Nagchandreshwar Temple : भारत में कई पौराणिक मंदिर हैं, लेकिन मध्यप्रदेश के उज्जैन में एक ऐसा मंदिर है जो साल में सिर्फ एक ही दिन खुलता है। हम बात कर रहे हैं नागचंद्रेश्वर मंदिर (Nagchandreshwar Mandir Ujjain) की। यह मंदिर न सिर्फ अपनी वास्तुकला और धार्मिक महत्ता के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि एक और विशेषता के लिए भी जाना जाता है। ओर वो क्या है? आइए जानते हैं।
जानकारी के लिए आपको बता दें कि, यह मंदिर पूरे साल में सिर्फ एक बार नाग पंचमी के दिन ही श्रद्धालुओं के लिए मंदिर खोला जाता है। मंदिर में स्थित भगवान शिव की दुर्लभ प्रतिमा है। जिसमें वे सर्पराज तक्षक के साथ सात फन वाले नाग की शैय्या पर विराजमान हैं। इस प्रतिमा को दुनियाभर में अद्वितीय मानी जाती है।
कहां है ये मंदिर
नागचंद्रेश्वर मंदिर उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर की तीसरी मंजिल पर स्थित है। यह मंदिर आमतौर पर बंद रहता है और साल में सिर्फ एक बार, नागपंचमी के दिन ही इसके पट खोले जाते हैं। इस दिन लाखों की संख्या में श्रद्धालु दर्शन के लिए उज्जैन पहुंचते हैं। मंदिर की देखरेख और पूजा महानिर्वाणी अखाड़ा के संन्यासियों द्वारा की जाती है।
भगवान विष्णु नहीं, भोलेनाथ नाग शैय्या पर
इस मंदिर में सबसे विशेष बात यह है कि यहां भगवान विष्णु की जगह भगवान शिव सर्प शैय्या पर विराजमान हैं। 11वीं शताब्दी की प्रतिमा में भगवान शिव के साथ मां पार्वती और बाल गणेश भी विराजमान हैं। त्रिदेवों में शिव की यह मूर्ति अत्यंत दुर्लभ और आध्यात्मिक रूप से अत्यंत प्रभावशाली मानी जाती है।
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सात फन वाले नाग की अद्भुत मूर्ति
यहां स्थापित मूर्ति में भगवान शिव सात फनों वाले नाग की शैय्या पर विराजमान हैं। मूर्ति के पीछे की मान्यता है कि सर्पराज तक्षक ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए घोर तपस्या की थी। भगवान शिव ने उन्हें अमरत्व का वरदान दिया और तब से वे भगवान शिव के सान्निध्य में रहते हैं। तक्षक नाग की इच्छा थी कि उनके एकांत में कोई विघ्न न आए, इसीलिए मंदिर को सिर्फ नागपंचमी के दिन ही खोला जाता है।
क्या है मंदिर का इतिहास
ऐतिहासिक प्रमाणों के अनुसार, राजा भोज द्वारा इस मंदिर का निर्माण 1050 ईस्वी के आसपास करवाया गया था। बाद में 1732 में राणोजी सिंधिया ने महाकाल मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया, जिसमें नागचंद्रेश्वर मंदिर का भी नवीनीकरण हुआ। यह प्रतिमा नेपाल से लाई गई बताई जाती है और आज भी अपनी मौलिकता के साथ विराजमान है।
कालसर्प दोष का होगा निवारण
कहा जाता है कि जिन लोगों की कुंडली में कालसर्प दोष होता है, वे अगर नागपंचमी के दिन इस मंदिर के दर्शन करते हैं, तो उनका दोष खुद ही समाप्त हो जाता है। यही वजह है कि इस दिन उज्जैन में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ती है।
कब और कैसे होते हैं दर्शन?
नागपंचमी की रात 12 बजे मंदिर के कपाट खुलते हैं, और अगले 24 घंटों तक दर्शन की अनुमति होती है। इसके बाद, अगले साल तक मंदिर को बंद कर दिया जाता है। पूजा विधिवत रूप से अखाड़े के महंत और जिला प्रशासन की देखरेख में होती है।
धार्मिक महत्ता
नाग पंचमी सावन मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को आती है। इस दिन नाग देवता की पूजा का विशेष विधान है। मिट्टी या चांदी के नाग-नागिन की मूर्ति बनाकर दूध, जल से उनका अभिषेक किया जाता है। माना जाता है कि इस दिन नागों की पूजा करने से भगवान शिव भी प्रसन्न होते हैं, क्योंकि नाग उनके आभूषणों में शामिल हैं।
लाखों श्रद्धालु करते हैं दर्शन
हर वर्ष नागपंचमी के दिन 5 से 7 लाख तक श्रद्धालु उज्जैन पहुंचते हैं। दर्शन की व्यवस्था मंदिर समिति और प्रशासन की निगरानी में होती है। दर्शन व्यवस्था को लेकर सुरक्षा, लाइन मैनेजमेंट और आपात मेडिकल सुविधा की भी तैयारी की जाती है। महंत विनीत गिरी जी महाराज ने श्रद्धालुओं से आग्रह किया है कि सभी भक्तजन सुरक्षा नियमों का पालन करें, संयम और श्रद्धा के साथ दर्शन करें, ताकि सभी को भगवान नागचंद्रेश्वर और भगवान महाकाल का दिव्य आशीर्वाद प्राप्त हो सके।
FAQs
सवाल –नागचंद्रेश्वर मंदिर कहां स्थित है?
जवाब –उज्जैन, मध्य प्रदेश में महाकालेश्वर मंदिर की तीसरी मंजिल पर।
सवाल –क्या यह मंदिर साल में सिर्फ एक दिन खुलता है?
जवाब –हां, नागपंचमी के दिन ही इसके कपाट खोले जाते हैं।
सवाल –क्या यहां वास्तव में सात फन वाला नाग है?
जवाब –हां, प्रतिमा में भगवान शिव एक दशमुखी (सात फन वाले) सर्प शैय्या पर विराजमान हैं, जो कहीं और नहीं मिलती।
सवाल – सात फन वाले नाग का वर्णन कहां मिलता है?
जवाब –पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, सर्पराज तक्षक को भगवान शिव के पास वास करने का वरदान मिला और उन्होंने अपने सात फनों से शिव को शैय्या दी।
सवाल –इस मंदिर में दर्शन करना शुभ क्यों माना जाता है?
जवाब –नागपंचमी के दिन दर्शन करने से कालसर्प दोष समाप्त होता है, और जीवन में धन, स्वास्थ्य और शांति की प्राप्ति होती है।
सवाल – इस मंदिर की पूजा कौन करता है?
जवाब – महानिर्वाणी अखाड़ा के संन्यासी विधिवत रूप से पूजा करते हैं।