Advertisment

नायडू ने कृषि लागत को कम करके भारतीय कृषि को मुनाफे का सौदा बनाने पर जोर दिया

author-image
Bhasha
भारत ने 2015-20 के दौरान व्यापार को आसान बनाने के लिए कई कदम उठाए: डब्ल्यूटीओ

नयी दिल्ली, 19 जनवरी (भाषा) उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने मंगलवार को भारतीय कृषि की लागत को कम करके इसे कहीं अधिक लाभदायक बनाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि कर्जमाफी और सब्सिडी से किसानों को केवल अस्थायी राहत ही मिल सकती है।

Advertisment

उन्होंने कृषक समुदाय को आसान शर्त पर ऋण तथा निर्बाध बिजली उपलब्ध कराने पर भी जोर दिया।

संयुक्तराष्ट्रनिकाय खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) और नीति आयोग द्वारा कृषि विषय पर आयोजित 'नेशनल डायलॉग - इंडियन एग्रीकल्चर टुवार्ड्स 2030' कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि कृषि क्षेत्र में खेती की लागत को कम करने तथा खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में भी संभावनाओं का दोहन करने की आवश्यकता है।

उपराष्ट्रपति ने राष्ट्र के स्वास्थ्य के लिए रसायनों पर निर्भरता कम करने और जैविक खेती को बड़े पैमाने पर अपनाने पर भी जोर दिया।

Advertisment

नायडू ने कृषि को लाभदायक बनाने के लिए केंद्र और राज्यों दोनों को मिलकर पहल करने का भी आह्वान किया।

उपराष्ट्रपति ने कहा, ‘‘किसान असंगठित हैं और उनकी कोई आवाज नहीं है, इसलिए संसद, राजनीतिक नेता, नीति निर्माता और प्रेस ( चार अग्रेजी के अक्षर ‘पी’) को सक्रिय रूप से कृषि के प्रति सकारात्मक रुख अपनाना चाहिए। वास्तव में, कृषि को लाभदायक बनाने में एक क्रांतिकारी बदलाव करना समय की मांग है।’’

नायडू ने कहा कि ऋण माफी और सब्सिडी किसानों को अस्थायी राहत प्रदान कर सकते हैं पर यह स्थायी समाधान नहीं है। उन्होंने कहा कि किसानों को लाभकारी मूल्य सुनिश्चित करने के लिए दीर्घकालिक और अल्पकालिक दोनों उपायों की आवश्यकता है।

Advertisment

नायडू ने खाद्य एवं पोषण सुरक्षा, जलवायु परिवर्तन, किसानों और कृषि मजदूरों की दशा और खेती के प्रति नयी पीढ़ी की रुचि में कमी को कृषि क्षेत्र की चार महत्वपूर्ण चुनौतियों में रखा और इसका समाधान निकालने पर जोर दिया।

नायडू ने कहा, ‘‘हमें अवसरों का फायदा उठाने और कृषि को विशेष प्रोत्साहन देने की जरूरत है। यह काम न केवल आत्मनिर्भरता हासिल करने भर के लिए हो बल्कि अन्य देशों को निर्यात करने के लिए भी हो सके और भारत की अर्थव्यवस्था को और मजबूत किया जा सके।’’

उन्होंने बड़े पैमाने पर जैविक खेती को बढ़ावा देने का भी सुझाव दिया।

भाषा राजेश राजेश मनोहर

मनोहर

Advertisment
WhatsApp Icon चैनल से जुड़ें