नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज मध्य प्रदेश में पार्टी के “मेरा बूथ सबसे मजबूत” अभियान के तहत पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए यूसीसी (Uniform Civil Code) के बारे में जनता को बताया।
समान नागरिक संहिता के लिए वकालत करते हुए, जिसे लागू करना भाजपा के चुनावी घोषणापत्र का हिस्सा रहा है, उन्होंने कहा कि “एक परिवार के विभिन्न सदस्यों के लिए अलग-अलग नियम” काम नहीं करते हैं और एक देश दो कानूनों पर नहीं चल सकता है।
मिस्र 90 साल पहले खत्म कर दिया था ‘तीन तलाक’
उन्होंने बताया कि मिस्र, जिसकी 90 फीसदी आबादी सुन्नी मुसलमानों की है, उसने 80 से 90 साल पहले तीन तलाक को खत्म कर दिया था।
पीएम ने कहा, ”जो तीन तलाक की वकालत करते हैं, वोट बैंक के भूखे ये लोग मुस्लिम बेटियों के साथ घोर अन्याय कर रहे हैं।”
उन्होंने कहा कि तीन तलाक सिर्फ महिलाओं से संबंधित नहीं है, बल्कि पूरे परिवार को तबाह कर देता है।
जब एक महिला, जिसकी शादी परिवार बहुत उम्मीदों के साथ किसी से कर देता है और उसको को तीन तलाक के बाद वापस भेज दिया जाता है, तो माता-पिता और भाई उस महिला को लेकर चिंतित हो जाते हैं।
यूसीसी पर जनता को भड़का रहे कुछ लोग
पीएम मोदी ने कहा, ”कुछ लोग मुस्लिम बेटियों पर तीन तलाक का फंदा लटकाना चाहते हैं ताकि उन्हें उन पर अत्याचार करने की खुली छूट मिल सके।” उन्होंने कहा कि ये वही लोग हैं जो तीन तलाक का समर्थन करते हैं.
उन्होंने कहा, “यही कारण है कि मैं जहां भी जाता हूं, मुस्लिम बहनें और बेटियां भाजपा और मोदी के साथ खड़ी होती हैं।”
पीएम ने समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) का विरोध करने वालों पर निशाना साधते हुए कहा कि वे अपने हितों के लिए कुछ लोगों को भड़का रहे हैं।
समान अधिकारों की बात करता है संविधान
उन्होंने कहा, ”भारतीय मुसलमानों को यह समझना होगा कि कौन से राजनीतिक दल अपने फायदे के लिए उन्हें भड़का रहे हैं और नष्ट कर रहे हैं।”
उन्होंने कहा कि हमारा संविधान भी सभी नागरिकों के लिए समान अधिकारों की बात करता है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने भी यूसीसी लागू करने को कहा है।
पीएम मोदी ने “भाजपा पर आरोप लगाने वालों” की भी आलोचना करते हुए कहा कि अगर वे वास्तव में मुसलमानों के शुभचिंतक होते, तो समुदाय के अधिकांश परिवार शिक्षा और रोजगार में पिछड़ नहीं रहे होते और कठिन जीवन जीने को मजबूर नहीं होते।
समान नागरिक संहिता का अर्थ है देश के सभी नागरिकों के लिए एक समान कानून होना जो धर्म पर आधारित न हो। व्यक्तिगत कानून और विरासत, गोद लेने और उत्तराधिकार से संबंधित कानूनों को एक सामान्य कोड द्वारा कवर किए जाने की संभावना है। उत्तराखंड जैसे राज्य अपना सामान्य कोड तैयार करने की प्रक्रिया में हैं।
सवाल किया कि अगर ‘तीन तलाक’ इस्लाम से अलग नहीं है, तो मिस्र, इंडोनेशिया, कतर, जॉर्डन, सीरिया, बांग्लादेश और पाकिस्तान जैसे मुस्लिम बहुसंख्यक देश में इसका चलन क्यों नहीं है?
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