद अपने संबोधन में मोदी ने यह बात कही।
साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि भारत के लोगों के आध्यात्मिक भाव ने सदियों तक देश को एकजुट रखा है। Narendra Modi उन्होंने इस अवसर पर स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के नये अवसर पैदा करने और विभिन्न क्षेत्रों की प्रगति के लिए ‘‘आध्यात्मिक पर्यटन’’ विकसित करने का आह्वान किया।
प्रधानमंत्री का यह बयान बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि यह ऐसे समय में आया है, जब पड़ोसी मुल्क अफगानिस्तान पर तालिबान ने कब्जा कर लिया है। प्रधानमंत्री के इस बयान को अफगानिस्तान की परिस्थितियों से जोड़कर देखा जा रहा है। हालांकि अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने ना तो किसी देश का नाम लिया और ना ही किसी संगठन का।
सोमनाथ मंदिर को विदेशी आक्रांताओं द्वारा बार-बार तोड़े जाने का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री Narendra Modi ने कहा कि आज दुनिया में कोई भी व्यक्ति इस भव्य संरचना को देखता है तो उसे केवल एक मंदिर ही नहीं दिखाई देता बल्कि उसे एक ऐसा अस्तित्व दिखाई देता है जो सैकड़ों हजारों सालों से प्रेरणा देता आ रहा है और जो मानवता के मूल्यों की घोषणा करता है।
Somnath Temple is integral to our culture and ethos. Inaugurating development works there. #JaySomnath. https://t.co/yE8cLz2RmX
— Narendra Modi (@narendramodi) August 20, 2021
मोदी Narendra Modi ने कहा, ‘‘यह स्थान आज भी पूरे विश्व के सामने यह आह्वान कर रहा है कि सत्य को असत्य से हराया नहीं जा सकता। आस्था को आतंक से कुचला नहीं जा सकता। इस मंदिर को सैकड़ों सालों के इतिहास में कितनी ही बार तोड़ा गया, यहां की मूर्तियों को खंडित किया गया, इसका अस्तित्व मिटाने की हर कोशिश की गई लेकिन इसे जितनी बार गिराया गया, वह उतनी ही बार उठ खड़ा हुआ। भगवान सोमनाथ का मंदिर आज भारत ही नहीं, पूरे विश्व के लिए एक विश्वास है।’’
प्रधानमंत्री Narendra Modi ने किसी देश या आतंकवादी संगठन का नाम लिए बगैर कहा, ‘‘जो तोड़ने वाली शक्तियां है… जो आतंक के बलबूते साम्राज्य खड़ा करने वाली सोच है… वह किसी कालखंड में कुछ समय के लिए भले ही हावी हो जाएं लेकिन उनका अस्तित्व कभी स्थायी नहीं होता। वह ज्यादा दिनों तक मानवता को दबाकर नहीं रख सकतीं।’’
उन्होंने कहा कि यह बात तब भी इतनी ही सही थी जब कुछ आतताई सोमनाथ मंदिर को गिरा रहे थे और आज भी इतनी ही सही है जब विश्व ऐसी विचारधाराओं से आशंकित है। मोदी ने कहा, ‘‘हम सभी जानते हैं सोमनाथ मंदिर के पुनर्निर्माण से लेकर भव्य विकास की यात्रा केवल कुछ सालों या दशकों का परिणाम नहीं है। यह सदियों की इच्छा शक्ति और वैचारिक निरंतरता का परिणाम है।’’
ज्ञात हो कि पिछले दिनों तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया। वहां की सरकार ने तालिबान के सामने घुटने टेक दिए और राष्ट्रपति अशरफ गनी वहां से सुरक्षित ठिकाने की ओर चलते बने। तालिबान के इतिहास को देखते हुए वहां के नागरिकों में अनिश्चितता एवं चिंता की स्थिति है और कई नागरिक देश छोड़ने की कोशिश कर रहे हैं।
इससे पहले प्रधानमंत्री Narendra Modi ने वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से करीब 83 करोड़ रुपये की लागत की जिन परियोजनाओं का उद्घाटन किया उनमें सोमनाथ ‘‘समुद्र दर्शन’’ पैदल पथ, सोमनाथ प्रदर्शनी केंद्र और पुनर्निर्मित अहिल्याबाई होलकर मंदिर शामिल हैं। इसके अलावा उन्होंने श्री पार्वती मंदिर की आधारशिला भी रखी।
