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Future Technology: आज की टेक्नोलॉजी और साइंस उस मुकाम पर पहुंच चुकी है जहां इंसान के शरीर के अंदर जाकर काम करने वाली मशीनें अब सिर्फ कल्पना नहीं हैं, बल्कि हकीकत बन रही हैं। इन्हीं में से एक बेहद रोचक और रहस्यमय तकनीक है नैनोबॉट्स (Nanobots)। नैनोबॉट्स इतने छोटे होते हैं कि ये इंसान की नसों, खून और दिमाग की सेल्स तक पहुंच सकते हैं। वैज्ञानिकों का दावा है कि भविष्य में इन नन्हे रोबोट्स को इस तरह प्रोग्राम किया जा सकता है कि ये याददाश्त मिटाने या बदलने तक की क्षमता रख सकते हैं।
नैनोबॉट्स असल में होते क्या हैं?
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नैनोबॉट्स असल में होते क्या हैं?[/caption]
नैनोबॉट्स छोटे माइक्रो-रोबोट्स होते हैं जिनका आकार एक नैनोमीटर यानी मीटर के एक अरबवें हिस्से के बराबर होता है। इन्हें नैनो-टेक्नोलॉजी के तहत तैयार किया जाता है। इनका मुख्य उद्देश्य शरीर के भीतर जाकर सेल्स, नसों और अंगों के स्तर पर इलाज या मॉनिटरिंग करना है। इन्हें इंजेक्शन या दवा के रूप में शरीर में पहुंचाया जा सकता है। शरीर में प्रवेश करने के बाद ये अपने प्रोग्राम के अनुसार काम करते हैं। ये कैंसर सेल्स को खत्म करने, ब्लड क्लॉट्स हटाने और ब्रेन सिग्नल्स को मॉनिटर करने जैसे काम कर सकते हैं।
क्या नैनोबॉट्स याददाश्त मिटा सकते हैं?
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क्या नैनोबॉट्स याददाश्त[/caption]
वैज्ञानिकों का मानना है कि याददाश्त न्यूरॉन्स और सिनैप्स कनेक्शन्स के जरिए बनी रहती है। अगर किसी तकनीक से इन कनेक्शनों में बदलाव किया जाए तो याददाश्त को प्रभावित किया जा सकता है। भविष्य में नैनोबॉट्स को इस तरह प्रोग्राम किया जा सकता है कि ये ब्रेन के खास हिस्सों तक पहुंचकर न्यूरल सिग्नल्स को ब्लॉक या मिटा सकें। यानी, यह तकनीक किसी व्यक्ति की खास यादों को मिटाने या अस्थायी रूप से ब्लॉक करने में सक्षम हो सकती है। हालांकि यह सुनने में किसी साइंस-फिक्शन फिल्म जैसी लगती है, लेकिन कई वैज्ञानिक प्रयोग इसे वास्तविकता के करीब ला रहे हैं।
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नैनोबॉट्स के फायदे
मेडिकल साइंस में क्रांति: ब्रेन ट्यूमर, अल्जाइमर, पार्किंसन और अन्य न्यूरोलॉजिकल बीमारियों का इलाज आसान हो सकता है।
दवा वितरण: दवा को सीधे प्रभावित अंग या सेल्स तक पहुंचाया जा सकता है।
सर्जरी में मदद: मिनिमल इनवेसिव सर्जरी संभव होगी।
ब्रेन थेरापी: न्यूरल डिसऑर्डर्स का इलाज विशेष रूप से संभव होगा।
नैनोबॉट्स के खतरे
प्राइवेसी का उल्लंघन: गलत हाथों में ये तकनीक किसी की याद, सोच या भावनाओं को नियंत्रित कर सकती है।
मानसिक सुरक्षा पर खतरा: किसी व्यक्ति की याददाश्त या निर्णय क्षमता पर हस्तक्षेप हो सकता है।
दुरुपयोग की संभावना: यदि नैतिक और कानूनी दिशा में नियंत्रित न किया जाए तो यह मानव स्वतंत्रता के लिए गंभीर खतरा बन सकता है।
भविष्य में क्या संभव है?
अभी नैनोबॉट्स का प्रयोग मेडिकल और एक्सपेरिमेंटल स्तर पर ही किया गया है। वैज्ञानिकों का लक्ष्य है कि आने वाले वर्षों में इन्हें मेडिकल सर्जरी, दवा वितरण और न्यूरल थेरेपी के लिए इस्तेमाल किया जा सके। याददाश्त मिटाने जैसी क्षमताएं फिलहाल सैद्धांतिक स्तर पर हैं, लेकिन विशेषज्ञ चेतावनी देते हैं कि इस तकनीक का सुरक्षित और नैतिक उपयोग बेहद जरूरी है।
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