प्रधानमंत्री मोदी Narendra Modi गिर-सोमनाथ जिले के प्रभास पाटन शहर में स्थित सोमनाथ मंदिर न्यास के अध्यक्ष हैं। प्राचीन (जूना) सोमनाथ मंदिर को अहिल्याबाई होलकर मंदिर के नाम से जाना जाता है और यह मुख्य मंदिर की विपरीत दिशा में स्थित है। इसके नवीनीकरण पर 3.5 करोड़ रुपये की लागत आई है। लगभग एक किलोमीटर लंबे ‘‘समुद्र दर्शन’’ पैदल पथ का निर्माण ‘‘प्रसाद योजना’’ (तीर्थयात्रा कायाकल्प और आध्यात्मिक, धरोहर संवर्धन अभियान) के तहत करीब 47 करोड़ रुपये की लागत से किया गया है।
सोमनाथ प्रदर्शनी केंद्र सोमनाथ मंदिर में स्थित पर्यटक सुविधा केंद्र के परिसर में बना है। इस प्रदर्शनी केंद्र में पुराने सोमनाथ मंदिर के खंडित हिस्सों और पुराने सोमनाथ की नागर शैली की मंदिर वास्तुकला वाली मूर्तियों को दर्शाया गया है।
अहिल्याबाई होलकर मंदिर को 3.5 करोड़ रुपये की लागत से पूरा किया गया है। इसका निर्माण इंदौर की अहिल्या बाई होलकर ने कराया था। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वयोवृद्ध नेता लालकृष्ण आडवाणी भी वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से इस कार्यक्रम में शामिल हुए।
शाह और आडवाणी न्यास के न्यासी हैं। गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी और पर्यटन राज्य मंत्री श्रीपाद येसो नाईक सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति इस कार्यक्रम में शामिल हुए। कार्यक्रम में प्रधानमंत्री Narendra Modi ने नये सोमनाथ मंदिर के विकास में सरदार वल्लभभाई पटेल, स्वतंत्रता सेनानी के एम मुंशी और देश के पहले राष्ट्रपति राजेन्द्र प्रसाद के योगदान को याद किया और मंदिर स्थलों के विकास को इतिहास से सीखकर वर्तमान को सुधारने और एक नया भविष्य बनाने की भारत की सोच बताया।
उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए, जब मैं ‘भारत जोड़ो आंदोलन’ की बात करता हूं तो उसका भाव केवल भौगोलिक या वैचारिक जुड़ाव तक सीमित नहीं है। ये भविष्य के भारत के निर्माण के लिए हमें हमारे अतीत से जोड़ने का भी संकल्प है।’’ उन्होंने कहा कि इसी तरह चार धामों की व्यवस्था, शक्तिपीठों की संकल्पना और देश के अलग अलग कोनों में अलग-अलग तीर्थों की स्थापना ‘‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’’ की भावना की ही अभिव्यक्ति है।
प्रधानमंत्री Narendra Modi ने कहा कि पश्चिम में सोमनाथ और नागेश्वर से लेकर पूरब में बैद्यनाथ तक, उत्तर में बाबा केदारनाथ से लेकर दक्षिण में भारत के अंतिम छोर पर विराजमान श्री रामेश्वर तक स्थित 12 ज्योतिर्लिंग पूरे भारत को आपस में पिरोने का काम करते हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘पर्यटन के जरिये आज देश न केवल आमजन को जोड़ रहा है बल्कि खुद भी आगे बढ़ रहा है। इसी का परिणाम है कि 2013 में देश ट्रैवल एंड टूरिज्म कॉम्पिटीटिव इंडेक्स में जहां 65वां स्थान पर था, वहीं 2019 में 34वें स्थान पर आ गया।’’
उन्होंने कहा कि केंद्र की प्रसाद योजना के तहत 40 धार्मिक स्थलों को चुना गया है और इनमें 15 परियोजनाओं का काम पूरा हो चुका है। उन्होंने कहा, ‘‘अब हम सोमनाथ को अन्य धार्मिक स्थलों व अन्य शहरों से जोड़ने की योजना पर काम कर रहे हैं।’’ प्रधानमंत्री ने बताया कि केंद्र सरकार ने 19 महत्वपूर्ण Narendra Modi पर्यटन केंद्रों की पहचान की है ताकि उन्हें और विकसित किया जा सके।